एसबीआई ने लगाया इकोनॉमी में सुधार का अनुमान लेकिन पूर्व कोविड स्तर पाने में लगेंगे पौने तीन साल
सबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रोथ आउटलुक में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सरकारी व्यय में 3.62 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है।

चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी में हुई वृद्धि ने अर्थव्यवस्था में जल्द सुधार की उम्मीद को बढ़ा दिया है। इसी के चलते देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने वित्त वर्ष 2021 के पूर्वानुमान में सुधार किया है। एसबीआई ने पहले कहा था की चालू वित्त वर्ष में इकॉनमी 10.9 फीसदी सिकुड़ेगी लेकिन अब एसबीआई का जीडीपी ग्रोथ रेट के निगेटिव 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है। हालाँकि रिपोर्ट में यह साफ है कि अभी जीडीपी के कोविड पूर्व स्तर तक पहुंचने में लंबा वक्त लगेगा।
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रोथ आउटलुक में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सरकारी व्यय में 3.62 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है। यह पहली तिमाही में 4.86 लाख करोड़ रुपये थी। गो-न्यूज़ ने आँकड़ों के आधार पर पहले भी रिपोर्ट दी थी कि जुलाई -सितंबर तिमाही में सरकार जो पैसा राज-काज चलाने और कल्याणकारी योजनाओं के लिए खर्च करती है, उसमे असल में कमी आई है। इसका मतलब है कि मई महीने में घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज का फ़ायदा लोगो तक नहीं पंहुचा है और सरकार अर्थव्यवस्था में ज्यादा पैसा डालने में नाकाम रही है। आर्थिक जानकरों की मानें तो सरकार को इस वक्त ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्च करना चाहिए ताकि लोगों की क्रय शक्ति बढ़े जो आर्थिक चक्का घुमाने के लिए ज़रूरी है। लेकिन सरकार की समस्या ये है कि उसका ख़ज़ाना खाली है। हालांकि, इससे पहले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कृषि सेक्टर में वृद्धि के चलते रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी जीडीपी के पूर्वानुमानों में सुधार किया था। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष यानि 2021 में 7.5 फ़ीसदी तक सिकुड़ सकती है। हालांकि, इससे पहले उसने ही भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.6 फ़ीसदी सिकुड़ने की बात कही थी लेकिन जीडीपी के ताज़ा सकारात्मक आँकड़ों के चलते बाद में इसमें सुधार किया गया था।
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रोथ आउटलुक में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सरकारी व्यय में 3.62 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है। यह पहली तिमाही में 4.86 लाख करोड़ रुपये थी। गो-न्यूज़ ने आँकड़ों के आधार पर पहले भी रिपोर्ट दी थी कि जुलाई -सितंबर तिमाही में सरकार जो पैसा राज-काज चलाने और कल्याणकारी योजनाओं के लिए खर्च करती है, उसमे असल में कमी आई है। इसका मतलब है कि मई महीने में घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज का फ़ायदा लोगो तक नहीं पंहुचा है और सरकार अर्थव्यवस्था में ज्यादा पैसा डालने में नाकाम रही है। आर्थिक जानकरों की मानें तो सरकार को इस वक्त ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्च करना चाहिए ताकि लोगों की क्रय शक्ति बढ़े जो आर्थिक चक्का घुमाने के लिए ज़रूरी है। लेकिन सरकार की समस्या ये है कि उसका ख़ज़ाना खाली है। हालांकि, इससे पहले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कृषि सेक्टर में वृद्धि के चलते रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी जीडीपी के पूर्वानुमानों में सुधार किया था। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष यानि 2021 में 7.5 फ़ीसदी तक सिकुड़ सकती है। हालांकि, इससे पहले उसने ही भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.6 फ़ीसदी सिकुड़ने की बात कही थी लेकिन जीडीपी के ताज़ा सकारात्मक आँकड़ों के चलते बाद में इसमें सुधार किया गया था।
ताज़ा वीडियो