Russia-Ukraine: फर्टिलाइज़र व्यापार पर असर, भारत में कृषि क्षेत्र हो सकता है प्रभावित !

रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष का सप्लाई पर असर पड़ रहा है। समुद्र के रास्ते होने वाले व्यापार बाधित हो रहे हैं जिससे महंगाई बढ़ने का ख़तरा पैदा हो गया है। साथ ही कई ऐसी वस्तुएं हैं जिसके बग़ैर उत्पादन भी धीमा या ठप्प पड़ सकता है। संघर्षरत दोनों ही देशों से दुनिया में होने वाले निर्यात पर भी असर पड़ रहा है।
कई ऐसी वस्तुएं हैं जिसके निर्यात में रूस का दबदबा है। इनमें ही एक फर्टिलाइज़र भी है जिसका वैश्विक सप्लाई बाधित हो रहा है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में कृषि क्षेत्र ने महामारी के दौरान भी पॉज़िटिवि ग्रोथ दर्ज की है और इसका ग्रोथ निरंतर बढ़ रहा है।
चूंकि भारत अपनी अधिकांश उर्वरक (Fertilizers) ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, इसलिए रूसी और यूक्रेनी बाज़ारों के बंद होने का एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ना तय है। वित्त वर्ष 2021 में भारत ने अपने कुल MOP (Muriate of Potash) इंपोर्ट का 17 पीसदी रूस से ही किया है और भारत का रूस से NPK (Nitrogen, Phosphorus और Potassium) इंपोर्ट 60 फीसदी रहा है। इससे समझा जा सकता है कि फर्टिलाइज़र के सप्लाई में बाधा आने से भारत के कृषि क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले तीन सालों के दरमियान रूस से चार तरह के फर्टिलाइज़र का आयात लगभग दोगुना हो गया है। भारत ने रूस से वित्त वर्ष 2019 के दौरान 10.61 लाख टन फर्टिलाइज़र का आयात किया था जो वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 19.15 लाख टन हो गया। इनमें यूरिया, डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट), एमओपी (Muriate of Potash) और एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम) शामिल हैं। ब्लूमबर्क फर्टिलाइज़र एनालिसिस और न्यूज़ पब्लिकेशन ग्रीन मार्केट्स के विश्लेषक Alexis Maxwell का कहना है, “रूस कई तरह के फसल पोषक तत्वों का एक प्रमुख कम लागत वाला निर्यातक है। उनके फर्टिलाइज़र दुनिया के सभी महाद्विपों में निर्यात होते हैं। किसी अन्य देश के पास आसानी से निर्यात योग्य फर्टिलाइज़र आपूर्ति की इतनी विशाल व्यवस्था नहीं है।”
चूंकि भारत अपनी अधिकांश उर्वरक (Fertilizers) ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, इसलिए रूसी और यूक्रेनी बाज़ारों के बंद होने का एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ना तय है। वित्त वर्ष 2021 में भारत ने अपने कुल MOP (Muriate of Potash) इंपोर्ट का 17 पीसदी रूस से ही किया है और भारत का रूस से NPK (Nitrogen, Phosphorus और Potassium) इंपोर्ट 60 फीसदी रहा है। इससे समझा जा सकता है कि फर्टिलाइज़र के सप्लाई में बाधा आने से भारत के कृषि क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले तीन सालों के दरमियान रूस से चार तरह के फर्टिलाइज़र का आयात लगभग दोगुना हो गया है। भारत ने रूस से वित्त वर्ष 2019 के दौरान 10.61 लाख टन फर्टिलाइज़र का आयात किया था जो वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 19.15 लाख टन हो गया। इनमें यूरिया, डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट), एमओपी (Muriate of Potash) और एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम) शामिल हैं। ब्लूमबर्क फर्टिलाइज़र एनालिसिस और न्यूज़ पब्लिकेशन ग्रीन मार्केट्स के विश्लेषक Alexis Maxwell का कहना है, “रूस कई तरह के फसल पोषक तत्वों का एक प्रमुख कम लागत वाला निर्यातक है। उनके फर्टिलाइज़र दुनिया के सभी महाद्विपों में निर्यात होते हैं। किसी अन्य देश के पास आसानी से निर्यात योग्य फर्टिलाइज़र आपूर्ति की इतनी विशाल व्यवस्था नहीं है।”
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