पश्चिम बंगाल के नतीजे: ममता और मज़बूत, केन्द्रीय बल को रणनीति पर विचार की ज़रूरत !
अपनी हैट्रिक के बाद ममता बनर्जी ने एक ही बात कही 'बंगाल ने देश को बचा लिया।'

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे ने देश में भविष्य की राजनीति को लेकर एक बहस छेड़ दी है। राज्य के विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
पश्चिम बंगाल चुनाव के दिलचस्प नतीजे ने केन्द्रीय बल को अपनी राजनीतिक रणनीति पर विचार करने के लिए मज़बूर किया है। राज्य के चुनाव में अपने हिंदूवादी एजेंडे के साथ मैदान में आई बीजेपी को डबल डिजिट से ही संतुष्ट होना पड़ा।
गृह मंत्री अमित शाह के 'अबकी बार 200 के पार' के दावे के उलट पार्टी को महज़ 77 सीटें मिली है। गृह मंत्री चौथे चरण के चुनाव ख़त्म होने तक 92 सीटें जीतने का दावा किया था। उन्होंने चुनाव में बीजेपी के डबल सेंचुरी लगाने और टीएमसी के डबल डिजिट में आने का भी दावा किया था। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, पार्टी के आदर्श मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के पूरे तंत्र ने ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाए। ममता बनर्जी को लेकर 'दीदी ओ दीदी', 'बेग़म ममता' जैसी आपत्तिजनक बयानबाज़ियां भी हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने ममता बनर्जी पर ख़ुद 'भेदभाव, तोलाबाजी, तुष्टिकरण' करने जैसे आरोप लगाए और कहा था कि इस प्रकार की राजनीति बंगाल से ख़त्म हो जाएगी। लेकिन जानकार मानते हैं कि नतीजे ने प्रधानमंत्री के इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है। हालांकि अब नतीजे के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सुर बदल गए हैं। जहां वे इस चुनाव की तुलना लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन से कर रहे थे वो अब 2016 के चुनाव पर जा टिकी है। मसलन 2016 के चुनाव में पार्टी को महज़ तीन सीटें मिली थी जो अब बढ़कर 77 पर जा पहुंची है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि 2016 के मुक़ाबले वे बेहतर स्थिति में आ गए हैं।
यहां पर यह जान लेने बेहद ज़रूरी है कि पश्चिम बंगाल का चुनाव 'मोदी बनाम दीदी' रहा है। ऐसे में अगर दीदी का प्रदर्शन देखा जाए तो वो 2016 के मुक़ाबले और मज़बूत हुई हैं। पिछले चुनाव में जहां टीएमसी ने 209 सीटें जीती थी वो अब अब 212 हो गई है। ममता बनर्जी की छवि मज़बूत पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता का 'खेला होबे' का नारा कारगर साबित हुआ है। राज्य के चुनावी नतीजे ने ममता बनर्जी की 'फाइटर' वाली छवि को और पुख़्ता किया है। हालांकि ममता अपनी नंदीग्राम सीट नहीं बचा सकीं लेकिन उन्हें सिर्फ 1700 वोटों से हार मिली है। ममता के कुछ साथियों ने उन्हें ज़रूर छोड़ दिया लेकिन नतीजे से साफ है कि ममता के मतदाता उनके साथ हैं। उनकी पार्टी टीएमसी को 2011 और 2016 के विधानसभा चुनावों में 44 फीसदी वोट मिले थे। यहाँ तक कि जब 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजेपी से झटका मिला और लोकसभा में उनकी सीटें कम हुईं तो उस चुनाव में भी पार्टी का वोट पर्सेंटेज नहीं गिरा था। इस चुनाव के नतीजे से यह साफ़ हो गया है कि उनके समर्थकों और वोटरों ने उन पर अपना विश्वास बनाये रखा है। अपनी हैट्रिक के बाद ममता बनर्जी ने एक ही बात कही 'बंगाल ने देश को बचा लिया।'
गृह मंत्री अमित शाह के 'अबकी बार 200 के पार' के दावे के उलट पार्टी को महज़ 77 सीटें मिली है। गृह मंत्री चौथे चरण के चुनाव ख़त्म होने तक 92 सीटें जीतने का दावा किया था। उन्होंने चुनाव में बीजेपी के डबल सेंचुरी लगाने और टीएमसी के डबल डिजिट में आने का भी दावा किया था। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, पार्टी के आदर्श मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के पूरे तंत्र ने ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाए। ममता बनर्जी को लेकर 'दीदी ओ दीदी', 'बेग़म ममता' जैसी आपत्तिजनक बयानबाज़ियां भी हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने ममता बनर्जी पर ख़ुद 'भेदभाव, तोलाबाजी, तुष्टिकरण' करने जैसे आरोप लगाए और कहा था कि इस प्रकार की राजनीति बंगाल से ख़त्म हो जाएगी। लेकिन जानकार मानते हैं कि नतीजे ने प्रधानमंत्री के इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है। हालांकि अब नतीजे के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सुर बदल गए हैं। जहां वे इस चुनाव की तुलना लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन से कर रहे थे वो अब 2016 के चुनाव पर जा टिकी है। मसलन 2016 के चुनाव में पार्टी को महज़ तीन सीटें मिली थी जो अब बढ़कर 77 पर जा पहुंची है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि 2016 के मुक़ाबले वे बेहतर स्थिति में आ गए हैं।
यहां पर यह जान लेने बेहद ज़रूरी है कि पश्चिम बंगाल का चुनाव 'मोदी बनाम दीदी' रहा है। ऐसे में अगर दीदी का प्रदर्शन देखा जाए तो वो 2016 के मुक़ाबले और मज़बूत हुई हैं। पिछले चुनाव में जहां टीएमसी ने 209 सीटें जीती थी वो अब अब 212 हो गई है। ममता बनर्जी की छवि मज़बूत पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता का 'खेला होबे' का नारा कारगर साबित हुआ है। राज्य के चुनावी नतीजे ने ममता बनर्जी की 'फाइटर' वाली छवि को और पुख़्ता किया है। हालांकि ममता अपनी नंदीग्राम सीट नहीं बचा सकीं लेकिन उन्हें सिर्फ 1700 वोटों से हार मिली है। ममता के कुछ साथियों ने उन्हें ज़रूर छोड़ दिया लेकिन नतीजे से साफ है कि ममता के मतदाता उनके साथ हैं। उनकी पार्टी टीएमसी को 2011 और 2016 के विधानसभा चुनावों में 44 फीसदी वोट मिले थे। यहाँ तक कि जब 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजेपी से झटका मिला और लोकसभा में उनकी सीटें कम हुईं तो उस चुनाव में भी पार्टी का वोट पर्सेंटेज नहीं गिरा था। इस चुनाव के नतीजे से यह साफ़ हो गया है कि उनके समर्थकों और वोटरों ने उन पर अपना विश्वास बनाये रखा है। अपनी हैट्रिक के बाद ममता बनर्जी ने एक ही बात कही 'बंगाल ने देश को बचा लिया।'
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