पानी के भीषण संकट से घिर गया है पाँच नदियों वाला पंजाब

पंजाबी में एक कहावत है 'दिल्ली दे दूध वर्गा, साडे अम्बरसर दा पानी' यानी दिल्ली के दूध से बेहतर तो अपने अमृतसर का पानी है । बहरहाल, अब इस वक्त इस कहावत के बदलने का है। तेज़ी से बढ़ते प्रदुषण और खेती में बड़े पैमाने में इस्तेमाल हो रहे कीटनाशक से अब पंजाब के पानी ज़हरीला हो रहा है। केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट से पता चलता है कि पंजाब में केवल 5 फीसदी भूजल ही पीने लायक बचा है।
इकोसिस्टम फॉर एकाउंट्स इंडिया नाम की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2015 में पंजाब के 22 जिलों में 119 जगहों से पानी के सैंपल इकट्ठे किये गये थे जिसमे यह चौकाने वाली तस्वीर सामने आई है। इस रिपोर्ट में पानी को चार कैटेगरी में बाँटा गया जिसमे A केटेगरी का पानी पीने योग्य, C केटेगरी के पानी को साफ़ करके पिया जा सकता है, E केटेगरी का पानी खेती-सिंचाई और U केटेगरी का पानी इन तीनो चीज़ो में इस्तेमाल नहीं हो सकता।
पंजाब में सबसे बुरा हाल है बरनाला ज़िले का है जहाँ शून्य फीसदी यानी भूजल बिल्कुल पीने योग्य बिल्कुल नहीं है, केवल 12 फीसदी भूजल E केटेगरी में आता है और 87.97 फीसदी पानी U केटेगरी में आता है। इसके बाद सबसे चिंताजनक स्तिथि है फरीदकोट डिस्ट्रिक्ट में 20.48 फीसदी भूजल E केटेगरी में और लगभग 75 फीसदी U केटेगरी में आता है। फ़िरोज़पुर ज़िले में भी ज़मीन का पानी बिल्कुल सुरक्षित नहीं है, 34.41 फीसदी भूजल सिंचाई के लिए इस्तेमाल में ला सकते है और लगभग 66 फीसदी पानी U केटेगरी में आता है। यही हाल पंजाब के अन्य ज़िले जैसे अमृतसर, मोगा, फाजिल्का, फतेहगढ़ साहिब, मानसा, मुक्तसर, पटिआला, संगरूर, बठिंडा, तरन तारन जिलों का है। पूरे राज्य की बात करे तो केवल 5.08 फीसदी भूजल ही पीने लायक है, 13.96 फीसदी पानी को पीने से पहले साफ़ करना होगा, केवल 47 फीसदी पानी ही खेती के लिए अच्छा है और 33.64 फीसदी पानी इन तीनो चीज़ो में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ज़ाहिर है यह आंकड़े किसी खतरे की घंटी से कम नहीं। दरअसल, बारिश से ही भूजल का स्तर बढ़ता है जिससे देश की 67 फीसदी पानी की ज़रूरत पूरी होती है। अब सबसे चिंताजनक बात यह है की पिछले 16 सालों में केवल 3 वर्ष को छोड़कर देश में बारिश सामान्य से कम हुई है। सबसे कम बारिश साल 2009 में हुई थी जब यह सामान्य से 20 फीसदी कम थी। सिर्फ 2005, 2010 और 2013 में ही बारिश सामान्य से ज्यादा थी। अगर देश में इसी तरह बारिश साल दर साल कम होती रही और भूजल दूषित तो जल्द ही पंजाब में पानी को लेकर बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
पंजाब में सबसे बुरा हाल है बरनाला ज़िले का है जहाँ शून्य फीसदी यानी भूजल बिल्कुल पीने योग्य बिल्कुल नहीं है, केवल 12 फीसदी भूजल E केटेगरी में आता है और 87.97 फीसदी पानी U केटेगरी में आता है। इसके बाद सबसे चिंताजनक स्तिथि है फरीदकोट डिस्ट्रिक्ट में 20.48 फीसदी भूजल E केटेगरी में और लगभग 75 फीसदी U केटेगरी में आता है। फ़िरोज़पुर ज़िले में भी ज़मीन का पानी बिल्कुल सुरक्षित नहीं है, 34.41 फीसदी भूजल सिंचाई के लिए इस्तेमाल में ला सकते है और लगभग 66 फीसदी पानी U केटेगरी में आता है। यही हाल पंजाब के अन्य ज़िले जैसे अमृतसर, मोगा, फाजिल्का, फतेहगढ़ साहिब, मानसा, मुक्तसर, पटिआला, संगरूर, बठिंडा, तरन तारन जिलों का है। पूरे राज्य की बात करे तो केवल 5.08 फीसदी भूजल ही पीने लायक है, 13.96 फीसदी पानी को पीने से पहले साफ़ करना होगा, केवल 47 फीसदी पानी ही खेती के लिए अच्छा है और 33.64 फीसदी पानी इन तीनो चीज़ो में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ज़ाहिर है यह आंकड़े किसी खतरे की घंटी से कम नहीं। दरअसल, बारिश से ही भूजल का स्तर बढ़ता है जिससे देश की 67 फीसदी पानी की ज़रूरत पूरी होती है। अब सबसे चिंताजनक बात यह है की पिछले 16 सालों में केवल 3 वर्ष को छोड़कर देश में बारिश सामान्य से कम हुई है। सबसे कम बारिश साल 2009 में हुई थी जब यह सामान्य से 20 फीसदी कम थी। सिर्फ 2005, 2010 और 2013 में ही बारिश सामान्य से ज्यादा थी। अगर देश में इसी तरह बारिश साल दर साल कम होती रही और भूजल दूषित तो जल्द ही पंजाब में पानी को लेकर बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
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