विवादित कृषि क़ानूनों के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पास, कैप्टन अमरिंदर बोले - केंद्र जबरन ना थोपे फैसले

by Ankush Choubey 2 years ago Views 2802

Proposal passed in Punjab Assembly against dispute
पंजाब विधानसभा में राज्य सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ बिल पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित भी कर दिया गया है. वहीं ऐसा करने वाला पंजाब पहला राज्य है. बिल पास होने के बाद सीएम अमरिंदर सिंह ने नेतृत्व में विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को  केंद्र सरकार के खिलाफ पारित प्रस्तव को सौंपा गया.

सीएम अमरिंदर सिंह द्वारा पेश किये गए प्रस्ताव में इस बात को शामिल किया गया है कि अगर कोई किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से नीचे फसल बेचने के लिए मजबूर करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही अगर किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा किसानों पर जमीन, फसल को लेकर दबाव बनाया जाता है तो भी जुर्माना और जेल का प्रावधान लाया गया है.


इस प्रस्ताव में हाल में ही केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों की आलोचना की गई है. मुख्यमंत्री ने जो बिल पेश किया उसमें किसानों को उत्पादन सुविधा अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, और किसानों के समझौते और कृषि सेवा अधिनियम में संशोधन शामिल है.  हालाँकि, विधानसभा में आम आदमी पार्टी और अकाली दल इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. अकाली दल कैप्टन अमरिंदर पर केंद्र के साथ फ़िक्स्ड मैच खेलने का आरोप लगा रहा है. अकाली दल ने विरोध के तौर पर जमीन पर बैठकर भोजन किया.

वहीं आम आदमी पार्टी ने कहा कि उसके विधायकों को बिल का ड्राफ्ट तक नहीं दिखाया गया. आप पार्टी ने कहा वो इस बिल का समर्थन करना चाहते हैं लेकिन उनके विधायकों को पता ही नहीं है कि बिल में क्या है. इसी मुद्दे को लेकर आप विधायकों ने सोमवार की बीती रात विधानसभा भवन में ही गुजारी और धरना भी दिया. आप विधायक कैप्टन सरकार पर किसान क़ानून के विरोध में विधानसभा के सत्र को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगा रहे है.

पंजाब सीएम ने इस दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों के तंज कसा और कहा कि कुछ लोग विधानसभा में रात गुजार रहे हैं, कोई ट्रैक्टर पर आ रहा है. इन सब से कोई फायदा नहीं है जबतक केंद्र के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई ना लड़ी जाये. सीएम ने ऐलान किया कि अब इस बिल के आधार पर राज्य सरकार आगे की कानूनी लड़ाई लड़ेगी. प्रस्ताव में इस बात को शामिल किया गया है कि संविधान के अनुसार कृषि का मसला राज्य सरकार के हाथ में है, लेकिन इसपर केंद्र ने खुद ही निर्णय ले लिया जो कि नियमों का उल्लंघन है.

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