मनरेगा पर चोट; केन्द्र ने फिर घटाया बजट, 25 फीसदी की कटौती !
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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम - जिसे मनरेगा कहा जाता है - जिसने कोविड महामारी के दौरान लाखों भारतीयों को अभाव और भूख से बचाया, इसके बजट 2022 के प्रस्तावों में 25.5 फीसदी की कटौती कर दी गई है।
महामारी और लॉकडाउन की वजह से पहली लहर के दौरान लाखों असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों ने गांव की तरफ अपना रुख़ किया जहां उनके पास कुछ भी नहीं था।
केन्द्र की मोदी सरकार ने 2006 में शुरु की गई इस योजना के तहत दैनिक आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देकर उन्हें आगे बढ़ाया और उनका समर्थन किया। इसके लिए उत्तर प्रदेश में 201 रूपये और कर्नाटक में 441 रूपये श्रमिकों को उनके दैनिक काम के आधार पर उन्हें मज़दूरी दी जाती है। 2020-21 में सरकार ने ऐसे करोड़ों ग्रामीणों को 111,170 करोड़ रुपये का भुगतान किया। जबकि इसके अगले साल 2021-22 में ही सरकार ने इसका बजट 34 फीसदी घटाकर 73,000 करोड़ रूपये कर दिया लेकिन ग्रामीम स्तर पर संकट को देखते हुए सरकार ने इसका बजट बढ़ाकर 98,000 करोड़ रूपये कर दिया था। इस साल फिर से वित्त मंत्री ने मनरेगा बजट को घटाकर 73,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो पिछले साल के संशोधित अनुमान से 25.5 फीसदी कम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने एक घंटे से ज़्यादा लंबे भाषण में उस योजना का ज़िक्र भी नहीं किया जो बेरोजगार ग्रामीण भारतीयों के एक बड़े हिस्से के लिए जीवनदान साबित हुई।
केन्द्र की मोदी सरकार ने 2006 में शुरु की गई इस योजना के तहत दैनिक आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देकर उन्हें आगे बढ़ाया और उनका समर्थन किया। इसके लिए उत्तर प्रदेश में 201 रूपये और कर्नाटक में 441 रूपये श्रमिकों को उनके दैनिक काम के आधार पर उन्हें मज़दूरी दी जाती है। 2020-21 में सरकार ने ऐसे करोड़ों ग्रामीणों को 111,170 करोड़ रुपये का भुगतान किया। जबकि इसके अगले साल 2021-22 में ही सरकार ने इसका बजट 34 फीसदी घटाकर 73,000 करोड़ रूपये कर दिया लेकिन ग्रामीम स्तर पर संकट को देखते हुए सरकार ने इसका बजट बढ़ाकर 98,000 करोड़ रूपये कर दिया था। इस साल फिर से वित्त मंत्री ने मनरेगा बजट को घटाकर 73,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो पिछले साल के संशोधित अनुमान से 25.5 फीसदी कम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने एक घंटे से ज़्यादा लंबे भाषण में उस योजना का ज़िक्र भी नहीं किया जो बेरोजगार ग्रामीण भारतीयों के एक बड़े हिस्से के लिए जीवनदान साबित हुई।
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