पाकिस्तान के तल्ख़ तेवर से चिढ़ा सऊदी अरब, जनरल बाजवा जाएंगे रियाद

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रिश्ते हमेशा दोस्ताना रहे हैं लेकिन अब दोनों देशों के बीच रिश्ते में कड़वाहट साफ हो गई है. वजह है भारत-पाकिस्तान के बीच का जम्मू-कश्मीर विवाद और सऊदी अरब का भारत की ओर झुकाव.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद से ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश के अलावा पाकिस्तान ने यह भी चाहा है कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज़ में विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक बुलाई जाए लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया. इस्लामिक देशों वाले संगठन ओआईसी पर सऊदी अरब का दबदबा है और पाकिस्तान का मानना है कि सऊदी अरब की वजह से ओआईसी इस बैठक को नहीं बुला रहा है.
पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक टीवी शो में सऊदी अरब की आलोचना तक कर दी. उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर पूरे अदब के साथ ओआईसी को विदेश मंत्रियों की काउंसिल की बैठक बुलाने की गुज़ारिश कर रहा हूं. अगर ओआईसी इस बैठक को नहीं बुलाता तो मैं प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को उन इस्लामी देशों की बैठक बुलाने को कहने के लिए मजबूर हो जाऊंगा, जो कश्मीरे के मुद्दे पर हमारे साथ हैं और उत्पीड़ित कश्मीरियों का समर्थन करते हैं. पाकिस्तान और उसके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की इस तल्ख़ तेवर के बाद सऊदी अरब ने भी अपनी त्यौरी चढ़ा ली है. सऊदी अरब ने साल 2018 में पाकिस्तान को तीन बिलियन डॉलर का कर्ज़ दिया था जिसमें से एक बिलियन डॉलर अब वो वापस मांग रहा है. इसके अलावा सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3.2 बिलियन डॉलर की ऑयल क्रेडिट फैसिलिटी दे रखी थी जिसकी मियाद बढ़ाने के मूड भी वो नहीं दिख रहा है. पाकिस्तान की कमज़ोर अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे आर्थिक मरहम बेहद ज़रूरी हैं, वरना उसकी हालत और बिगड़ जाएगी. समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक पाकिस्तानी सेना के दो सैन्य अफ़सरों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का सऊदी अरब की आलोचना करना उसे नागंवार गुज़रा है. दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्ते के बीच पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा रविवार को सऊदी अरब पहुंच रहे हैं. कहा जा रहा है कि वो दोनों देशों के बीच बढ़ती तल्ख़ी को वो कम करने की कोशिश करेंगे. हालांकि समाचार एजेंसी रायटर्स से पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिख़ार ने कहा है कि जनरल क़मर जावेद बाजवा का यह दौरा पहले से तय था और यह सैन्य मामलों से जुड़ा हुआ है. सऊदी अरब के पाकिस्तान से नाराज़ होने की एक वजह यह भी है कि हाल के वर्षों में उसके और तुर्की के बीच रिश्ते मज़बूत हुए हैं. पिछले साल तुर्की की अगुवाई में इस्लामिक देशों की एक बैठक होनी थी लेकिन आख़िरी वक़्त में सऊदी अरब के दबाव में पाकिस्तान इस बैठक में शामिल नहीं हुआ था. सऊदी अरब का मानना था कि ओआईसी की तर्ज़ पर मुस्लिम देशों का एक दूसरा संगठन खड़ा करने की कोशिश की जा रही है जिसकी अगुवाई तुर्की कर रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान अपने पारपंरिक दोस्त को छोड़कर नई गोलबंदी करता है या फिर सऊदी अरब उसे चुप कराने में कामयाब हो जाएगा.
पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक टीवी शो में सऊदी अरब की आलोचना तक कर दी. उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर पूरे अदब के साथ ओआईसी को विदेश मंत्रियों की काउंसिल की बैठक बुलाने की गुज़ारिश कर रहा हूं. अगर ओआईसी इस बैठक को नहीं बुलाता तो मैं प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को उन इस्लामी देशों की बैठक बुलाने को कहने के लिए मजबूर हो जाऊंगा, जो कश्मीरे के मुद्दे पर हमारे साथ हैं और उत्पीड़ित कश्मीरियों का समर्थन करते हैं. पाकिस्तान और उसके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की इस तल्ख़ तेवर के बाद सऊदी अरब ने भी अपनी त्यौरी चढ़ा ली है. सऊदी अरब ने साल 2018 में पाकिस्तान को तीन बिलियन डॉलर का कर्ज़ दिया था जिसमें से एक बिलियन डॉलर अब वो वापस मांग रहा है. इसके अलावा सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3.2 बिलियन डॉलर की ऑयल क्रेडिट फैसिलिटी दे रखी थी जिसकी मियाद बढ़ाने के मूड भी वो नहीं दिख रहा है. पाकिस्तान की कमज़ोर अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे आर्थिक मरहम बेहद ज़रूरी हैं, वरना उसकी हालत और बिगड़ जाएगी. समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक पाकिस्तानी सेना के दो सैन्य अफ़सरों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का सऊदी अरब की आलोचना करना उसे नागंवार गुज़रा है. दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्ते के बीच पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा रविवार को सऊदी अरब पहुंच रहे हैं. कहा जा रहा है कि वो दोनों देशों के बीच बढ़ती तल्ख़ी को वो कम करने की कोशिश करेंगे. हालांकि समाचार एजेंसी रायटर्स से पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिख़ार ने कहा है कि जनरल क़मर जावेद बाजवा का यह दौरा पहले से तय था और यह सैन्य मामलों से जुड़ा हुआ है. सऊदी अरब के पाकिस्तान से नाराज़ होने की एक वजह यह भी है कि हाल के वर्षों में उसके और तुर्की के बीच रिश्ते मज़बूत हुए हैं. पिछले साल तुर्की की अगुवाई में इस्लामिक देशों की एक बैठक होनी थी लेकिन आख़िरी वक़्त में सऊदी अरब के दबाव में पाकिस्तान इस बैठक में शामिल नहीं हुआ था. सऊदी अरब का मानना था कि ओआईसी की तर्ज़ पर मुस्लिम देशों का एक दूसरा संगठन खड़ा करने की कोशिश की जा रही है जिसकी अगुवाई तुर्की कर रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान अपने पारपंरिक दोस्त को छोड़कर नई गोलबंदी करता है या फिर सऊदी अरब उसे चुप कराने में कामयाब हो जाएगा.
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