दिल्ली दंगा चार्जशीट में सलमान ख़ुर्शीद, प्रशांत भूषण और गौहर रज़ा जैसी हस्तियों के भी नाम

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों के आरोपियों के हवाले से चार्जशीट में कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद, सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण, सीपीएम की नेता वृंदा करात, वैज्ञानिक गौहर रज़ा जैसी हस्तियों का नाम शामिल किया है. इनके अलावा सीपीआई-एमएल की नेता कविता कृष्णन और छात्र नेता कंवलप्रीत कौर का नाम भी शामिल किया गया है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक दिल्ली दंगा मामले में गिरफ़्तार ख़ालिद सैफ़ी और कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां के बयानों के दौरान इनलोगों के नाम सामने आए. दिल्ली पुलिस का दावा है कि गिरफ़्तारी के बाद इन लोगों ने माना कि नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान इन हस्तियों को बुलाया गया था जिन्होंने प्रदर्शनकारियों में जोश भरने के लिए भड़काऊ भाषण दिए. पुलिस के एक गवाह ने भी कहा है कि सलमान ख़ुर्शीद ने भड़काऊ भाषण दिए.
चार्जशीट में नाम आने के बाद वैज्ञानिक गौहर रज़ा ने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिए गए अपने बयान पर वो क़ायम हैं. आज भी वो इस क़ानून का विरोध करते हैं और आगे भी करेंगे क्योंकि भारत के संविधान पर हमला है. गौहर रज़ा ने यह भी साफ़ किया कि वो किसी भी तरह की हिंसा के ख़िलाफ़ हैं. ऐसे में किसी को भी हिंसा के लिए उकसाने का सवाल पैदा ही नहीं होता. वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रभावशाली लोगों को फंसाना दिल्ली पुलिस की रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने माना कि वो कुछ धरना स्थलों पर गए थे जहां उन्होंने इस क़ानून के ख़िलाफ़ और प्रदर्शनकारियों के पक्ष में भाषण दिया. प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि उन्होंने मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीक़े से अपनी बात रखी और अगर ऐसा करने लोग भड़क गए तो वह कुछ नहीं कर सकते. हालांकि दंगों के आरोपियों के यह सारे बयान पुलिस कस्टडी में लिए गए हैं जिनकी अदालत में सबूत के तौर पर कोई मान्यता नहीं है. ख़ालिद सैफ़ी के वकील का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने उनके मुवक्किल से फर्ज़ी बयानों पर जबरन दस्तख़त करवाए हैं. ख़ालिद सैफ़ी के वकील ने यह भी कहा कि झूठे बयानों और सादे पेपर पर जबरन दस्तख़त करवाने के बारे में वह अदालत को मार्च और अप्रैल में ही बता चुके हैं. इशरत जहां के वकील प्रदीप तेयोतिया का भी कमोबेश यही कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 25 के तहत ऐसे बयानों का कोई मतलब नहीं होता. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में इनके अलावा कई और मशहूर हस्तियों के भी नाम हैं. इससे पहले पूरक चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री और प्रोफ़ेसर जयति घोष, डीयू प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और फिल्मकार राहुल रॉय का नाम भी सामने आया था. यह यह जानना दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने के असल आरोपियों पर दिल्ली पुलिस इसलिए हाथ नहीं डाल रही है क्योंकि वे लोग सत्तापक्ष से जुड़े हुए हैं.
Also Read:
चार्जशीट में नाम आने के बाद वैज्ञानिक गौहर रज़ा ने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिए गए अपने बयान पर वो क़ायम हैं. आज भी वो इस क़ानून का विरोध करते हैं और आगे भी करेंगे क्योंकि भारत के संविधान पर हमला है. गौहर रज़ा ने यह भी साफ़ किया कि वो किसी भी तरह की हिंसा के ख़िलाफ़ हैं. ऐसे में किसी को भी हिंसा के लिए उकसाने का सवाल पैदा ही नहीं होता. वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रभावशाली लोगों को फंसाना दिल्ली पुलिस की रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने माना कि वो कुछ धरना स्थलों पर गए थे जहां उन्होंने इस क़ानून के ख़िलाफ़ और प्रदर्शनकारियों के पक्ष में भाषण दिया. प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि उन्होंने मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीक़े से अपनी बात रखी और अगर ऐसा करने लोग भड़क गए तो वह कुछ नहीं कर सकते. हालांकि दंगों के आरोपियों के यह सारे बयान पुलिस कस्टडी में लिए गए हैं जिनकी अदालत में सबूत के तौर पर कोई मान्यता नहीं है. ख़ालिद सैफ़ी के वकील का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने उनके मुवक्किल से फर्ज़ी बयानों पर जबरन दस्तख़त करवाए हैं. ख़ालिद सैफ़ी के वकील ने यह भी कहा कि झूठे बयानों और सादे पेपर पर जबरन दस्तख़त करवाने के बारे में वह अदालत को मार्च और अप्रैल में ही बता चुके हैं. इशरत जहां के वकील प्रदीप तेयोतिया का भी कमोबेश यही कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 25 के तहत ऐसे बयानों का कोई मतलब नहीं होता. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में इनके अलावा कई और मशहूर हस्तियों के भी नाम हैं. इससे पहले पूरक चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री और प्रोफ़ेसर जयति घोष, डीयू प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और फिल्मकार राहुल रॉय का नाम भी सामने आया था. यह यह जानना दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने के असल आरोपियों पर दिल्ली पुलिस इसलिए हाथ नहीं डाल रही है क्योंकि वे लोग सत्तापक्ष से जुड़े हुए हैं.
ताज़ा वीडियो