मोदी, निर्मला जल्द ही करेंगे गिरती अर्थव्यवस्था की समीक्षा

पहले से मंदी की गिरफ्त में आई देश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल में और डूबती जा रही है। रोज़गार ख़त्म हो रहा है, उद्योग-धंधे सिकुड़ रहे हैं और सरकार अपने टैक्स वसूली के लक्ष्य पर लगातार पिछड़ रही है. हालात की गंभीरता को देखते हुए अब पीएम मोदी के दफ्तर को जल्द ही वित्त मंत्रालय के बड़े अधिकारी जल्द ही ब्रीफ करेंगे। दरअसल, आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डायरेक्ट टैक्स और जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट आई है.
बात अगर जीएसटी की करें तो इसमें सरकार को भारी नुक्सान हुआ हैं जहां अप्रैल के महीने में 71.6 फीसदी की गिरावट के साथ कुल 32 हज़ार 294 करोड़ रहा हैं। ये कलेक्शन पिछले साल अप्रैल में एक लाख 13 हज़ार 865 था। वहीं बात अगर मई की करें तो जीएसटी कलेक्शन 62 हज़ार 9 करोड़ रहा जो पिछले वर्ष एक लाख 289 करोड़ था और इसमें 38 फीसदी की गिरावट देखी गई हैं। यही आंकड़ा जून में 90 हज़ार 917 करोड़ रहा हैं जिसमें पिछले वर्ष 99 हज़ार 939 के मुक़ाबले 9 फीसदी की गिरावट आई हैं।
वित्त वर्ष 2020- 21 की पहली तिमाही में कुल एडवांस कलेक्शन में 76.05 प्रतिशत की भारी गिरावट आई और यह 11,714 करोड़ रुपये पर आ गया. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 48,917 करोड़ रुपये का रहा था. बजट 2020-21 में टैक्स कलेक्शन 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था. वित्त वर्ष 2019-20 में टैक्स कलेक्शन 21.63 लाख करोड़ रुपये रहा था. साल 2016 में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स तेज़ी से ऊपर जा रहा था लेकिन साल 2020 आते-आते इसमें नेगेटिव ग्रोथ दर्ज हो रही है. पिछले साल अर्थव्यवस्था की पतली होती हालत पर केंद्र सरकार घिरी तो वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में रियायत देने का ऐलान किया था. मकसद निवेश को बढ़ावा देना लेकिन कॉरपोरेट टैक्स में छूट देने से एक तरफ तो सरकार की आमदनी गिरी, वहीं दूसरी तरफ निवेशक भी उत्साहित नहीं हुए और बाज़ार में पैसा नहीं लगाया. साल 2019-20 में वित्तीय घाटा भी बढ़कर 4.6 फीसदी हो गया है. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत ऐसे समय में हुई जब देश लॉकडाउन में था और पूरे देश में महामारी का साया हैं। ऐसे में उद्योगों की कमर टूट गई हैं और व्यापर करना भारी पड़ रहा हैं।
वित्त वर्ष 2020- 21 की पहली तिमाही में कुल एडवांस कलेक्शन में 76.05 प्रतिशत की भारी गिरावट आई और यह 11,714 करोड़ रुपये पर आ गया. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 48,917 करोड़ रुपये का रहा था. बजट 2020-21 में टैक्स कलेक्शन 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था. वित्त वर्ष 2019-20 में टैक्स कलेक्शन 21.63 लाख करोड़ रुपये रहा था. साल 2016 में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स तेज़ी से ऊपर जा रहा था लेकिन साल 2020 आते-आते इसमें नेगेटिव ग्रोथ दर्ज हो रही है. पिछले साल अर्थव्यवस्था की पतली होती हालत पर केंद्र सरकार घिरी तो वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में रियायत देने का ऐलान किया था. मकसद निवेश को बढ़ावा देना लेकिन कॉरपोरेट टैक्स में छूट देने से एक तरफ तो सरकार की आमदनी गिरी, वहीं दूसरी तरफ निवेशक भी उत्साहित नहीं हुए और बाज़ार में पैसा नहीं लगाया. साल 2019-20 में वित्तीय घाटा भी बढ़कर 4.6 फीसदी हो गया है. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत ऐसे समय में हुई जब देश लॉकडाउन में था और पूरे देश में महामारी का साया हैं। ऐसे में उद्योगों की कमर टूट गई हैं और व्यापर करना भारी पड़ रहा हैं।
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