IT Rules से छिन सकती है मीडिया की आज़ादीः मद्रास हाईकोर्ट

केन्द्र सरकार के नए IT नियमों को लेकर हंगामा बरपा है। दरअसल मद्रास हाईकोर्ट ने वीरवार को नए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2021 के तहत आने वाले निरीक्षण तंत्र यानि ओवरसाइट मेकेनिज्म पर रोक लगा दी है। अदालत का मानना है कि यह मीडिया से उसकी आज़ादी छीन सकता है और हाई कोर्ट ने यह कहते हुए इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के रूल 9 के सब रूल 1 और सब रूल 3 पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी किया है।
यह मुद्दा गायक टीएम कृष्णा और डिजिटल न्यूज पब्लिक एसोसिएशन की रूल 9 के सब रूल 1 और 3 के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका से जुड़ा है। इस संस्था में तमिलनाडु के 13 मीडिया आउटलेट शामिल हैं। नए डिजिटल नियमों के तहत लाए गए रूल 9 का सब रूल 1 कहता है कि प्रकाशक प्रेस परिषद के दिशानिर्देशों और केबल टीवी कोड के तहत पत्रकारों के लिए आचार संहिता का पालन करेगा जबकि सब रूल 3 में नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में पब्लिशर के खिलाफ आई शिकायतों का निपटारा करने के लिए तीन स्तरीय ढांचे का ज़िक्र किया गया है।
इसके स्तर-3 में केंद्र द्वारा लाया गया ओवरसाइट मेकेनिज्म है। मद्रास हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में बहस की गई है कि ऐसा निगरानी तंत्र जिसमें सरकारी अधिकारी शामिल होंगे, यह मीडिया के संपादकीय कामकाज में राज्य का हस्तक्षेप है।
अदालत ने याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए अपने फैसले में कहा, ‘पहली बार देखने से लगता है कि सरकार द्वारा मीडिया को नियंत्रित करने के लिए निगरानी तंत्र मीडिया को उसकी स्वतंत्रता से वंचित कर सकता है और हो सकता है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बिल्कुल बचे ही न।’
ग़ौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट अकेला नहीं है जिसने केंद्र के नए डिजिटल नियमों पर चिंता जताई है। उससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कुछ ऐसा ही फैसला दिया था। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी आईटी एक्ट के नियम 9 के सब रूल 1 और 3 पर रोक लगा दी थी।
मीडिया वर्ग से नए डिजिटल नियमों के अलग-अलग हिस्सों के खिलाफ आवाज़ उठाई गई हैं। इनमें शिकायत तंत्र के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन, नियमों का पालन न करने पर दंड और सामग्री तक पहुंच को रोकना जैसे नियम शामिल हैं।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने डिजिटल नियमों पर मार्च में एक बयान में कहा था कि नियमों के विभिन्न प्रावधान डिजिटल समाचार मीडिया और बड़े पैमाने पर मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगा सकते हैं। मेसेजिंग कंपनी व्हाट्सऐप ने भी आईटी नियमों को लेकर चिंता जताई थी कि यह उपभोक्ताओं की निजता को ख़त्म कर देंगे। उसने भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में शिकायत भी दर्ज कराई थी।
वहीं इन नियमों के खिलाफ दार याचिकाओं पर सुनवाई के दौराम कई अदालतों ने कहा है कि अगर पब्लिशर्स नियमों का पालन नहीं करते हैं तब भी उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकती है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी ऐसी याचिका पर विचार कर रहा है जिसके ज़रिए नए डिजिटल नियमों के खिलाफ दायर याचिकाओं को इकट्ठा कर दिया जाए।
वहीं अदालतों की चिंताओं से इतर केंद्र आईटी नियमों का बचाव करता आया है। सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में आईटी नियमों की संवैधानिक वैधानिता का बचाव करते हुए इन नियमों का उद्देश्य ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ग़लता इस्तेमाल होने से रोकना बताया था।’
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