"Marks Jihad" - ऑप इंडिया के लिए लेख लिखने वाले DU के प्रोफेसर का बयान

देश में ‘लव-जिहाद’ और ‘यूपीएससी जिहाद’ के बाद अब ‘मार्क्स जिहाद’ की चर्चा हो रही है। यह शब्द डीयू के करोड़ीमल कॉलेज के प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे की केरल बोर्ड के छात्रों पर बीते दिनों एक बेतुकी टिप्पणी के बाद सुनाई दे रहा है। कॉलेज में भौतिकी के प्रोफेसर अशोक कुमार पांडे ने बुधवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि केरल बोर्ड ‘मार्क्स जिहाद’ लागू कर रहा है।
उन्होंने इस पोस्ट में लिखा था, ‘एक कॉलेज के 20 सीटों वाले पाठ्यक्रम में 26 छात्रों को केवल इसलिए प्रवेश देना पड़ा क्योंकि उन सभी के पास केरल बोर्ड से 100 प्रतिशत अंक थे. पिछले कुछ वर्षों से केरल बोर्ड मार्क्स जिहाद लागू कर रहा है।’
इतना ही नहीं प्रोफेसर पांडेय जो कि राइड विंग संगठन राष्ट्र स्वयं सेवक संघ के समर्थित नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी दावा किया कि 100 प्रतिशत अंकों के साथ केरल बोर्ड के छात्रों का डीयू में आवेदन यह सब योजना के तहत किया गया है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में केरल के छात्रों का आना आम बात नहीं है। यह छात्र न तो हिंदी और न ही अंग्रेज़ी ठीक से बोल सकते हैं और इन छात्रों ने 11वीं में शत प्रतिशत अंक हासिल नहीं किए थे। उन्होंने यह भी मांग की कि इस मामले की जांच हो।
पहले भी विवादों में रह चुके राकेश कुमार पांडे को इस टिप्पणी के लिए राजनेताओं के साथ साथ आम जनता के गुस्से का भी सामना करना पड़ रहा है। हालिया विरोध कांग्रेस नेता शशि थरूर जो केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद हैं, ने किया।
उन्होंने प्रोफेसर पांडे की विवादित टिप्पणी से जुड़ी खबर साझा करते हुए लिखा, “मैंने अंकों के आधार पर डीयू में दाखिले की हमेशा आलोचना की है लेकिन यह हास्यास्पद है. यदि जिहाद का मतलब संघर्ष है, तब केरल के छात्रों का 100 प्रतिशत अंक लाना डीयू में दाखिले की संभाव्यता के लिए संघर्ष है. आप उन्हें प्रवेश देने से पहले उनका साक्षात्कार लीजिए लेकिन उनके अंकों पर सवाल नहीं उठाइए।” थरूर ने यह भी कहा कि केरल विरोधी पूर्वाग्रह अब खत्म होना चाहिए।
पांडे की इस टिप्पणी का विरोध करने वालों में केरल में सत्तारूढ़ माकपा के सांसद जॉन ब्रिटास ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद प्रधान को चिट्ठी लिख कर इस मुद्दे को उठाया। कांग्रेस समर्थित एनएनसयूआई और माकपा की छात्र इकाई इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने इस टिप्पणी का अपने स्तर पर विरोध किया। वहीं एबीवीपी ने भी मुद्दा सुलझने तक छात्रों का दाखिला स्थगित करने का राग अलापा है। उसने यह भी मांग की कि डीयू प्रशासन "छात्रों के बीच असमानता पैदा करने वाले बढ़े हुए अंकन के कारण कट-ऑफ में अनुचित वृद्धि पर कार्रवाई करें।”
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केरल बोर्ड के 100 से अधिक छात्र जिन्होंने परीक्षा में शत प्रतिशत अंक हासिल किए थे, उनका डीयू में दाखिला अंकों को लेकर हुए भ्रम के चलते रोक दिया गया था हालांकि बाद में केरल बोर्ड से संपर्क कर शंका दूर होने पर रोक हटाई गई।
अब इतनी आलोचना होने के बाद भी प्रोफेसर पांडे अपने बयान से हिले नहीं हैं बल्कि उन्होंने वामपंथ की तुलना ‘जिहाद’ से कर दी है।
वामपंथी और जिहादियों को एक समान बताते हुए पांडे ने कहा, “लव जिहाद से हमारा क्या मतलब है? इसका मतलब है जब आप धर्म के प्रचार के लिए प्यार का दुरुपयोग करने लगते हैं. यह मार्क्स जिहाद वह है, जब आप वामपंथी विचारधारा फैलाने के लिए अंकों का दुरुपयोग करते हैं. मेरे लिए वामपंथी और जिहादी एक जैसे ही हैं।”
वैसे प्रोफेसर और बेतुके बयानों का पुराना रिश्ता है।
इससे पहले उन्होंने दिसंबर महीने में एक ब्लॉगपोस्ट में डीयू को दूसरी “वामपंथी केंद्र” के रूप में स्थापित होने से बचाने की बात कही थी। इतना ही नहीं बिना किसी सबूत के RSS विचारक राकेश पांडे ने दिल्ली हिंसा के पीछे भी केरलवासियों के हाथ होने का दावा किया था।
ताज़ा वीडियो