भूख से जूझ रही ग़रीब जनता तक अनाज बांटने में कई राज्य बुरी तरह फ़ेल

by Rahul Gautam 3 years ago Views 1836

Many states have failed badly in distributing food
70 दिन से ज्यादा चले सख्त लॉकडाउन से ना तो कोरोना वायरस का संक्रमण रुका और ना ही अर्थव्यवस्था बची. 23.9 फीसदी तक सिकुड़कर अर्थव्यवस्था रसातल में जा चुकी है और जिसकी क़ीमत देश का सबसे ग़रीब तबका चुका रहा है. इस तबके के लिए लिए 2 जून की रोटी जुटाना भी मुहाल हो गया है. 


लॉकडाउन में कोई भूखा ना सोेए इसके लिए केंद्र सरकार ने मई में आत्म-निर्भर भारत पैकेज की घोषणा की थी. इसके तहत हर प्रवासी मज़दूर/गरीब परिवार को 5 किलो अनाज और 1 किलो चना मिलना था लेकिन ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि जितना राशन केंद्र सरकार ने राज्यों को गरीबों में मुफ्त बांटने के लिए दिया था, उसका आधा गरीबों के पास पंहुचा ही नहीं.

उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक केवल 33 प्रतिशत अनाज और 56 प्रतिशत चना ही गरीब/प्रवासी मजदूरों को आवंटित किया गया है. इसका मतलब यह है कि कई राज्य सरकारों ने तो आवंटित राशन/अनाज को बांटने की ज़हमत भी नहीं उठायी. यह हाल तब है जब ग़रीबों को खाने के लाले पड़े हुए हैं.

आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार ने गरीब मजदूरों के लिए 8 लाख टन गेहूं और चावल इस योजना के लिए आवंटित किये थे। इसमें से लगभग 6.38 लाख टन खाद्यान्न

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने लिए अलॉट भी करवाया था लेकिन पिछले चार महीनों में केवल 2.64 लाख टन अनाज ही लाभार्थियों में बांटा जा सका. यानी कुल आवंटन का महज़ 33 फ़ीसदी.

बता दें कि 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने कोटे का 100 फीसदी अनाज अपने लिए आवंटित करा लिया था लेकिन केवल 4 राज्य बिहार, छत्तीसगढ़, नागालैंड और ओडिशा ने ही 100 फीसदी उसका वितरण किया. वहीं आंध्र प्रदेश ने अनाज का कोई वितरण नहीं किया जबकि तेलंगाना ने 1 फीसदी और गोवा ने 3 प्रतिशत अनाज बांटा. गुजरात ने इस योजना के तहत लगभग 88 प्रतिशत खाद्यान्न उठाया, लेकिन केवल 1 प्रतिशत ही वितरण किया.

खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों से भी पता चलता है कि 29,132 टन चने के आवंटन में से, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 31 अगस्त तक लगभग 16,323 टन वितरित किए. केवल दिल्ली और मणिपुर ने चने के 100 प्रतिशत वितरण की सूचना दी है. उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गोवा, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, लद्दाख और लक्षद्वीप में चने के 10 प्रतिशत से कम वितरण की सूचना है. 

इससे पहले शोध संस्था डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्ज़ ने अपनी एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि 25 फ़ीसदी लोग खाने की कमी से जूझ रहे हैं और 16 फ़ीसदी लोगों ने पैसे की कमी के चलते अपनी खाने की आदतों में बदलाव कर लिया है या फिर खाने पर होने वाले खर्च में कटौती कर दी है.

लॉकडाउन में गरीबों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 मई को प्रवासियों को दो महीने के लिए मुफ्त खाद्यान्न देने की घोषणा की थी, जो न तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी थे और न ही उनके पास राज्य में एक राशन कार्ड था।

ताज़ा वीडियो