निशाने पर ममता, बीजेपी को सफलता: कांग्रेस को कमज़ोर करने की 'पूर्व नियोजित साज़िश' ?

by M. Nuruddin 1 year ago Views 1556

माना जा रहा है कि आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी के और भी नेता टीएमसी में शामिल सकते हैं जो भाजपा के लिए "कांग्रेस मुक्त भारत" की दिशा में एक सफलता साबित हो सकती है...

Mamta on target: Congress leaders leaving Congress
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब एक तीसरे मोर्चे की तैयारी में सार्वजनिक तौर पर जुट गई हैं। ममता बनर्जी और एनसीपी चीफ शरद पवार के बीच बुधवार को मुंबई में हुई मीटिंग इसी संभावित मोर्चे को अमलीजामा पहनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

ममता बनर्जी ने शरद पवार के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के ख़त्म होने की वक़ालत की है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि "क्या यूपीए ? अब कोई यूपीए नहीं है।"


ममता बनर्जी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। क़यास लगाए जा रहे हैं कि ममता बनर्जी के इस बयान से ज़ाहिर होता है कि वो अब तीसरे मोर्चे को संगठित करने की दिशा में सक्रीय हो रही हैं।

मुंबई में एक कार्यक्रम में, टीएमसी प्रमुख ने कहा कि अगर सभी क्षेत्रीय दल एक साथ आते हैं तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना बहुत आसान होगा।

तृणमूल कांग्रेस 2004 से 2014 के बीच यूपीए का ही हिस्सा थी। यूपीए कांग्रेस की अगुवाई में कई क्षेत्रीय दलों का एक गठबंधन था जिसकी दस साल केन्द्र में सरकार रही। इसके बाद 2014 में बीजेपी आ गई।

हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की बड़ी जीत के बाद उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था।

इसी दिशा में ममता बनर्जी अलग-अलग दलों के नेताओं से मुलाक़ात कर रही थीं। जानकार मानते हैं कि मुंबई में एनसीपी चीफ शरद पवार से ममता की मुलाक़ात के बाद अब साफ हो गया है कि वो अन्य दलों को सक्रीयता के साथ संगठित कर रही हैं।

हालांकि ममता बनर्जी के इन क़दमों को बीजेपी को टक्कर देने से पहले कांग्रेस को टक्कर देने वाला माना जा रहा है। बीजेपी और उसके नेताओं का शुरु से ही कांग्रेस मुक्त भारत का एजेंडा रहा है, जिसमें वे सफल होते दिख रहे हैं।

मसलन ममता बनर्जी पिछले हफ्ते अपने दिल्ली यात्रा के दौरान अन्य समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं से मुलाक़ात की लेकिन कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात नहीं किया। जबकि इससे पहले दिल्ली यात्रा पर आईं ममता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के नेता राहुल गांधी से मुलाक़ात की थी। इसके बाद टीएमसी के नेता गाहेबगाहे कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते भी दिखे। 

कांग्रेस नेताओं का ममता बनर्जी पर हमला !

अब कांग्रेस पार्टी के नेता भी इस मामले में सामने आ गए हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच बुधवार रात मीटिंग हुई है जिसमें टीएमसी और ममता बनर्जी को काउंटर करने पर चर्चा की गई।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "हमने उन्हें (तृणमूल को) विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों में शामिल करने की कोशिश की है, जहां कांग्रेस ने अपना नाम बनाया है। विपक्ष को बंटना नहीं चाहिए और उन्हें आपस में लड़ना नहीं चाहिए, हम सबको साथ मिलकर बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ना है।"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिबल ने ट्विटर पर लिखा "कांग्रेस के बिना यूपीए बिना आत्मा का एक शरीर होगा। विपक्षी एकता दिखाने का समय।"

कांग्रेस पार्टी के पश्चिम बंगाल से लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ही अबतक तृणमूल कांग्रेस पर हमले कर रहे थे। उन्होंने मुंबई में शरद पवार और ममता की मीटिंग को पुरानी पार्टी को कमज़ोर करने की एक "पूर्व नियोजित साज़िश" क़रार दिया और आरोप लगाया कि टीएमसी बीजेपी के लिए "ऑक्सीज़न सप्लायर" बन गई है।

ग़ौरतलब है कि कांग्रेस और वाम दलों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी और बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ा था। अब तक कांग्रेस की यही रणनीति रही है कि विपक्षी एकता के नाम पर रिश्ते सुधारने की गुंजाइश हो। पार्टी का एक तबका भी लंबे समय से ममता के साथ तालमेल के पक्ष में रहा है।

कांग्रेस के नेता टीएमसी को मान रहे विकल्प !

तृणमूल कांग्रेस अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में पश्चिम बंगाल से निकलकर पूर्वोत्तर के राज्यों में अपना पैठ बना रही है। इसी कड़ी में मेघालय में कांग्रेस पार्टी के 17 विधायकों में 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, जो सबसे पूरानी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।

कांग्रेस के साथ लंबे समय से जुड़े रहे कई नेता भी अब टीएमसी को विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी से नाराज़ होकर पार्टी के नेता टीएमसी का दामन थाम रहे हैं। सितंबर महीने में गोवा के पूर्व मूख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और टीएमसी में शामिल हो गए।

पूर्व सीएम के टीएमसी में जाने के बाद कांग्रेस के 9 और नेताओं ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और टीएमसी में चले गए। 

असम के सिलचर से कांग्रेस सांसद और महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव अगस्त महीने में टीएमसी में शामिल हो गईं थीं। उन्हें त्रिपुरा में टीएमसी के चुनावी मामलों को देखने का काम सौंपा गया है।

बिहार से कांग्रेस नेता कीर्ती झा आज़ाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर जो राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे, वो भी टीएमसी में चले गए हैं जो कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है।

इन नेताओं के टीएमसी में जाने से पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित होने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी के और भी नेता टीएमसी में शामिल सकते हैं जो भाजपा के लिए "कांग्रेस मुक्त भारत" की दिशा में एक सफलता साबित हो सकती है।

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