कश्मीर का हाल : बिना 370 एक साल

by Rahul Gautam 3 years ago Views 1992

 Kashmir condition: A Year Without Article 370
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को एक साल बीत गया है। पिछले एक साल में कश्मीर भी काफी बदल गया। जहां एक तरफ कश्मीर अब एक राज्य ना होकर एक केंद्र शासित प्रदेश है, वहीं इसके ज़मीनी हालात से अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि कश्मीर में अभी तक जीवन सामान्य नहीं हुआ है। समझिये इस रिपोर्ट से अलगाववाद से लेकर राजनीती और आम इंसान की ज़िंदगी पिछले एक साल में कितनी बदली है।

बात करें आतंकवाद की तो आंकड़े बताते हैं धारा 370 ख़त्म होने के बाद, उग्रवाद में शामिल होने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या में 40 प्रतिशत की कमी आई है और आतंक से संबंधित घटनाओं में 188 से 120 तक की गिरावट आई है। कुल मिलाकर पिछले सात महीनों (जनवरी) में 136 आतंकवादी मारे गए हैं से 30 जुलाई, 2020), जिसमें से 110 स्थानीय कश्मीरी हैं और बाकी विदेशी हैं। पिछले साल मारे गए आतंकवादियों की संख्या 128 थी। हालांकि, आंकड़े पूरी कहानी नहीं बताते हैं। कोरोना महामारी, इंटरनेट बैन और सुरक्षा, लॉकडाउन के कारण भी इन आंकड़ों में कमी आ सकती है।


बात करें राजनीतिक गलियारों की The Forum for Human Rights in J&K द्वारा जुलाई 2020 में जारी एक रिपोर्ट बताती है कि एक समय घाटी में 6 हज़ार 605 राजनीतिक कार्यकर्ताओं (144 नाबालिगों सहित) को हिरासत में ले लिया गया था। हालांकि उमर और फ़ारूक़ अब्दुल्लाह सहित कई लोगों को रिहा कर दिया गया है लेकिन महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन और सैफुद्दीन सोज़ सहित कई बड़े नेता अब भी हिरासत में हैं।

विवादित कानून पब्लिक सेफ्टी एक्ट के अंतर्गत 444 मामले दर्ज़ किये गए हैं। इसके अलावा कई नेताओं की सुरक्षा को डाउनग्रेड कर दिया गया और ख़तरे के कारण उनकी घूमने-फिरने की आज़ादी ख़त्म हो चुकी है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा दे चुके हैं। गिलानी ने तब पाकिस्तान के अलगाववादी नेतृत्व पर भाई-भतीजावाद और राजनीतिक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

धारा 370 हटने को एक साल हो चला है लेकिन घाटी में सुरक्षा कारणों से हुआ इंटरनेट बंद अब तक सामान्य नहीं हो पाया है। ये दुनिया में सबसे लंबे चले इंटरनेट शटडाउन में शामिल हो चूका है।हालांकि, 2जी इंटरनेट बहाल कर दिया गया है लेकिन सोशल मीडिया और केवल चुनिंदा वेबसाइट को ही एक्सेस किया जा सकता है।

ज़ाहिर है अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ा है। आम आदमी की ज़िंदगी में भी सुकून आना बाकि है। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने अनुमान लगाया है कि अगस्त 2019 से अकेले कश्मीर घाटी में लगभग 40 हज़ार करोड़ का नुक्सान हुआ है और लगभग 5 लाख नौकरियां चली गई है।

बात करें पर्टयन उद्योग की तो, उसे भी तगड़ा झटका लगा है। जहां साल 2017 में 6 लाख 11 हज़ार 544 सैलानी आये हैं, वहीं 2018 में ये आंकड़ा घटकर 3 लाख 16 हज़ार 424 रह गया और 2019 में ये और घटकर मात्र 43 हज़ार 059 रह गया।

इन आंकड़ों से साफ़ है कि अभी भी धारा 370 का कितना सकारात्कमक प्रभाव पड़ा है, कहना मुश्किल है।

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