जम्मू-कश्मीर: सात महीने बाद रिहा किए गए फारूक़ अब्दुल्लाह, दोनों पूर्व मुख्यमंत्री अब भी नज़रबंद

तक़रीबन सात महीने से नज़रबंद चल रहे सांसद फारूक़ अब्दुल्लाह पर से जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट हटा लिया है. हालांकि फारूक़ अब्दुल्लाह के बेटे और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्लाह समेत तमाम राजनीतिक कार्यकर्ता अभी भी पीएसए के तहत नज़रबंद हैं.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और नेशनल कांफ्रेंस के चेयरमैन फारूक़ अब्दुल्लाह की नज़रबंदी सात महीने बाद ख़त्म हो गई. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट हटाने के साथ-साथ फारूक़ अब्दुल्लाह की रिहाई के आदेश दिए हैं. फारूक़ अब्दुल्लाह की बेटी सफ़िया अब्दुल्लाह ने नज़रबंदी ख़त्म करने का आदेश ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘मेरे पिता फिर से एक आज़ाद शख़्स हैं.’
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म किया था और उस वक़्त घाटी के सैकड़ों जन प्रतिनिधियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नज़रबंद किया था. उनमें सांसद फारूक़ अब्दुल्लाह भी शामिल थे. पीडीपी सांसदों ने कहा कि उनकी रिहाई में सरकार ने काफी देर कर दी लेकिन अब अन्य बंदियों को भी रिहा किया जाना चाहिए. वीडियो देखिए फारूक़ अब्दुल्लाह के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह, पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती अभी भी नज़रबंद हैं. सरकार ने उनपर भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा रखा है. इस क़ानून के तहत बिना किसी ट्रायल के किसी को भी दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म किया था और उस वक़्त घाटी के सैकड़ों जन प्रतिनिधियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नज़रबंद किया था. उनमें सांसद फारूक़ अब्दुल्लाह भी शामिल थे. पीडीपी सांसदों ने कहा कि उनकी रिहाई में सरकार ने काफी देर कर दी लेकिन अब अन्य बंदियों को भी रिहा किया जाना चाहिए. वीडियो देखिए फारूक़ अब्दुल्लाह के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह, पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती अभी भी नज़रबंद हैं. सरकार ने उनपर भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा रखा है. इस क़ानून के तहत बिना किसी ट्रायल के किसी को भी दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.
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