इंदौरः घर में रहें तेंदुआ बाहर है!

इंदौर के एक ज़ू से गायब हुए तेंदुए का अब तक पता नहीं चल सका है। तेंदुए को गायब हुए 72 घंटे से ज़्यादा का समय बीत चुका है। जानवर शुक्रवार रात को बुरहानपुर से इंदौर के एक ज़ू कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय लाते समय भाग गया था। अधिकारियों को तेंदुए के लापता होने की खबर होने के साथ ही आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसे पकड़ने के लिए जाल और बिंजरे बिछाए गए हैं हालांकि अधिकारी अभी तक तेंदुए का पता लगाने में नाकाम रहे हैं।
तेंदुआ दरअसल 6 महीने का बच्चा है। वह घायल था इसलिए इलाज के लिए बुरहानपुर के नेपा नगर से इंदौर के इस ज़ू में लाया जा रहा था लेकिन ज़ू पहुंचने पर उसका इलाज नहीं किया गया बल्कि उसे बुरहानपुर वन टीम से लेने से भी इंकार कर दिया गया। देर रात जब घायल तेंदुए की सुपुर्दगी नहीं ली गई तो उसे रेस्क्यू कर लाई टीम ने जानवर को पिंजरे समेत जिस कार में वह लाया गया था, उसे चिड़ियाघर में ही पार्क कर दिया और इसके ऊपर एक तार्पुलिन ढक दी गई।
सुबह जब डॉक्टर चिड़ियाघर में तेंदुए का इलाज करने आए तो वह गायब था और तबसे ही ज़ू और दूसरे इलाकों में हड़कंप मचा हुआ है। जांच में पाया गया कि तेंदुए को बिल्कुल खराब पिंजरे में ज़ू में लाया गया। इस पिंजरे की जाली जारजार थी जिसे कि संभव है कि तेंदुआ तोड़कर भाग गया। ऐसे में तेंदुए को बचाकर लाने वाली टीम पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। तेंदुए को ज़ू में लाने वाली टीम ने गाड़ी ऐसी जगह पार्क की जहां तीन सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे हालांकि जब घायल जंगली जानवर का पता लगाने के लिए इन्हें चेक किया तो अथॉरिटी की एक और लापरवाही सामने आई और पता चला कि सीसीटीवी काम नहीं कर रहा है।
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अब तेंदुए के बारे में कोई भी जानकारी के अभाव में अलग अलग संभावनाएं जताई जा रही हैं। शुक्रवार को सुबह 4 बजे सीसीटीवी में कैद फुटेज के आधार पर कहा जा रहा है कि तेंदुआ चिड़ियाघर के अंदर ही कहीं है। इस बिंदु को अहम मानते हुए चिड़ियाघर को बंद कर दिया गया है। वहीं शुक्रवार को दोपहर में ज़ू से सटे नाले में ताज़ा खून के दाग मिले जिसके बाद अंदाज़ा लगाया गया कि तेंदुए ने किसी को शिकार बनाया हो या फिर वह खुद घायल है और हो सकता है यह खून उसका ही हो।
कुछ दावों के आधार पर कहा जा रहा है कि तेंदुआ असल में ज़ू पहुंचा ही नहीं और यह रास्ते में ही पिंजरे से निकल गया है। अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ है तो तेंदुआ बुरहानपुर और ज़ू के रास्ते में कहीं भी हो सकता है और इसे ढूंढना मुश्किल होगा।
ऐसी ही एक घटना में पहले भी ज़ू से एक बाध पिंजरे से कूद कर बाहर आ गया था तब रेस्क्यू टीम को लापरवाही का ज़िम्मेदार ठहराया गया था। इंदौर में इस साल सबसे घातक हमलों में से एक में 11 महीने की बच्ची की मौत हो गई थी। एक तेंदुआ 11 मार्च को लिम्बोडी के शिवधाम कॉलोनी में घुसा और एक बच्ची, रेस्क्यू टीम समेत 6 लोगों को घायल कर गया था। घटना में 11 महीने की बच्ची गंभीर रूप से ज़ख्मी हुई थी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
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