भारत की भैंस अब अमेरिका जाएगी, दोनों देश में समझौता !
APEDA की वेबसाइट पर ऐसे 63 फूड प्रोसेसिंग प्लांट की जानकारी दी गई है जिनमें 30 यानि 50 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश में स्थित है...

भारत और अमेरिका के बीच कृषि उत्पादों के व्यापार को लेकर कुछ समझौते हुए हैं। इनमें यूएस चेरी, अल्फाल्फा, और डिस्टिलर के सूखे अनाज, साथ ही भारतीय आम, अंगूर, झींगा और भैंस के मांस शामिल हैं। चार सालों में यह पहली बार था जब दोनों देश ट्रेड पॉलिसी फोरम की बैठक में एक साथ आए।
इसके साथ ही यह पहली बार है जब भारत और अमेरिका के बीच भैंस के मांस के निर्यात को लेकर आधिकारिक तौर पर इस तरह के समझौते हुए हैं।
भारत में भैंस, भेड़ और बकरियां, सूअर और कुक्कुट सहित सबसे बड़ी पशुधन आबादी है, जो आम तौर पर मांस उत्पादों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। भारत में लगभग 3,600 बूचड़खाने हैं, जिनमें कई बूचड़खाने आधुनिक तौर पर स्थापित किए गए हैं। इन बूचड़खानों का इस्तेमाल मांस के निर्यात और घरेलू खपत में किया जाता है। पशु उत्पादों में 90 फीसदी भैंस के मांस का निर्यात ! APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के मुताबिक़ देश में 34 मीट प्रोसेसिंग प्लांट हैं जिनमें 13 ऐसे हैं जो सिर्फ निर्यात के लिए बनाए गए हैं और जो मुख्य रूप से मांस के निर्यात का काम करती हैं। ग़ौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भैंस के मांस की मांग में अचानक बढ़ोत्तरी हुई है और भारत के कुल पशु उत्पादों के निर्यात में 90 फीसदी हिस्सा अकेले भैंस के मांस का ही होता है। APEDA के मुताबिक़ पिछले एक साल में मांस निर्यात के लिए तीन नए प्लांट स्थापित करने किए जाने के लिए अप्रूवल भी मिले हैं, जिसका मतलब है कि आने वाले समय में भारत मांस निर्यात का विस्तार कर सकता है और अमेरिका से मांस निर्यात पर क़रार इसी कड़ी का एक हिस्सा हो सकता है। मसलन स्टेटिस्टा के मुताबिक़ साल 2015 में भारत ने 4.78 अरब डॉलर की लागत के भैंस का मांस विदेशों में निर्यात किया था, जो साल 2020-21 के दौरान गिरकर 3.17 अरब डॉलर पर आ गया। हालांकि यह उससे पिछले साल 3.18 अरब डॉलर के निर्यात की तुलना में कम है लेकिन फिर भी भारत गोमांस जिसमें भैंस का मांस भी शामिल है के निर्यात के मामले में सबसे बड़े निर्यातकों में एक है। साल 2020-21 के दौरान भारत के पशु उत्पादों का निर्यात 27,155.56 करोड़ रूपये रहा जिनमें अकेले भैंस के मांस का निर्यात 23,460.38 करोड़ रूपये (3.17 अरब डॉलर) रहा था। भैंस निर्यात: 50 फीसदी फूड प्रोसेसिंग यूनिट उत्तर प्रदेश में स्थित ! भैंस के मांस के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य प्रमुख हैं जहां से विदेशों में मांस का निर्यात सबसे ज़्यादा होता है। APEDA की वेबसाइट पर ऐसे 63 फूड प्रोसेसिंग प्लांट की जानकारी दी गई है जिनमें 30 यानि 50 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश में स्थित है। भारत का भैंस निर्यात ! सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2020-21 के दौरान भारत ने 10,85,619.93 मीट्रिक टन भैंस के मांस उत्पादों का निर्यात किया। भैंस के मांस के लिए भारत के मुख्य निर्यातक देशों में हांगकांग, वियतनाम, मलेशिया, एजिप्ट और इंडोनेशिया शामिल हैं और अब आने वाले समय में अगर भारत अच्छी गुणवत्ता का मांस निर्यात करता है तो अमेरिका भी इस लिस्ट में शामिल हो सकता है। दरअसल दोनों देशों के बीच गौमांस निर्यात पर अमेरिका एग्रिकल्चर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के चार साल बाद समझौते हुए हैं जिसमें भारतीय भैंस के मांस की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट में भारतीय भैंस के मांस को ख़राब क्वालिटी का बताया गया था। इस बीच कई ऐसे मीडिल ईस्ट देश थे जिसने भारत से मांस इंपोर्ट करना कम कर दिया या बंद कर दिया। रिपोर्ट 'फ्रॉम द बफेलो रोम: इंडियाज बीफ एक्सपोर्ट्स' में कहा गया था कि भैंस के मांस का भारतीय निर्यात स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं करता है, जिसमें पैर और मुंह की बीमारी से मुक्त स्थिति शामिल है, जो अमेरिका के अधिकांश उच्च कीमतों वाले बाज़ारों की मांग और ज़रूरत है।
भारत में भैंस, भेड़ और बकरियां, सूअर और कुक्कुट सहित सबसे बड़ी पशुधन आबादी है, जो आम तौर पर मांस उत्पादों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। भारत में लगभग 3,600 बूचड़खाने हैं, जिनमें कई बूचड़खाने आधुनिक तौर पर स्थापित किए गए हैं। इन बूचड़खानों का इस्तेमाल मांस के निर्यात और घरेलू खपत में किया जाता है। पशु उत्पादों में 90 फीसदी भैंस के मांस का निर्यात ! APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के मुताबिक़ देश में 34 मीट प्रोसेसिंग प्लांट हैं जिनमें 13 ऐसे हैं जो सिर्फ निर्यात के लिए बनाए गए हैं और जो मुख्य रूप से मांस के निर्यात का काम करती हैं। ग़ौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भैंस के मांस की मांग में अचानक बढ़ोत्तरी हुई है और भारत के कुल पशु उत्पादों के निर्यात में 90 फीसदी हिस्सा अकेले भैंस के मांस का ही होता है। APEDA के मुताबिक़ पिछले एक साल में मांस निर्यात के लिए तीन नए प्लांट स्थापित करने किए जाने के लिए अप्रूवल भी मिले हैं, जिसका मतलब है कि आने वाले समय में भारत मांस निर्यात का विस्तार कर सकता है और अमेरिका से मांस निर्यात पर क़रार इसी कड़ी का एक हिस्सा हो सकता है। मसलन स्टेटिस्टा के मुताबिक़ साल 2015 में भारत ने 4.78 अरब डॉलर की लागत के भैंस का मांस विदेशों में निर्यात किया था, जो साल 2020-21 के दौरान गिरकर 3.17 अरब डॉलर पर आ गया। हालांकि यह उससे पिछले साल 3.18 अरब डॉलर के निर्यात की तुलना में कम है लेकिन फिर भी भारत गोमांस जिसमें भैंस का मांस भी शामिल है के निर्यात के मामले में सबसे बड़े निर्यातकों में एक है। साल 2020-21 के दौरान भारत के पशु उत्पादों का निर्यात 27,155.56 करोड़ रूपये रहा जिनमें अकेले भैंस के मांस का निर्यात 23,460.38 करोड़ रूपये (3.17 अरब डॉलर) रहा था। भैंस निर्यात: 50 फीसदी फूड प्रोसेसिंग यूनिट उत्तर प्रदेश में स्थित ! भैंस के मांस के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य प्रमुख हैं जहां से विदेशों में मांस का निर्यात सबसे ज़्यादा होता है। APEDA की वेबसाइट पर ऐसे 63 फूड प्रोसेसिंग प्लांट की जानकारी दी गई है जिनमें 30 यानि 50 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश में स्थित है। भारत का भैंस निर्यात ! सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2020-21 के दौरान भारत ने 10,85,619.93 मीट्रिक टन भैंस के मांस उत्पादों का निर्यात किया। भैंस के मांस के लिए भारत के मुख्य निर्यातक देशों में हांगकांग, वियतनाम, मलेशिया, एजिप्ट और इंडोनेशिया शामिल हैं और अब आने वाले समय में अगर भारत अच्छी गुणवत्ता का मांस निर्यात करता है तो अमेरिका भी इस लिस्ट में शामिल हो सकता है। दरअसल दोनों देशों के बीच गौमांस निर्यात पर अमेरिका एग्रिकल्चर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के चार साल बाद समझौते हुए हैं जिसमें भारतीय भैंस के मांस की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट में भारतीय भैंस के मांस को ख़राब क्वालिटी का बताया गया था। इस बीच कई ऐसे मीडिल ईस्ट देश थे जिसने भारत से मांस इंपोर्ट करना कम कर दिया या बंद कर दिया। रिपोर्ट 'फ्रॉम द बफेलो रोम: इंडियाज बीफ एक्सपोर्ट्स' में कहा गया था कि भैंस के मांस का भारतीय निर्यात स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं करता है, जिसमें पैर और मुंह की बीमारी से मुक्त स्थिति शामिल है, जो अमेरिका के अधिकांश उच्च कीमतों वाले बाज़ारों की मांग और ज़रूरत है।
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