भारत में बिजली की खपत पर पड़ा लॉकडाउन का असर, 35 सालों में पहली बार आई गिरावट

दिन भर दिन कोरोना फिर अपने पैर पसार रहा है और अगर अतीत को देखें तो कोरोना और कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन ने बहुतों को अलग अलग तरह से नुक़सान पहुँचाया है। अब बिजली के खपत के आंकड़े सामने आए हैं और कोरोना और लॉकडाउन का असर उनपर भी साफ़ साफ़ देख जा सकता है।
भारत में सालाना बिजली की खपत में पिछले 35 सालों में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है। रॉयटर्स द्वारा की गई सरकारी आंकड़ों की समीक्षा दिखाती है कि इसकी मुख्य वजह देशभर में लागू किया गया सख्त लॉकडाउन रहा है। गौरतलब है कि फेडरल ग्रिड ऑपरेटर से दैनिक लोड डिस्पैच डेटा के विश्लेषण से भी पता चला है कि पिछले वर्ष की तुलना में देश में वित्त वर्ष में बिजली उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं मार्च से अगस्त के बीच लॉकडाउन पीरियड में उत्पादन में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। डेटा के मुताबिक उपभोग में कमी की वजह से ही उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई थी।
डेटा के मुताबिक मार्च 2021 में पिछले साल की तुलना में बिजली की डिमांड में 23.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। यह वित्त वर्ष में लगातार सातवीं मासिक बढ़ोतरी रही। दरअसल अगस्त में जब सब अनलॉक होने लगा तो हर महीने बिजली की डिमांड भी बढ़ने लगी। गौरतलब है कि ये साल 2010 के बाद से सबसे ज़्यादा मासिक वृद्धि रही है। ऐसे में साफ़ हो जाता है कि लॉकडाउन के दौरान बिजली का उपभोग काफी कम हुआ। डेटा के मुताबिक मार्च 2021 में बिजली का उत्पादन पिछले 6 महीनों में 6 फीसदी औसत वृद्धि की तुलना में काफी तेज़ी से बढ़ा है। दरअसल साल 2020 में लॉकडाउन की वजह से बिजली के उपभोग में कमी हुई तो उत्पादन भी गिर गया था। वहीं उत्तरी भारत में मार्च में दर्ज किए गए उच्च तापमान और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के कारण इस साल बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। एयर कंडीशनिंग का उपयोग भी ज़्यादा किया जा सकता है। ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में बिजली के उत्पादन और डिमांड दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
डेटा के मुताबिक मार्च 2021 में पिछले साल की तुलना में बिजली की डिमांड में 23.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। यह वित्त वर्ष में लगातार सातवीं मासिक बढ़ोतरी रही। दरअसल अगस्त में जब सब अनलॉक होने लगा तो हर महीने बिजली की डिमांड भी बढ़ने लगी। गौरतलब है कि ये साल 2010 के बाद से सबसे ज़्यादा मासिक वृद्धि रही है। ऐसे में साफ़ हो जाता है कि लॉकडाउन के दौरान बिजली का उपभोग काफी कम हुआ। डेटा के मुताबिक मार्च 2021 में बिजली का उत्पादन पिछले 6 महीनों में 6 फीसदी औसत वृद्धि की तुलना में काफी तेज़ी से बढ़ा है। दरअसल साल 2020 में लॉकडाउन की वजह से बिजली के उपभोग में कमी हुई तो उत्पादन भी गिर गया था। वहीं उत्तरी भारत में मार्च में दर्ज किए गए उच्च तापमान और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के कारण इस साल बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। एयर कंडीशनिंग का उपयोग भी ज़्यादा किया जा सकता है। ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में बिजली के उत्पादन और डिमांड दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
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