पॉवर आइसलैंड बनाने का भारत का विचार
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केन्द्र सरकार बिजली ग्रिड पर संभावित हमलों से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा के लिए कई शहरों में तथाकथित पावर आइलैंडिंग सिस्टम बनाने की योजना पर चर्चा कर रही है। यह बात बिजली मंत्री राज कुमार सिंह ने संसद में बताई है।
उन्होंने बताया कि बेंगलुरु जिसे भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में जाना जाता है, और जामनगर, जिसमें भारत की दो सबसे बड़ी तेल रिफाइनरियां हैं, इन दो जगहों के आइसलैंडिंग सिस्टम के लिए मूल्यांकन किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में मौजूदा व्यवस्थाओं में सुधार किया जा रहा है।
माना जा रहा है कि केन्द्र ने यह योजना पिछले साल मुंबई में एक प्रमुख बिजली आइटेज के बाद बनाई जा रही है। इससे मुंबई शहर में कामकाज ठप पड़ गया था और उसे साइबर हमले का नतीज़ा बताया गया था। तब देश की न्यूक्लियर पॉवर मोनोपोली ने बताया था कि पॉवर जेनरेशन प्लांट के एक सिस्टम में मैलवेयर द्वारा हमला किया गया था। ग़ौरतलब है कि दुनियाभर में पॉवर ग्रिड तेज़ी से डिजिटल हो रहे हैं, यही वजह है कि वे इस तरह के हमलों की चेपट में आ रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी करना अहम है। आइलैंडिंग सिस्टम में उत्पादन क्षमता ज़्यादा होती है और एक आउटेज की स्थिति में मुख्य ग्रिड से स्वचालित रूप से अलग हो सकता है। नए सिस्टम के लिए, इसके लिए राज्यों को उत्पादन और भंडारण क्षमता स्थापित करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने की ज़रूरत होगी। इनके अलावा वाणिज्यिक और औद्योगिक परिसरों, शॉपिंग मॉल, हवाई अड्डों, रक्षा इकाइयों, रेलवे स्टेशनों और अस्पतालों जैसे छोटे क्षेत्रों के लिए अलग से एक सिस्टम बनाने के सुझाव दिए गए हैं। सुझाव दिया गया है कि यह सिस्टम मुख्य नेटवर्क से जुड़ा होगा और आउटेज की स्थिति में स्वचालित रूप से अलग हो सकता है। माइक्रोग्रिड बैटरी और रूफटॉप सोलर सिस्टम से चलेंगे।
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माना जा रहा है कि केन्द्र ने यह योजना पिछले साल मुंबई में एक प्रमुख बिजली आइटेज के बाद बनाई जा रही है। इससे मुंबई शहर में कामकाज ठप पड़ गया था और उसे साइबर हमले का नतीज़ा बताया गया था। तब देश की न्यूक्लियर पॉवर मोनोपोली ने बताया था कि पॉवर जेनरेशन प्लांट के एक सिस्टम में मैलवेयर द्वारा हमला किया गया था। ग़ौरतलब है कि दुनियाभर में पॉवर ग्रिड तेज़ी से डिजिटल हो रहे हैं, यही वजह है कि वे इस तरह के हमलों की चेपट में आ रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी करना अहम है। आइलैंडिंग सिस्टम में उत्पादन क्षमता ज़्यादा होती है और एक आउटेज की स्थिति में मुख्य ग्रिड से स्वचालित रूप से अलग हो सकता है। नए सिस्टम के लिए, इसके लिए राज्यों को उत्पादन और भंडारण क्षमता स्थापित करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने की ज़रूरत होगी। इनके अलावा वाणिज्यिक और औद्योगिक परिसरों, शॉपिंग मॉल, हवाई अड्डों, रक्षा इकाइयों, रेलवे स्टेशनों और अस्पतालों जैसे छोटे क्षेत्रों के लिए अलग से एक सिस्टम बनाने के सुझाव दिए गए हैं। सुझाव दिया गया है कि यह सिस्टम मुख्य नेटवर्क से जुड़ा होगा और आउटेज की स्थिति में स्वचालित रूप से अलग हो सकता है। माइक्रोग्रिड बैटरी और रूफटॉप सोलर सिस्टम से चलेंगे।
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