UAPA के तहत होने वाली गिरफ्तारियों में इज़ाफा, 75 % मामलो में अबतक चार्जशीट दाखिल नहीं : गृह मंत्रालय

by Rahul Gautam 3 years ago Views 1947

Increase in arrests under UAPA, 75% cases have not
देश में UAPA यानि अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के तहत होने वाली गिरफ्तारियों में लगातार इज़ाफा हो रहा है। ये वही कानून है जिसके मौजूदा सरकार द्वारा बेजा इस्तेमाल की आलोचना कई मानवाधिकार संगठन कर चुके है। लोकसभा में ग्रह मंत्रालय ने जानकारी दी है की साल 2016 में जहा यूएपीए के तहत कुल 922 मामले दर्ज़ किये गए थे, वे 2017 में हो गए 901 और साल 2018 में ये आंकड़ा पहुंच गया 1182 तक ।


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की हाल में ही जारी हुए आंकड़ों का हवाला देते हुए ग्रह मंत्रालय ने बताया जहा 2016 में 999 लोग यूएपीए के तहत गिरफ्तार हुए थे, 2018 ये आंकड़ा पहुंच गया 1421 तक।

लोकसभा में पेश आंकड़े के मुताबिक इन सभी मामलो में 25 प्रतिशत से भी काम मामलो में पुलिस ने अबतक चार्जशीट दाखिल की है। यूएपीए के मामलो से जुड़ा ये सवाल सीपीआई के राज्यसभा बिनॉय विश्वम ने पूछा था। बता दे, दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए पिंजरातोड़ की कार्यकर्ता देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को यूएपीए के तहत ही गिरफ्तार किया गया था। दोनों इस साल मई से जेल में है ।

हाल ही में, दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत ही गिरफ्तार किया था। दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें दस दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है । इनके अलावा भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में यूएपीए के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन, एडवोकेट सुरेंद्र गडलिंग, प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, सुधा भारद्वाज आदि भी जेल में हैं।

यदि आरोपी यूएपीए के प्रावधानों के तहत आरोपित हैं, तो वह अग्रिम जमानत नहीं मांग सकता है और जांच की अवधि को सरकारी वकील के अनुरोध पर 90 दिनों से 180 दिन तक बढ़ाया जा सकता है - जिसका अर्थ है कि अभियुक्त के पास मूलता जमानत प्राप्त करने का कोई मौका नहीं होता है। यदि न्यायालय की राय में, मामला प्राइमा फेसी सही है, तो यह आरोपी व्यक्ति को नियमित जमानत देने से भी इनकार कर सकता है।

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