लॉकडाउन से आमदनी घटी, आयकर रिटर्न भरने वालों की तादाद में भारी कमी

देश में आयी कोरोना महामारी और उसे रोकने के लिए लगे लॉकडाउन ने न जाने कितने उद्योग-धंधों पर हमेशा के लिए ताला लगा दिया है। न जाने इसलिए क्योंकि सरकार ने लॉकडाउन से हुए नुकसान के बारे में जानकारी देने से इंकार कर दिया था। उसने कहा था कि इससे जुड़े आँकड़े उसके पास नहीं है। लेकिन सच्चाई की एक झलक 2019-20 के आईटीआर यानि इनकम टैक्स रिटर्न से मिल जाती।
आयकर विभाग के मुताबिक 21 दिसंबर तक 2.17 लाख लोगो ने आईटीआर-1, 79.82 लाख लोगो ने आईटीआर-2, 43.18 लाख लोगो ने आईटीआर-3 और 26.56 लाख लोगो ने आईटीआर-4 दाखिल करा। कुल मिलाकर अब तक 3.75 करोड़ लोग आईटीआर भर चुके है। साल 2018-19 में 5 करोड़ 65 लाख लोगों ने आईटीआर फाइल किया था। हालांकि, 2019-20 के आईटीआर भरने के लिए अभी भी 7 दिन बचे हैं लेकिन आशंका है की यह आँकड़ा साल 2018-19 के आंकड़े से कम ही रहने वाला है।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हुई आर्थिक तबाही। चार महीने पहले देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को 38 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इस नुकसान के चलते देश के हरेक नागरिक की सालाना आय में लगभग 27,000 रुपए की कटौती होने का अनुमान है। दरअसल, देश में प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत एक लाख 21 हज़ार है लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते इसमें 20 फ़ीसदी की कमी आने की आशंका इस रिपोर्ट में जताई गई थी। एसबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सालाना आमदनी पर सबसे बड़ा झटका गोवावासियों को लगा है जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर चलती है जो लॉकडाउन के चलते ठप पड़ी है. देश में सबसे ज़्यादा सालाना प्रति व्यक्ति आय गोवावासियों की (4 लाख 59 हज़ार सालाना ) है लेकिन अब इसमें 1 लाख 5 हज़ार 906 रुपए की गिरावट आने की आशंका है। इसके बाद नंबर आता है राजधानी दिल्ली का (सालाना 3,65,529.00) जहाँ लोगों की आमदनी में 87 हज़ार 223 रुपये की कमी आयी है। इसी तरह चंडीगढ़ में सालाना औसत आमदनी (3 लाख 30 हज़ार रुपये) में 77 हज़ार 545 रुपये, तेलंगाना ( सालाना 2,04,428.00) में 67 हज़ार 883 रुपये, कृषि प्रधान राज्य हरियाणा ( सालाना 2,36,147.00) में 52 हज़ार 696 रुपये और तमिलनाडु ( सालाना 1,93,750.00) में 45 हज़ार 897 रुपए की कमी आने की आशंका है। ज़ाहिर है आमदनी घटने से बड़ी तादाद में लोग टैक्स ब्रैकेट से बाहर हो जाते हैं और फिर वे आईटीआर फाइल ही नहीं करते।इसका असर ही कम रिटर्न के आँकड़े में दिख रहा है।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हुई आर्थिक तबाही। चार महीने पहले देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को 38 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इस नुकसान के चलते देश के हरेक नागरिक की सालाना आय में लगभग 27,000 रुपए की कटौती होने का अनुमान है। दरअसल, देश में प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत एक लाख 21 हज़ार है लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते इसमें 20 फ़ीसदी की कमी आने की आशंका इस रिपोर्ट में जताई गई थी। एसबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सालाना आमदनी पर सबसे बड़ा झटका गोवावासियों को लगा है जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर चलती है जो लॉकडाउन के चलते ठप पड़ी है. देश में सबसे ज़्यादा सालाना प्रति व्यक्ति आय गोवावासियों की (4 लाख 59 हज़ार सालाना ) है लेकिन अब इसमें 1 लाख 5 हज़ार 906 रुपए की गिरावट आने की आशंका है। इसके बाद नंबर आता है राजधानी दिल्ली का (सालाना 3,65,529.00) जहाँ लोगों की आमदनी में 87 हज़ार 223 रुपये की कमी आयी है। इसी तरह चंडीगढ़ में सालाना औसत आमदनी (3 लाख 30 हज़ार रुपये) में 77 हज़ार 545 रुपये, तेलंगाना ( सालाना 2,04,428.00) में 67 हज़ार 883 रुपये, कृषि प्रधान राज्य हरियाणा ( सालाना 2,36,147.00) में 52 हज़ार 696 रुपये और तमिलनाडु ( सालाना 1,93,750.00) में 45 हज़ार 897 रुपए की कमी आने की आशंका है। ज़ाहिर है आमदनी घटने से बड़ी तादाद में लोग टैक्स ब्रैकेट से बाहर हो जाते हैं और फिर वे आईटीआर फाइल ही नहीं करते।इसका असर ही कम रिटर्न के आँकड़े में दिख रहा है।
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