IIT टॉपर फ़ातिमा लतीफ़ ने धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर ख़ुदकुशी की? मोबाइल फोन से प्रोफ़ेसरों पर शक गहराया

आईआईटी मद्रास की टॉपर स्टूडेंट फ़ातिमा लतीफ़ की ख़ुदकुशी पर विवाद बढ़ता जा रहा है. फ़ातिमा के घरवालों ने उसकी ख़ुदकुशी के लिए आईआईटी मद्रास के दो असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पर धर्मिक भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आईआईटी मद्रास से लेकर दिल्ली तक फ़ातिमा लतीफ़ को इंसाफ़ दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है.
आईआईटी मद्रास की 19 साल की एक स्टूडेंट फ़ातिमा लतीफ़ की मौत का मामला तूल पकड़ रहा है. फ़ातिमा के घरवालों और तमाम संगठनों ने इसे धार्मिक उत्पीड़न के बाद ख़ुदकुशी के लिए उकसाने का मामला क़रार देते हुए सीबीआई जांच की मांग की है. सही जांच के लिए चेन्नई से लेकर दिल्ली तक विरोध प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हो गया है.
केरल के कोल्लम ज़िले की रहने वाली फ़ातिमा लतीफ़ अपने करियर में टॉपर थीं और इसी साल उन्हें आईआईटी मद्रास में दाख़िला मिला था. आईआईटी में भी उन्होंने सभी सब्जेक्ट्स में टॉप किया लेकिन फिलॉस्फ़ी नंबर मन मुताबिक नहीं आने पर वो ख़ुश नहीं थीं. उन्होंने अपनी कॉपी दोबारा चेक करने की मांग की थी लेकिन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सुदर्शन पद्मनाभन ने कॉपी रिचेक करने से मना कर दिया था. आरोप है कि उन्होंने फ़ातिमा की मज़हबी पहचान को लेकर भद्दी टिप्पणी की और उन्हें अपमानित किया. इसके बाद 9 नंवबर को फ़ातिमा की लाश हॉस्टल में कमरे में पंखे से लटकी हुई मिली और पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई. दावा किया जा रहा है कि फ़ातिमा ने अपनी मौत के लिए दो अस्टिटेंट प्रोफ़ेसर सुदर्शन पद्मनाभन और मिलिंद ब्रह्मे को ज़िम्मेदार ठहराया है. फ़ातिमा के मोबाइल फोन में कुछ मैसेज मिले हैं जिसमें दोनों असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों का ज़िक्र है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों प्रोफ़ेसर फ़ातिमा को उसकी मज़हबी पहचान और क्लास में बेहतर प्रदर्शन करने पर तंग करते थे. फ़ातिमा के पिता ने इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर केरल के सीएम पिनरई विजयन से इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. उन्होंने यह भी आशंका जताई कि फ़ातिमा के मोबाइल फोन के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। तमिलनाडु सरकार ने इस केस की जांच चेन्नई पुलिस की सेंट्रल क्राइम ब्रांच को सौंप दी है. फ़ातिमा लतीफ़ की ख़ुदकुशी से एक बार फिर यह बहस तेज़ हो गई है कि देश के विश्वविद्यालयों और आईआईटी जैसे संस्थानों में धार्मिक और जातिय भेदभाव से आज़ादी कब मिलेगी. इसी साल मई में आदिवासी समुदाय से आने वाली डॉक्टर पायल तड़वी ने भी जातीय उत्पीड़न के चलते ख़ुदकुशी कर ली थी. वो मुंबई के टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज से से मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं. 2016 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से छात्र रोहित वेमुला ने भी दलित उत्पीड़न से तंग आकर फांसी लगा ली थी.
केरल के कोल्लम ज़िले की रहने वाली फ़ातिमा लतीफ़ अपने करियर में टॉपर थीं और इसी साल उन्हें आईआईटी मद्रास में दाख़िला मिला था. आईआईटी में भी उन्होंने सभी सब्जेक्ट्स में टॉप किया लेकिन फिलॉस्फ़ी नंबर मन मुताबिक नहीं आने पर वो ख़ुश नहीं थीं. उन्होंने अपनी कॉपी दोबारा चेक करने की मांग की थी लेकिन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सुदर्शन पद्मनाभन ने कॉपी रिचेक करने से मना कर दिया था. आरोप है कि उन्होंने फ़ातिमा की मज़हबी पहचान को लेकर भद्दी टिप्पणी की और उन्हें अपमानित किया. इसके बाद 9 नंवबर को फ़ातिमा की लाश हॉस्टल में कमरे में पंखे से लटकी हुई मिली और पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई. दावा किया जा रहा है कि फ़ातिमा ने अपनी मौत के लिए दो अस्टिटेंट प्रोफ़ेसर सुदर्शन पद्मनाभन और मिलिंद ब्रह्मे को ज़िम्मेदार ठहराया है. फ़ातिमा के मोबाइल फोन में कुछ मैसेज मिले हैं जिसमें दोनों असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों का ज़िक्र है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों प्रोफ़ेसर फ़ातिमा को उसकी मज़हबी पहचान और क्लास में बेहतर प्रदर्शन करने पर तंग करते थे. फ़ातिमा के पिता ने इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर केरल के सीएम पिनरई विजयन से इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. उन्होंने यह भी आशंका जताई कि फ़ातिमा के मोबाइल फोन के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। तमिलनाडु सरकार ने इस केस की जांच चेन्नई पुलिस की सेंट्रल क्राइम ब्रांच को सौंप दी है. फ़ातिमा लतीफ़ की ख़ुदकुशी से एक बार फिर यह बहस तेज़ हो गई है कि देश के विश्वविद्यालयों और आईआईटी जैसे संस्थानों में धार्मिक और जातिय भेदभाव से आज़ादी कब मिलेगी. इसी साल मई में आदिवासी समुदाय से आने वाली डॉक्टर पायल तड़वी ने भी जातीय उत्पीड़न के चलते ख़ुदकुशी कर ली थी. वो मुंबई के टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज से से मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं. 2016 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से छात्र रोहित वेमुला ने भी दलित उत्पीड़न से तंग आकर फांसी लगा ली थी.
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