कितना ख़तरनाक हो सकता है ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’, ‘Mu’?

by GoNews Desk 2 years ago Views 3072

Variants of Interest

विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार सभी वायरस की निगरानी कर रहा है। इन वायरस के भी म्यूटेट हो कर नए रूप सामने आ रहे हैं। हाल ही में WHO ने महामारी बुलेटिन में कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट म्यू को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ बताया है। कोरोना का यह नया स्ट्रेन जनवरी में पहली बार कोलंबिया में पाया गया था। म्यू वेरिएंट, जिसका वैज्ञानिक नाम B.1.621 है, यह जनवरी से लेकर अब तक दक्षिण अमेरिका और यूरोप समेत 39 देशों में पाया जा चुका है।

वैश्विक एजेंसी ने अपनी साप्ताहिक बुलेटिन में कहा, ‘म्यू संस्करण में म्यूटेंट्स का एक समूह है जो इम्यूनिटी से बचने के संभावित गुणों को दर्शाता है।’ म्यू के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चार और वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ इंटररेस्ट’ की श्रेणी में रखा है। यह वेरिएंट एटा, आयोटा, कप्पा और लैम्ब्डा है।

संक्रमण का यह नया वेरिएंट चिंता का कारण बन गया है क्योंकि एक बार फिर दुनिया के कई देशों में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है और डेल्टा वेरिएंट ऐसे लोगों को प्रभावित कर रहा है जिनका टीकाकरण नहीं हो पाया है। कोविड के लिए ज़िम्मेदार सभी वायरस समय के साथ बदल रहे हैं।

ज़्यादातर बदलावों का असर वायरस के गुणों पर नहीं पड़ता है लेकिन कुछ बदलाव के मामले में स्थिति अलग हो सकती है जैसे कि वायरस कितनी तेज़ी से फैलेगा, गंभीर असर और इसका वैक्सीन पर क्या प्रभाव होगा। ऐसे में नया वेरिएंट म्यू भी चिंता का सबब बन सकता है। 

बुलेटिन के मुताबिक वेरिएंट में कुछ ऐसे म्यूटेंट है जिसके चलते यह वैक्सीन की सुरक्षा को भेद सकता है। अधिकतर कोरोना वैक्सीन वायरस में मौजूद स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाती हैं। इसके ज़रिए ही वायरस मानव शरीर में प्रवेश करता है। वैक्सीन लेने से आमतौर पर शरीर स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में आता है और इस तरह इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ना सीखता है।

अगर किसी वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में कुछ बदलाव होता है तो शरीर में इसके ख़िलाफ़ मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है हालांकि क्या नए वेरिएंट से ऐसी स्थित बन सकती है इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए आगे शोध की ज़रूरत होगी। 

म्यू वेरिएंट के पाए जाने से लेकर अब तक कई देशों में कम तो कहीं अधिक मामल देखे गए हैं। जानकारी के मुताबिक दुनिया में कुल संक्रमण के केसों में इस वेरिएंट की 0.1 फीसदी का योगदान है जबकि कोलंबिया और एक्वाडोर में म्यू वेरिएंट के क्रमशः 39  और 13 फीसदी मामले हैं। हालांकि अब तक वेरिएंट को बेहद संक्रामक म्यूटेंट डेल्टा के मुकाबले उतना ख़तरनाक नहीं माना गया है।

वैश्विक एजेंसी ने म्यू के साथ साथ एक और वेरिएंट C.1.2 की भी जानकारी दी है हालांकि यह नहीं बताया गया है कि यह वेरिएंट ऑफ कंसर्न है या वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट। बता दें कि भारत में इन दोनों ही वेरिएंट के किसी भी मामले की आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है।

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