जून महीने में 92,849 करोड़ रूपये का जीएसटी कलेक्शन, दूसरी लहर का असर

कोरोना लॉकडाउन का जीएसटी कलेक्शन पर पूरा असर दिख रहा है। जून महीने में जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ से भी कम 92,849 करोड़ रूपये पर आ गया। इस वित्त वर्ष में शुरुआत से ही जीएटी कलेक्शन गिर रहा है और यह इस साल क तीसरी और सबसे बड़ी गिरावट है।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक कुल जीएसटी कलेक्शन में सीजीएसटी 16,424 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 20,397 करोड़ रुपये और आईजीएसटी 49,079 करोड़ रुपये शामिल है। पीआईबी के मुताबिक़ जीएसटी कलेक्शन के ये आंकड़े 5 जून से लेकर 5 जुलाई, 2021 तक के हैं, क्योंकि कोविड की दूसरी लहर की वजह से टैक्सपेयर्स को 15 दिनों की राहत दी गई थी।
मई 2021 के दौरान, ज़्यादातर राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया था। दूसरी लहर 7 मई 2021 को अपने चरम पर पहुंच गई थी। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुताबिक़, जीएसटी का बैक बोने माना जाने वाला ई-वे बिल में अप्रैल के मुक़ाबले मई महीने में 30 फीसदी की गिरावट देखी गई। अप्रैल महीने में 5.87 करोड़ ई-वे बिल के मुक़ाबले मई महीने में सिर्फ 3.99 करोड़ ई-वे बिल बने। जीएसटी व्यवस्था के नियम के तहत एक रजिस्टर्ड सप्लायर बिना ई-वे बिल के 50 हज़ार से ज़्यादा के सामान का ट्रांसपोर्टेशन नहीं कर सकता। आसाना भाषा में कहें तो ई-वे बिल आपूर्ति पर नज़र रखने का एक साधन है। जून 2021 के महीने का कलेक्शन पिछले साल के इसी महीने में जीएसटी राजस्व से दो फीसदी ज़्यादा है। हालांकि बयान में कहा गया है कि जून में कोविड-19 मामलों की संख्या कम होने और लॉकडाउन में ढील के साथ, ज़्यादा ई-वे बिल बनाए गए। दरअसल, जून 2021 में ई-वे बिलों की संख्या 5.5 करोड़ रही, जो वित्त मंत्रालय के मुताबिक़ ट्रेड और बिज़नेस की रिकवरी को दर्शाता है। प्रेस रिलीज के मुताबिक़ अप्रैल 2021 के पहले दो हफ्तों के लिए ई-वे बिल की दैनिक औसत 20 लाख थी। अप्रैल 2021 के अंतिम सप्ताह में यह घटकर 16 लाख और 9 मई से 22 मई के बीच दो सप्ताह में 12 लाख हो गया। 20 जून से ई-वे बिल का औसत उत्पादन फिर से 20 लाख तक पहुंच गया है। बयान में उम्मीद जताई गई है कि जुलाई से जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोत्तरी होगी। हालांकि कोविड-19 की तीसरी लहर देश के लिए एक बार फिर ख़तरा बना हुआ है। अगर ऐसा होता है तो जीएसटी कलेक्शन एक बार फिर गिरना तय है। कोविड दूसरी लहर के दौरान डिमांड में भारी कमी आई है और सर्विस पीएमआई या परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पिछले महीने गिरकर 41.2 पर आ गया है, जो मई में 46.4 पर था। यह जुलाई 2020 के बाद से सबसे कम रीडिंग रही थी। अगर वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो शुरुआती महीनों से ही जीएसटी कलेक्शन में गिरावट देखी जा रही है। मासिक स्तर पर वित्त वर्ष 2022 के पहले महीने अप्रैल में जहां जीएसटी कलेक्शन 1.41 लाख करोड़ रूपये रहा वो मई महीने में गिरकर 1.02 लाख करोड़ रूपये पर आ गया था। कहा जा रहा है कि यह गिरावट राज्य स्तर पर लगाई गई पाबंदियों की वजह से हुई थी।
मई 2021 के दौरान, ज़्यादातर राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया था। दूसरी लहर 7 मई 2021 को अपने चरम पर पहुंच गई थी। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुताबिक़, जीएसटी का बैक बोने माना जाने वाला ई-वे बिल में अप्रैल के मुक़ाबले मई महीने में 30 फीसदी की गिरावट देखी गई। अप्रैल महीने में 5.87 करोड़ ई-वे बिल के मुक़ाबले मई महीने में सिर्फ 3.99 करोड़ ई-वे बिल बने। जीएसटी व्यवस्था के नियम के तहत एक रजिस्टर्ड सप्लायर बिना ई-वे बिल के 50 हज़ार से ज़्यादा के सामान का ट्रांसपोर्टेशन नहीं कर सकता। आसाना भाषा में कहें तो ई-वे बिल आपूर्ति पर नज़र रखने का एक साधन है। जून 2021 के महीने का कलेक्शन पिछले साल के इसी महीने में जीएसटी राजस्व से दो फीसदी ज़्यादा है। हालांकि बयान में कहा गया है कि जून में कोविड-19 मामलों की संख्या कम होने और लॉकडाउन में ढील के साथ, ज़्यादा ई-वे बिल बनाए गए। दरअसल, जून 2021 में ई-वे बिलों की संख्या 5.5 करोड़ रही, जो वित्त मंत्रालय के मुताबिक़ ट्रेड और बिज़नेस की रिकवरी को दर्शाता है। प्रेस रिलीज के मुताबिक़ अप्रैल 2021 के पहले दो हफ्तों के लिए ई-वे बिल की दैनिक औसत 20 लाख थी। अप्रैल 2021 के अंतिम सप्ताह में यह घटकर 16 लाख और 9 मई से 22 मई के बीच दो सप्ताह में 12 लाख हो गया। 20 जून से ई-वे बिल का औसत उत्पादन फिर से 20 लाख तक पहुंच गया है। बयान में उम्मीद जताई गई है कि जुलाई से जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोत्तरी होगी। हालांकि कोविड-19 की तीसरी लहर देश के लिए एक बार फिर ख़तरा बना हुआ है। अगर ऐसा होता है तो जीएसटी कलेक्शन एक बार फिर गिरना तय है। कोविड दूसरी लहर के दौरान डिमांड में भारी कमी आई है और सर्विस पीएमआई या परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पिछले महीने गिरकर 41.2 पर आ गया है, जो मई में 46.4 पर था। यह जुलाई 2020 के बाद से सबसे कम रीडिंग रही थी। अगर वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो शुरुआती महीनों से ही जीएसटी कलेक्शन में गिरावट देखी जा रही है। मासिक स्तर पर वित्त वर्ष 2022 के पहले महीने अप्रैल में जहां जीएसटी कलेक्शन 1.41 लाख करोड़ रूपये रहा वो मई महीने में गिरकर 1.02 लाख करोड़ रूपये पर आ गया था। कहा जा रहा है कि यह गिरावट राज्य स्तर पर लगाई गई पाबंदियों की वजह से हुई थी।
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