महागठबंधन टूटा; बिहार उपचुनाव में कांग्रेस-RJD आमने सामने

बिहार में महागठबंधन के टूटने के बाद आरजेडी और कांग्रेस उपचुनाव में आमने-सामने है। पार्टी के प्रदेश इन-चार्ज भक्त चरण दास ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं है और पार्टी आने वाले सभी चुनाव अकेले लड़ेगी।
बिहार में उपचुनाव
बिहार में दो सीटों तारापुर और कुशेश्वर स्थान पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में इन दोनों सीटों से बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड के विधायकों मेवालाल चौधरी और शशिभूषण चौधरी ने जीत हासिल की थी। दोनों विधायकों की मौत के बाद सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं।
कांग्रेस और RJD में दरार
पूर्व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने 29 सितंबर को कांग्रेस में शामिल हो गए थे जिसके बाद सीपीआई पहले से ही कांग्रेस से नाराज़ चल रही थी। इससे आरजेडी को भी झटका लगा क्योंकि दोनों ही पार्टियां महागंठबंधन में शामिल थी और कन्हैया के कांग्रेस में जाने से गठबंधन के नेताओं की छवि दलबदलू जैसी लग रही थी। इसके बाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच तारापुर और कुशेश्वर स्थान पर उम्मीदवारों को लेकर छिड़ी बहस ने आग में घी डालने का काम किया।
दरअसल कांग्रेस कुशेश्वर स्थान जो कि उसकी पारंपारिक गढ़ माना जाता है, वहां से चुनावी उम्मीदवार खड़ा करना चाहती थी लेकिन राजद को यह बात रास नहीं आई और उसने साफ तौर पर कहा कि वह कांग्रेस के लिए इस सीट को नहीं छोड़ सकती। इस मुद्दे पर दोनों बड़ी पार्टियों के आमने सामने आने से महागठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
क्या बिहार उपचुनाव बदल देंगे बिहार में राजनीतिक समीकरण
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने हाल ही में कहा था कि उपचुनाव में एकजुट हो कर लड़ना महागठबंधन के लिए बड़ा फायदा हो सकता है। वो इसलिए कि बिहार के राजनीतिक समीकरण के हिसाब से अगर यह दोनों सीट महागठबंधन जीत जाता है तो भाजपा के समर्थन वाली नीतिश सरकार खतरे में आ सकती है। दरअसल आरजेडी, बीजेपी के सहयोग वाले नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस ने बीते साल विधानसभा चुनावों में 125 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस, RJD और लेफ्ट पार्टियों वाला महागठबंधन 110 सीटे जीतने में कामयाब रहा था।
बाद में एक बीएसपी, लोकजनशक्ति पार्टी और एक निर्दलीय विधायक ने भी अपना समर्थन एनडीए को दे दिया था जिससे इसके पास 128 विधायकों का समर्थन हो गया था जो कि सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों के बहुमत की शर्त को पूरा करता है, हालांकि दो विधायकों की मौत के बाद इसके पास 126 विधानसभा सीट बची हैं।
दूसरी ओर विधानसभा में 110 सीटों वाले ग्रैंड अलायंस को अगर इन दो सीटों पर जीत मिलती है तो इसके पास 112 सीट होंगी और इसमें अगर AIMIM के पांच विधायक शामिल हो जाएं तो कुल सीटों की संख्या 117 हो जाएगी जो कि 122 सीटों के बहुमत के काफी करीब है। महागठबंधन अगर यह समीकरण बनाने मे कामयाब होता तो यह नीतिश सरकार के नेतृत्व वाली सरकार के लिए संभावित खतरा बन सकती थी, लेकिन अब महागठबंधन के टूटने के बाद यह दूर की कौड़ी लगती है।
RJD, कांग्रेस और JDU ने तैनात किए अपने उम्मीदवार
राष्ट्रीय जनता दल ने 3 अक्टूबर को ही उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था। पार्टी ने तारापुर से अरून कुमार और कुशेश्वर स्थान से गणेश भारती को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस की तरफ से राजेश मिश्रा और अतिरेक राम और जेडीयू से राजीव कुमार सिंह और अमन भूषण हज़ारी इस सीट पर चुनाव लड़ेंगे।
अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस आरजेडी से नाराज़गी दूर कर महागठबंधन में शामिल हो कर बिहार का राजनीतिक समीकरण बदलने की कोशिश करेगी या फिर नीतिश कुमार की जेडीयू फिर से दोनों सीटों को जीतकर अपनी सरकार को सुरक्षित रखने मे कामयाब होगी।
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