मई में सरकार ने टैक्स कलेक्शन से 3,54,787 करोड़ जुटाए

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने इस साल के मई महीने में टैक्स कलेक्शन और अपने ख़र्च का ब्योरा दिया है जिसमें बताया गया है कि सरकार ने टैक्स कलेक्शन से 354,787 करोड़ रूपये जुटाए हैं, जो कुल प्राप्तियों के संबंधित बजट अनुमान का 17.95 फीसदी है। इनमें सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू 233,565 करोड़ रूपये रहा।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक़ इस रक़म में 116,412 करोड़ रूपये नॉन टैक्स रेवेन्यू और 4,810 करोड़ रूपये का नॉन डेब्ट कैपिटल शामिल है। इनके अलावा 815 करोड़ रूपये लोन रिकवरी और 3,995 करोड़ रूपये डिसइन्वेस्टमेंट से जुटाए गए हैं।
मंत्रालय ने यह भी बताया है कि राज्यों को 78,349 करोड़ रूपये टैक्स शेयर के रूप में ट्रांसफर किए गए हैं जो इसी अवधि में पिछले साल के मुक़ाबले 13,728 करोड़ रूपये कम है। वित्त मंत्रालय ने कमाई के साथ अपने ख़र्च का ब्योरा भी दिया है। बताया गया है कि भारत सरकार ने कुल 4,77,961 करोड़ रुपये खर्च किया है जो वित्त वर्ष 2021-22 में संबंधित बजट अनुमान का 13.72 फीसदी है। इनमें 415,000 करोड़ का रेवेन्यू अकाउंट और 62,961 करोड़ रूपये का कैपिटल अकाउंट शामिल है। इनका अलावा 88,573 करोड़ रूपये इंटरेस्ट पेमेंट और 62,664 करोड़ रूपये सब्सिडीज़ के तौर पर चुकाए गए हैं। अब मीडिया रिपोर्ट के मानें तो जून महीने में जीएसटी कलेक्शन अपने आठ महीने के निचले स्तर पर रहने का अनुमान है। कहा जा रहा है कि महामारी की वजह से जीएसटी कलेक्शन में इस भारी गिरावट की आशंका है। मई महीने में जीएसटी कलेक्शन जहां एक लाख करोड़ रूपये से ज़्यादा रहा था वो अब एक लाख करोड़ के नीचे रह सकता है। यह आंकड़े तो मासिक स्तर पर आधारित है लेकिन सालाना स्तर पर भी आंकड़े देखें तो इसमें भारी गिरावट हुई है। मसलन वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान जीएसटी कलेक्शन 4.66 लाख करोड़ रूपये रहा था जो ख़ुद वित्त वर्ष 2019-20 से कम है। ग़ौर करने वाली बात ये है कि यह आंकड़े उस दौर के हैं जब देश में महामारी फैली हुई थी। वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 2019-20 के दौरान कुल जीएसटी कलेक्शन 5.06 लाख करोड़ रूपये रहा था और इस दौरान देश में कोई महामारी नहीं थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग सभी तरह के टैक्स कलेक्शन में गिरावट देखी गई, लेकिन पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज़ बढ़ाने की वजह से केन्द्र को पिछले तीन साल के मुक़ाबले रिकॉर्ड कमाई हुई। मसलन इस दौरान गिरावट के बाद कॉर्पोरेशन टैक्स कलेक्शन 4.57 लाख करोड़ रूपये और इन्कम टैक्स कलेक्शन 4.69 लाख करोड़ रूपये रहा। जबकि केन्द्र ने इस दौरान एक्साइज़ ड्यूटी से 3.89 लाख करोड़ रूपये की कमाई की जो वित्त वर्ष 2019-20 के मुक़ाबले 1.5 लाख करोड़ रूपये ज़्यादा है। यानि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू 14.24 लाख करोड़ रूपये रहा था। अब अगर वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो शुरुआती महीनों से ही जीएसटी कलेक्शन गिर रहा है। मासिक स्तर पर वित्त वर्ष 2022 के पहले महीने अप्रैल में जहां जीएसटी कलेक्शन 1.41 लाख करोड़ रूपये रहा वो मई महीने में गिरकर 1.02 लाख करोड़ रूपये पर आ गया। कहा जा रहा है कि यह गिरावट राज्य स्तर पर लगाई गई पाबंदियों का असर है। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुताबिक़, जीएसटी का बैक बोने माना जाने वाला ई-वे बिल में अप्रैल के मुक़ाबले मई महीने में 30 फीसदी की गिरावट देखी गई। अप्रैल महीने में 5.87 करोड़ ई-वे बिल के मुक़ाबले मई महीने में सिर्फ 3.99 करोड़ ई-वे बिल बने। जीएसटी व्यवस्था के नियम के तहत एक रजिस्टर्ड सप्लायर बिना ई-वे बिल के 50 हज़ार से ज़्यादा के सामान का ट्रांसपोर्टेशन नहीं कर सकता। आसाना भाषा में कहें तो ई-वे बिल आपूर्ति पर नज़र रखने का एक साधन है। जून महीने में पाबंदियों में ढिलाई तो दी गई है फिर भी जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की आशंका है। एक अंग्रेज़ी दैनिक बिज़नेस टुडे ने वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि जून के कलेक्शन में गिरावट आ सकती है और पिछले कुछ महीनों में देखी गई गति धीमी पड़ सकती है। हालांकि मंत्रालय के अधिकारी ने आने वाले महीने में इसमें सुधार की उम्मीद जताई है। अधिकारी का कहना है, 'अर्थव्यवस्था के खुलने और संक्रण की लहर के थमने के साथ ही आने वाले महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।'
मंत्रालय ने यह भी बताया है कि राज्यों को 78,349 करोड़ रूपये टैक्स शेयर के रूप में ट्रांसफर किए गए हैं जो इसी अवधि में पिछले साल के मुक़ाबले 13,728 करोड़ रूपये कम है। वित्त मंत्रालय ने कमाई के साथ अपने ख़र्च का ब्योरा भी दिया है। बताया गया है कि भारत सरकार ने कुल 4,77,961 करोड़ रुपये खर्च किया है जो वित्त वर्ष 2021-22 में संबंधित बजट अनुमान का 13.72 फीसदी है। इनमें 415,000 करोड़ का रेवेन्यू अकाउंट और 62,961 करोड़ रूपये का कैपिटल अकाउंट शामिल है। इनका अलावा 88,573 करोड़ रूपये इंटरेस्ट पेमेंट और 62,664 करोड़ रूपये सब्सिडीज़ के तौर पर चुकाए गए हैं। अब मीडिया रिपोर्ट के मानें तो जून महीने में जीएसटी कलेक्शन अपने आठ महीने के निचले स्तर पर रहने का अनुमान है। कहा जा रहा है कि महामारी की वजह से जीएसटी कलेक्शन में इस भारी गिरावट की आशंका है। मई महीने में जीएसटी कलेक्शन जहां एक लाख करोड़ रूपये से ज़्यादा रहा था वो अब एक लाख करोड़ के नीचे रह सकता है। यह आंकड़े तो मासिक स्तर पर आधारित है लेकिन सालाना स्तर पर भी आंकड़े देखें तो इसमें भारी गिरावट हुई है। मसलन वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान जीएसटी कलेक्शन 4.66 लाख करोड़ रूपये रहा था जो ख़ुद वित्त वर्ष 2019-20 से कम है। ग़ौर करने वाली बात ये है कि यह आंकड़े उस दौर के हैं जब देश में महामारी फैली हुई थी। वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 2019-20 के दौरान कुल जीएसटी कलेक्शन 5.06 लाख करोड़ रूपये रहा था और इस दौरान देश में कोई महामारी नहीं थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग सभी तरह के टैक्स कलेक्शन में गिरावट देखी गई, लेकिन पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज़ बढ़ाने की वजह से केन्द्र को पिछले तीन साल के मुक़ाबले रिकॉर्ड कमाई हुई। मसलन इस दौरान गिरावट के बाद कॉर्पोरेशन टैक्स कलेक्शन 4.57 लाख करोड़ रूपये और इन्कम टैक्स कलेक्शन 4.69 लाख करोड़ रूपये रहा। जबकि केन्द्र ने इस दौरान एक्साइज़ ड्यूटी से 3.89 लाख करोड़ रूपये की कमाई की जो वित्त वर्ष 2019-20 के मुक़ाबले 1.5 लाख करोड़ रूपये ज़्यादा है। यानि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू 14.24 लाख करोड़ रूपये रहा था। अब अगर वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो शुरुआती महीनों से ही जीएसटी कलेक्शन गिर रहा है। मासिक स्तर पर वित्त वर्ष 2022 के पहले महीने अप्रैल में जहां जीएसटी कलेक्शन 1.41 लाख करोड़ रूपये रहा वो मई महीने में गिरकर 1.02 लाख करोड़ रूपये पर आ गया। कहा जा रहा है कि यह गिरावट राज्य स्तर पर लगाई गई पाबंदियों का असर है। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुताबिक़, जीएसटी का बैक बोने माना जाने वाला ई-वे बिल में अप्रैल के मुक़ाबले मई महीने में 30 फीसदी की गिरावट देखी गई। अप्रैल महीने में 5.87 करोड़ ई-वे बिल के मुक़ाबले मई महीने में सिर्फ 3.99 करोड़ ई-वे बिल बने। जीएसटी व्यवस्था के नियम के तहत एक रजिस्टर्ड सप्लायर बिना ई-वे बिल के 50 हज़ार से ज़्यादा के सामान का ट्रांसपोर्टेशन नहीं कर सकता। आसाना भाषा में कहें तो ई-वे बिल आपूर्ति पर नज़र रखने का एक साधन है। जून महीने में पाबंदियों में ढिलाई तो दी गई है फिर भी जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की आशंका है। एक अंग्रेज़ी दैनिक बिज़नेस टुडे ने वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि जून के कलेक्शन में गिरावट आ सकती है और पिछले कुछ महीनों में देखी गई गति धीमी पड़ सकती है। हालांकि मंत्रालय के अधिकारी ने आने वाले महीने में इसमें सुधार की उम्मीद जताई है। अधिकारी का कहना है, 'अर्थव्यवस्था के खुलने और संक्रण की लहर के थमने के साथ ही आने वाले महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।'
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