पैसा जुगाड़ने के लिए सरकार ने सब्सिडी घटाई, किसानों और आम आदमी को लगेगा झटका

बजट 2021-22 को बनाना शायद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए किसी दोधारी तलवार से कम नहीं था । कारण है लगातार गिरती आमदनी और बढ़ता राजकोषीय घाटा। ऐसे में देश गरीब जनता को मिलने वाली सब्सिडी कम करके वित्तमंत्री ने पैसे का जुगाड़ किया है। बजट 2021-22 के मुताबिक सरकार ने खाली खजाने को भरने के लिए गरीबों को मिलने वाली सरकारी मदद पर छुरी चला दी है। सबसे ज्यादा मार पड़ी है किसानों और आम आदमी को।
मसलन, जहाँ सरकार ने 2020-2021 में 1 लाख 33 हज़ार 947 करोड़ रुपए किसानों को खाद पर मिलने वाली सब्सिडी पर खर्च किये थे, वही बजट 2021-22 में खाद सब्सिडी के लिए 79 हज़ार 530 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है यानी 40.62 फीसदी की कमी।
इसी तरह फ़ूड सब्सिडी पर सरकार ने खूब कटौती की है। देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू है और इसके तहत देश की 67 फीसदी जनता को सरकार सस्ते में राशन मुहैया कराती है। इसपर सरकार ने 2020-2021 में 4 लाख 22 हज़ार 618 करोड़ रुपए खर्च किये थे, वही बजट 2021-22 में फ़ूड सब्सिडी घटाकर 2 लाख 42 हज़ार 836 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है यानी 42.54 फीसदी की कटौती। ध्यान रहे, फ़ूड सब्सिडी लेने वाले लोग सबसे गरीब लोग हैं जिनके लिए दो जून की रोटी जुटाना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं। गो न्यूज़ पहले भी रिपोर्ट कर चूका है की कैसे सरकार फ़ूड सब्सिडी लगातार घटा रही है। इसी तरह सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर दी जाने वाली सब्सिडी भी कम कर दी है। काफी संभावना है कि इससे पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ें जिसका सीधा असर आम आदमी के जेब पर पड़ेगा। सरकार ने 38 हज़ार करोड़ की पेट्रोलियम सब्सिडी दी थी वित्त वर्ष 2020-21 में और बजट 2021-22 में इसके लिए सिर्फ 12 हज़ार 995 करोड़ ही रखे हैं। सरकार ने पेंशन देने में खर्च में भी कटौती की है। मसलन सरकार ने 2020-2021 में 2 लाख 04 हज़ार 393 करोड़ रुपए पेंशन बाँटने में खर्च किये थे, वही बजट 2021-22 में इसके लिए 1 लाख 89 हज़ार 328 करोड़ रुपए ही आवंटित किये गये हैं। आखिर सरकार ने सब्सिडी ही क्यों कम की? कही और से क्यों नहीं पैसे का जुगाड़ कया। इसका जवाब इस बात में है कि आखिर सरकार 1 रुपए को खर्च कैसे करती है। तो सबसे ज्यादा पैसा यानि 20 पैसे देती राज्यों को, जोकि उनके हक़ का जीएसटी और अन्य टैक्स का हिस्सा होता है, 18 पैसे क़र्ज़ का ब्याज चुकाने और वेतन पर खर्च होता है, सरकार 22 पैसे खर्च करती है अलग अलग कल्याणकारी योजनाओं पर, 10 पैसे खर्च करती है फाइनेंस कमीशन पर, 8 पैसे फ़ौज पर खर्च होते हैं, 6 पैसे जाते है अलग अलग सब्सिडी देने में, 6 पैसे पेंशन देने और 10 पैसे अन्य मद में खर्च होते हैं। ऐसे में सरकार या तो अलग अलग योजनाओं पर होने वाला खर्च कम कर सकती थी, या फिर सब्सिडी का पैसा। सरकार ने सब्सिडी को चुना और लोगों को मिलने वाली राहत में कमी कर दी।
इसी तरह फ़ूड सब्सिडी पर सरकार ने खूब कटौती की है। देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू है और इसके तहत देश की 67 फीसदी जनता को सरकार सस्ते में राशन मुहैया कराती है। इसपर सरकार ने 2020-2021 में 4 लाख 22 हज़ार 618 करोड़ रुपए खर्च किये थे, वही बजट 2021-22 में फ़ूड सब्सिडी घटाकर 2 लाख 42 हज़ार 836 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है यानी 42.54 फीसदी की कटौती। ध्यान रहे, फ़ूड सब्सिडी लेने वाले लोग सबसे गरीब लोग हैं जिनके लिए दो जून की रोटी जुटाना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं। गो न्यूज़ पहले भी रिपोर्ट कर चूका है की कैसे सरकार फ़ूड सब्सिडी लगातार घटा रही है। इसी तरह सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर दी जाने वाली सब्सिडी भी कम कर दी है। काफी संभावना है कि इससे पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ें जिसका सीधा असर आम आदमी के जेब पर पड़ेगा। सरकार ने 38 हज़ार करोड़ की पेट्रोलियम सब्सिडी दी थी वित्त वर्ष 2020-21 में और बजट 2021-22 में इसके लिए सिर्फ 12 हज़ार 995 करोड़ ही रखे हैं। सरकार ने पेंशन देने में खर्च में भी कटौती की है। मसलन सरकार ने 2020-2021 में 2 लाख 04 हज़ार 393 करोड़ रुपए पेंशन बाँटने में खर्च किये थे, वही बजट 2021-22 में इसके लिए 1 लाख 89 हज़ार 328 करोड़ रुपए ही आवंटित किये गये हैं। आखिर सरकार ने सब्सिडी ही क्यों कम की? कही और से क्यों नहीं पैसे का जुगाड़ कया। इसका जवाब इस बात में है कि आखिर सरकार 1 रुपए को खर्च कैसे करती है। तो सबसे ज्यादा पैसा यानि 20 पैसे देती राज्यों को, जोकि उनके हक़ का जीएसटी और अन्य टैक्स का हिस्सा होता है, 18 पैसे क़र्ज़ का ब्याज चुकाने और वेतन पर खर्च होता है, सरकार 22 पैसे खर्च करती है अलग अलग कल्याणकारी योजनाओं पर, 10 पैसे खर्च करती है फाइनेंस कमीशन पर, 8 पैसे फ़ौज पर खर्च होते हैं, 6 पैसे जाते है अलग अलग सब्सिडी देने में, 6 पैसे पेंशन देने और 10 पैसे अन्य मद में खर्च होते हैं। ऐसे में सरकार या तो अलग अलग योजनाओं पर होने वाला खर्च कम कर सकती थी, या फिर सब्सिडी का पैसा। सरकार ने सब्सिडी को चुना और लोगों को मिलने वाली राहत में कमी कर दी।
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