लगातार बढ़ती मौतों के बीच आज सरकार दे सकती है किसानों के पत्र का जवाब
अमरजीत सिंह ने अंग्रेज़ी में लिखी सुसाइड नोट में लिखा - किसान और मजदूर जैसे आम आदमी आपके तीन काले कृषि बिलों से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 33वे भी जारी है। वहीँ किसानों ने सरकार से बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला लेते हुए शनिवार को सरकार को चिट्ठी लिखी थी। किसानों ने मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त दिया था।
उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं। पहली ही तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो। मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे। तीसरी कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए। चौथी की इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए। कयास लगाया जा रहा है कि किसानों की चिट्ठी पर सरकार आज जवाब दे सकती है।
लेकिन इस बीच टीकरी बार्डर से करीब सात किलोमीटर दूर पकौड़ा चौक के पास किसान आंदोलन में शामिल वकील अमरजीत सिंह ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। हालत बिगड़ती देख साथी उन्हें तुरंत बहादुरगढ़ के नागरिक अस्पताल लेकर गए। प्राथमिक दवा देने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया। जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद बार एसोसिएशन के सदस्य 63 साल के वकील अमरजीत सिंह अपने साथी आंदोलनकारियों के साथ नयागांव चौक के निकट धरनारत थे। अमरजीत सिंह ने अंग्रेज़ी में लिखी सुसाइड नोट में लिखा - किसान और मजदूर जैसे आम आदमी आपके तीन काले कृषि बिलों से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जनता वोटों के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवारों और पीढ़ियों की आजीविका के लिए पटरियों और सड़कों पर है। कृपया कुछ पूंजीपतियों के लिए किसानों, मजदूरों और आम लोगों की रोटी न छीनें और उन्हें सल्फास खाने के लिए मजबूर न करें। सामाजिक रूप से आपने जनता का और राजनीतिक रूप से शिरोमणि अकाली दल जैसे अपने सहयोगी दलों के साथ विश्वासघात किया है। मैं आपके विवेक को हिलाने के लिए इस विश्वव्यापी आंदोलन के समर्थन में अपना बलिदान देता हूं। भारतीय किसान मजदूर जनता जिंदाबाद। इस पुरे मामले पर डीएसपी अशोक कुमार ने बताया कि नयागांव चौक के पास जहरीला पदार्थ निगलने के कारण उक्त आंदोलकारी की मौत हो गई। पुलिस ने आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है। सुसाइड नोट जैसा जो कागज मिला है उसकी जांच की जाएगी। और फिर आगे की कार्रवाई होगी। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने के बाद दिल्ली और पंजाब में करीब 41 किसानों की मौत हो चुकी। जबकि अमरजीत सिंह से पहले दिल्ली बॉर्डर के पास खुदकुशी का यह तीसरा मामला है। इससे पहले पंजाब के करनाल से एक सिख संत की 16 दिसंबर को खुदकुशी से मौत हो गई. सुसाइड से पहले उन्होंने एक नोट लिखा था, जिसमें किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये का जिक्र किया गया था। वहीँ 19 दिसम्बर को पंजाब के दयालपुरा मिर्जा गांव के रहने वाले 22 साल के किसान, गुरलभ सिंह ने भी किसान आंदोलन के विरोध में सिंघु बॉर्डर के पास खुदकुशी कर ली थी।
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लेकिन इस बीच टीकरी बार्डर से करीब सात किलोमीटर दूर पकौड़ा चौक के पास किसान आंदोलन में शामिल वकील अमरजीत सिंह ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। हालत बिगड़ती देख साथी उन्हें तुरंत बहादुरगढ़ के नागरिक अस्पताल लेकर गए। प्राथमिक दवा देने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया। जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद बार एसोसिएशन के सदस्य 63 साल के वकील अमरजीत सिंह अपने साथी आंदोलनकारियों के साथ नयागांव चौक के निकट धरनारत थे। अमरजीत सिंह ने अंग्रेज़ी में लिखी सुसाइड नोट में लिखा - किसान और मजदूर जैसे आम आदमी आपके तीन काले कृषि बिलों से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जनता वोटों के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवारों और पीढ़ियों की आजीविका के लिए पटरियों और सड़कों पर है। कृपया कुछ पूंजीपतियों के लिए किसानों, मजदूरों और आम लोगों की रोटी न छीनें और उन्हें सल्फास खाने के लिए मजबूर न करें। सामाजिक रूप से आपने जनता का और राजनीतिक रूप से शिरोमणि अकाली दल जैसे अपने सहयोगी दलों के साथ विश्वासघात किया है। मैं आपके विवेक को हिलाने के लिए इस विश्वव्यापी आंदोलन के समर्थन में अपना बलिदान देता हूं। भारतीय किसान मजदूर जनता जिंदाबाद। इस पुरे मामले पर डीएसपी अशोक कुमार ने बताया कि नयागांव चौक के पास जहरीला पदार्थ निगलने के कारण उक्त आंदोलकारी की मौत हो गई। पुलिस ने आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है। सुसाइड नोट जैसा जो कागज मिला है उसकी जांच की जाएगी। और फिर आगे की कार्रवाई होगी। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने के बाद दिल्ली और पंजाब में करीब 41 किसानों की मौत हो चुकी। जबकि अमरजीत सिंह से पहले दिल्ली बॉर्डर के पास खुदकुशी का यह तीसरा मामला है। इससे पहले पंजाब के करनाल से एक सिख संत की 16 दिसंबर को खुदकुशी से मौत हो गई. सुसाइड से पहले उन्होंने एक नोट लिखा था, जिसमें किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये का जिक्र किया गया था। वहीँ 19 दिसम्बर को पंजाब के दयालपुरा मिर्जा गांव के रहने वाले 22 साल के किसान, गुरलभ सिंह ने भी किसान आंदोलन के विरोध में सिंघु बॉर्डर के पास खुदकुशी कर ली थी।
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