इस नवरात्र गुजरात में नहीं होगा गरबा, हज़ारों करोड़ के नुकसान की आशंका

कोरोना के मद्देनज़र गुजरात सरकार ने 17 अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्रि पर्व के दौरान गरबा कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है. ऐसा सरकार ने लोगो को जमा ना होने और संक्रमण से दूर रखने के लिए किया है. दरअसल, गुजरात के डॉक्टरों ने राज्य सरकार से गुज़ारिश की थी की इस वर्ष गरबा के आयोजन पर रोक लगाई जाये और इसी मांग को मानते हुए सरकार ने इसपर रोक लगा दी है.
गुजरात सरकार ने कहा कि नवरात्रि के दौरान राज्य में किसी तरह के गरबा कार्यक्रम की इजाज़त नहीं दी जाएगी. हालाँकि, सरकार ने सामूहिक पूजा करने की इजाज़त दी है किंतु साफ़ कहा है कि इसमें 200 लोगो से ज्यादा शामिल नहीं होने चाहिए. इसके अलावा पूजा भी सरकार द्वारा एक घंटे के निर्धारित समय में ही की जा सकती है. साथ ही सरकार ने कहा कि अगर बिना मंज़ूरी लिए कोई आयोजन किया गया तो सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
लेकिन सरकार के इस फैसले के चलते लोगों में काफी गुस्सा है और वो सोशल मीडिया पर उसे ज़ाहिर भी कर रहे है. लोगों का कहना है कि गुजरात में 3 नवंबर से उपचुनाव होने वाले है जिसमें लाखों लोग मतदान करने जायेंगे. लेकिन गरबा के आयोजन पर सरकार ने रोक लगा दी है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. लोग गरबा की मस्ती को बरक़रार रखने के लिए कई नई रास्ते भी खोज रहे है। मसलन गरबा आयोजनों पर रोक लगने के बाद एक शख्स ने पीपीई किट की थीम पर प्लास्टिक के आवरण वाली खास पोशाक तैयार की है. जिसे नवरात्रि के सीजन में गरबे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पोशाक के बारे में बताते हुए अहमदाबाद के एक गरबा नर्तक अनुज मोदिलायर ने कहा कि, सरकार द्वारा गरबा पर प्रतिबंध लगा दिया गया. लेकिन अब पीपीई आधारित गरबा ड्रेस के जरिए, वह कोरोना वारियर्स जैसे डॉक्टरों और पुलिस आदि को धन्यवाद देना चाहते है. गरबा का इंतज़ार गुजराती लोग पूरे साल करते है और इससे जुड़ा कारोबार हज़ारों करोड़ रुपए का है. बताया जा रहा है ग्राउंड मालिकों से लेकर गायकों तक को करोड़ो रुपए का नुक्सान होने की आशंका है.
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