नई संसदीय इमारत के अलावा भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में और कहां निवेश किया ?

by Sarfaroshi 2 years ago Views 2683

Afghanistan

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद वहां भारत के किए गए निवेश की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2001 से अब तक संकट ग्रस्त अफ़ग़ानिस्तान में 3 बिलियन डॉलर यानि करीब 224 करोड़ रूपये का निवेश किया है।

इनमें भारत की मदद से बनी वहां की नई संसदीय इमारत के अलावा बुनियादी ढांचा, मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण, मानवीय सहायता, सामुदायिक विकास से जुड़े 400 प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।

भारत के अफ़ग़ानिस्तान में किए गए सबसे चर्चित निवेशों में वहां की संसद शामिल है। 90 मिलियन डॉलर की लागत से 86 एकड़ में बन कर तैयार हुई इस इमारत का उद्धाटन पीएम मोदी ने 2015 में किया था। उन्होंने इस इमारत को भारत और अफ़ग़ानिस्तान को भावनात्मक तौर पर जोड़ने का प्रतीक बताया था। 

भारत की सीमा सड़क संगठन द्वारा अफ़ग़ानिस्तान और ईरान की सीमा के पास 150 मिलियन डॉलर की लागत से 218 किलोमीटर लंबा ज़रंज-देलाराम हाईवे बनाया गया है। इस हाईवे के बनने से भारत को ईरान की चाबहार बंदरगाह के जरिए अफ़ग़ानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिए एक अतिरिक्त रास्त मिला था। 

भारत के अफ़ग़ानिस्तान में किए गए सबसे महंगे निवेशों में से एक सलमा बांध है। करीब 275 मिलियन डॉलर की लागत से हेरात प्रांत में बने इस बांध का उद्घाटन 2016 में किया गया था। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में बिजली के बुनियादी ढांचे में सुधार करने में भी मदद की है।  इसमें बगलान से उत्तरी काबुल की तरफ हाई-वॉल्टेज डायरेक्ट करेंट लाइन स्थापित करना भी शामिल है।

इतना ही नहीं, भारत ने पिछले साल जेनेवा कॉन्फ्रेंस के दौरान पड़ोसी देश में 100 समुदायिक विकास प्रोजेक्ट्स के लिए 80 मिलियन डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया था। इसके तहत काबुल जिले में शहतूत बांध बनाया जाना था जिससे वहां की 20 लाख आबादी को पीने का साफ पानी मिलता। 

भारत ने शहरी परिवहन को बढ़ावा देने के लिए अफ़ग़ानिस्तान को 400 बसें और 200 मिनी बसें भी तौहफें में दी हैं। इनमें नगरपालिका संचालन के 105 उपयोगिता वाहनों और अफगान सेना के लिए 285 सैन्य वाहनों को शामिल नहीं किया गया है।

 भारत ने सैन्य हेलीकॉप्टर और अन्य विमान भी देश को दान किए हैं हालांकि जानकारों का मानना है कि अब भारत को इस निवेश को sunk cost यानि विफल लागत की तरह देखना चाहिए। ऐसा निवेश जिसे भूल जाना बेहतर है।

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