तीन हफ़्तों से किसानों का आंदोलन जारी, कानून वापस लेने से कम कुछ भी किसनों को मंज़ूर नहीं

एक तरफ जहाँ दिल्ली-एनसीआर में ठण्ड की वजह से पारा लगातार गिरता जा रहा है, जिस वजह से अब तक किसानों के आंदोलन के दौरान कम से कम 15 किसानों की जान भी जा चुकी है। जबकि तो दूसरी ओर किसानों की मांगों पर गतिरोध भी बढ़ता ही जा रहा है। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन मंगलवार को लगातार 20वें दिन भी जारी है। सोमवार को जहां कई राज्यों से आए किसान संगठनों के प्राधिकारियों ने कृषि कानूनों को समर्थन देने का ऐलान, तो वही दूसरी तरफ सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसान नए कानूनों को रद्द करने से कम पर राजी नहीं है।
सोमवार को देशव्यापी भूख हड़ताल और कई जिला मुख्यालयों पर किसानों द्वारा कलेक्ट्रेट के किये गए घेराव के बाद, अब सरकार ने किसानों के मनाने के लिए अगले दौर की बैठक की तैयारियों के संकेत दिए। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि 10 और संगठन सरकार के साथ आ गए हैं। हम कृषि कानूनों की हर धारा पर बात करने को तैयार हैं। जल्दी ही बैठकर बातचीत की अगली तारीख तय की जाएगी।
इस बीच मंगलवार की सुबह केंद्रीय सड़क एवं परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि किसानों को तीनों कानूनों पर चर्चा करनी चाहिए, कृषि मंत्री इसके लिए तैयार हैं। कुछ तत्व ऐसे हैं जो इस आंदोलन का फायदा लेकर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी सरकार गांव, गरीब, मज़दूर, किसान के हितों के लिए समर्पित है, जो भी नए सुझाव किसान देंगे उसे स्वीकारने के लिए तैयार है। हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।
इस बीच मंगलवार की सुबह केंद्रीय सड़क एवं परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि किसानों को तीनों कानूनों पर चर्चा करनी चाहिए, कृषि मंत्री इसके लिए तैयार हैं। कुछ तत्व ऐसे हैं जो इस आंदोलन का फायदा लेकर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी सरकार गांव, गरीब, मज़दूर, किसान के हितों के लिए समर्पित है, जो भी नए सुझाव किसान देंगे उसे स्वीकारने के लिए तैयार है। हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।
वहीँ नितिन गडकरी के बयान के बाद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे, किसानों में से एक किसान प्रदर्शनकारी ने कहा, कि ठंड से परेशानी काफी है लेकिन जब तब कानून वापस नहीं होते और एमएसपी लागू नहीं होती हम इसी हिम्मत के साथ लड़ेंगे।There are some elements who are trying to misguide farmers by misusing this protest. This is wrong. Farmers should try to understand the three laws: Union Minister Nitin Gadkari https://t.co/qERXVgn9sd
— ANI (@ANI) December 15, 2020
टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार एमएसपी के नाम पर गुमराह कर रही है। भाजपा हर जगह कह रही है कि एमएसपी दिया जाएगा। सरकार के मंत्री भी यही दोहरा रहे हैं। जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने 8 दिसंबर की बैठक में साफ कहा था कि सरकार सभी 23 फसलों को एमएसपी पर नहीं खरीद सकती क्यों इसमें 17 लाख करोड़ का खर्च आता है। उन्होंने कहा जब तक सर्कार यह तीनों काले कानून वापस नहीं लेती तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई ने कहा है कि किसानों के आंदोलन की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है। जिससे आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है. सीआईआई ने कहा कि किसानों के आंदोलन की वजह से अर्थव्यवस्था में मौजूदा पुनरोद्धार का सिलसिला भी प्रभावित हो सकता है। हालांकि, किसानों के आंदोलन की वजह से पहले से ही दिल्ली-एनसीआर में यातायात व्यवस्था पहले ही ठप पड़ चुकी है। कई रास्तों को डाइवर्ट किया गया है जबकि कई रास्तों को पूरी तरफ बंद भी किया जा चूका है। किसानों का प्रदर्शन तीन हफ्ते से चल रहा है और किसान संघों का दावा है कि इस आंदोलन में अब और लोग शामिल हो सकते हैं। किसानों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है और सोमवार को हुए देशव्यापी प्रदर्शन में जिस तरीके से किसानों का रुख रहा है। उससे साफ़ है की आने वाले दिनों में किसानों का आंदोलन और भी उग्र हो सकता है।कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक किसान प्रदर्शनकारी ने कहा, "ठंड से परेशानी काफी है लेकिन जब तब कानून वापस नहीं होते और MSP लागू नहीं होती हम इसी हिम्मत के साथ लड़ेंगे।" #FarmersProtest pic.twitter.com/u1vqm5Pkia
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 15, 2020
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