किसानी छोड़ मज़दूरी कर रहे किसान, कृषि से होने वाली इनकम छह साल में महज़ 717 रूपये बढ़ी

देश के किसान किसानी से नहीं बल्कि मज़दूरी करके अपना घर चला रहे हैं। हाल ही में नेश्नल सर्वे ऑफिस ने एग्रिकल्चर हाउसहोल्ड से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें किसानों के आय के स्रोतों की जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि 2012-13 के मुक़ाबले किसानों की खेती से होने वाली आय न के बराबर बढ़ी है, जबकि इस दौरान मज़दूरी में दोगुनी रफ़्तार से इज़ाफा हुआ है।
मसलन साल 2012-13 में किसान जहां 3,081 रूपये कमा रहे थे वो 2018-19 में बढ़कर 3,798 रूपये हो गए। यानि 6 साल में किसानों की खेती से होने वाली इनकम महज़ 717 रूपये बढ़ी। जबकि इसी दौरान अगर मज़दूरी की बात करें तो यह दोगुना हो गया है। मसलन जहां एक मज़दूर साल 2012-13 में हर महीने 2,071 रूपये कमा रहे थे वो 2018-19 में दोगुना होकर 4,063 रूपये पर पहुंच गया।
हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों की आय 2012-13 से 2018-19 के बीच 6 साल की अवधि में करीब 60 फीसदी बढ़ी है। मसलन 2012-13 में किसान जहां हर महीने 6,426 रूपये कमा रहे थे वो 2018-19 में बढ़कर 10,218 रूपये तो हो गए, लेकिन अगर रूरल कमंज़्युमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर महंगाई दर के हिसाब से देखें तो असल में किसानों की इनकम उस दरमियान महज़ 21 फीसदी बढ़ी।
ग़ौरतलब है कि यह मोदी सरकार के किसानों की आय 100 फीसदी बढ़ाने के दावे के एकदम उलट है। रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों की आय में यह बढ़ोत्तरी भी मज़दूरी, खेती, पशुपालन और गैर-कृषि व्यवसाय से हुई है। माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में कृषि की हालत ख़राब हो रही है लेकिन किसान परिवारों की संख्या 90 मिलियन से 93 मिलियन हो गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2013-19 के दौरान ग्रामीण इलाकों में उन परिवारों की संख्या 66 मिलियन से बढ़कर 80 मिलियन पर पहुंच गई है जो कृषि छोड़ रहे हैं।
इन सबके बावजूद किसान परिवार पर क़र्ज़ का बोझ निरंतर बढ़ रहा है। साल 2012-13 के दौरान जहां एक किसान परिवार पर औसतन 47,000 रूपये का क़र्ज़ था जो 2018-19 में 58 फीसदी की बढ़ोत्तकी के साथ 74,000 रूपये पर पहुंच गया। इससे साफ है कि किसानों की आय तो न के बराबर बढ़ रही है लेकिन क़र्ज़ रॉकेट की रफ़्तार से बढ़ रहा है।
ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था। उन्होंने साल 2016 में कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाएगी। इसके लिए एक इंटर-मिनिस्टिरियल या अंतर मंत्रालयी समिति का गठन भी किया गया था। गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों की आय दोगुनी करने को मोदी सरकार की प्राथमिकता बताया था।
जबकि बीते दिनों कृषि मामलों पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद ने स्वीकार किया कि यह संभव नहीं है। उन्होंने नए कृषि क़ानूनों के लागू किए जाने तक इसे असंभव बताया था।
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