'भारत' में किसानों को मिलती है बेहद कम सब्सिडी, 'चीन' में सबसे ज़्यादा

by Rahul Gautam 2 years ago Views 2344

Farmers in India get very low subsidy, China has t
देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच कृषि सेक्टर और किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर चर्चा गर्म है। दरअसल, सरकार किसानों को विभिन्न प्रकार की सब्सिडी देती है जैसे, खाद, सिंचाई, उपकरण, ऋण सब्सिडी, बीज सब्सिडी, निर्यात सब्सिडी आदि। लेकिन आँकड़े बताते हैॆ कि भारत पहले ही अन्य देशों की तुलना में खेतीबाड़ी पर बेहद कम सब्सिडी देता है जबकि आधी आबादी किसानी पर निर्भर है।

व्यापार और अर्थव्यवस्था को रिपोर्ट करने वाली ट्रेडविस्टास नाम की वेबसाइट के मुताबिक भारत ने 2019 में 11 बिलियन डॉलर की सब्सिडी कृषि क्षेत्र को दी। ध्यान रहे, भारत की आबादी 130 करोड़ है और आधी आबादी कृषि पर निर्भर है। हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था भी दुनिया में पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। सकी तुलना में उसी साल दक्षिण कोरिया ने 20.8 बिलियन डॉलर, इंडोनेशिया ने 29.4 अरब डॉलर और जापान ने 37.6 अरब डॉलर कृषि सेक्टर को सब्सिडी दी।


दुनिया की सबसे बड़ी कैपिटलिस्ट इकॉनमी यानी अमेरिका जिसका मॉडल भारत में लागू करने की कवायद जारी है, वहाँ भी सरकार ने 48.9 अरब डॉलर एग्रीकल्चर सेक्टर को सब्सिडी दी। इससे दोगुनी सब्सिडी यूरोपियन यूनियन के किसानों को मिली। 2019 में EU ने 101 बिलियन डॉलर की सब्सिडी कृषि सेक्टर को दी।

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कृषि सब्सिडी चीन ने दी। 2019 में चीनी सरकार ने 185 अरब डॉलर की सब्सिडी कृषि सेक्टर को दी। इन आँकड़ों से अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं की भारत अन्य देशों की तुलना बेहद कम सब्सिडी अपने कृषि सेक्टर को देता है। मसलन एक अनुमान के मुताबिक भारत में एक किसान को एक साल में औसतन 48 डॉलर या सिर्फ 3500 रुपए सब्सिडी मिलती है, वहीं अमेरिका के एक किसान को 7000 डॉलर या 5 लाख 11 हज़ार रुपए सब्सिडी के तौर पर मिलते है।

हाल में ही सरकार ने पीएम किसान निधि योजना के अंतर्गत 9 करोड़ किसानों को 18 हज़ार करोड़ रुपए दिये थे। दरअसल, इस योजना के तहत प्रति वर्ष उन किसान परिवारों को 6000 रुपए की तीन किस्तों में मदद की जाती है, जिनके पास 2 एकड़ तक ज़मीन होती है। इस योजना की परिभाषा में एक परिवार का मतलब पति, पत्नी और नाबालिग बच्चे हैं। सुनने में 18 हज़ार करोड़ रुपए आपको शायद बड़ी रकम लगे लेकिन जिस देश में 54 फीसदी लोग खेती से जुड़े हों, वहाँ यह आँकड़ा ख़ास मायने नहीं रखता। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में हाउसहोल्ड साइज ( एक परिवार के सदस्यों की गनती) था 4.8 यानि तक़रीबन 5 लोग।

अब अगर 18 हज़ार करोड़ रुपए को 9 करोड़ किसान परिवारों में बाँटा जाये, तो पता चलेगा कि हर परिवार को मिले 2000 रुपये। पाँच सदस्यों का औसत माना जाये तो परिवार के हर सदस्य के हिस्से आते हैं लगभग 400 रुपये। आसान भाषा में कहे तो हर लाभान्वित परिवार के व्यक्ति को खर्चे के लिए मिले 13 रुपए 33 पैसे प्रतिदिन। आप सोचिये कि 13 रुपए में किसी व्यक्ति के एक दिन के खाने, कपडे, दवाई आदि के खर्च का जुगाड़ कैसे हो सकता है?

ग़ौर करने की बात यह भी है कि यह पैसा केवल उन्हीं लोगो को दिया गया जिनके पास खेती की ज़मीन थी। ऐसे खेतिहर मज़दूरों और भूमिहीन मज़दूरों को इससे कोई लाभ नहीं मिला जो दूसरों की ज़मीन पर काम करते हैं। ऐसे लोगों का न कभी सब्सिडी मिलती है और ना ही किसी प्रकार की अन्य सरकारी सहायता।

ताज़ा वीडियो