किसान आंदोलन ने पाट दी हरियाणा और पंजाब की दूरी
जब कई मीडिया चैनल और नेता किसान आंदोलन को खालिस्तानियों से जोड़कर इसकी अहमियत घटा रहे थे, ठीक उसी समय हरियाणा की मजबूत खाप पंचायतो ने किसान आंदोलन का समर्थन देकर जता दिया की दोनों राज्य में भाईचारा मजबूत है।

देश के हाथ कहे जाने वाले पंजाब और हरियाणा में वैसे तो कई मतभेद है लेकिन किसान आंदोलन ने दोनों राज्यों को एक कर दिया। पंजाब से हरियाणा 1966 में अलग हुआ, लगभग तभी से दोनों राज्य के बीच पानी का झगड़ा चला आ रहा है। इसके अलावा दोनों राज्य राजधानी चंडीगढ़ पर भी दावा ठोंकते रहे हैं। इसके अलावा तमाम प्रशासनिक मतभेद भी चले आ रहे है।दोनों राज्यों में बहुसंख्यक आबादी भी अलग-अलग समुदाय की है।
इतने फ़र्क़ के बावजूद दोनों प्रदेशों की जीविका का मुख्य आधार खेती है और इसी से उपजे दर्द ने दोनों को एक धरातल पर खड़ा कर दिया है। यही वजह है तमाम मतभेदों को पाटते हुए, दोनों राज्य के किसान नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क पर उतर पड़े हैं।
जब 12 दिन पहले इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, तब जिन किसानों ने डेरा दिल्ली के बॉर्डर पर डाला, उसमे ज्यादातर पंजाब से थे। लेकिन देखते ही देखते हरियाणा के किसानों के जत्थे भी पंजाब के किसानों का साथ देने पहुंचने लगे।
पंजाब से आये जत्थों ने आते ही लंगर लगाकर सेवा शुरू की, तो हरियाणा के किसानों ने अपने बड़े भाई यानि पंजाबियो के लिए जगह जगह खाने-सोने का प्रबंध किया। दिल्ली आने से पहले हरियाणा के कई गावों में लोगों ने राशन-अनाज-दूध इकट्ठा किया ताकि किसान आंदोलन को बल मिल सके।
जब कई मीडिया चैनल और नेता किसान आंदोलन को खालिस्तानियों से जोड़कर इसकी अहमियत घटा रहे थे, ठीक उसी समय हरियाणा की मजबूत खाप पंचायतो ने किसान आंदोलन का समर्थन देकर जता दिया की दोनों राज्य में भाईचारा मजबूत है। इसके अलावा पंजाब के आंदोलन शामिल होने गयी बुज़ुर्ग महिला मोहिंदर कौर पर आपत्तिजनक ट्वीट करने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत और बीजेपी-जेजेपी के नेताओं का भी खापों ने बहिष्कार का ऐलान किया।
हरियाणा और पंजाब दोनों हमेशा खेलों में अग्रणी रहे है और ऐसे में ही दोनों ही राज्यों के नामी खिलाड़ियों ने अपने अवार्ड लौटाने की पेशकश की। इसमें शेरे-ए-पंजाब और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित करतार सिंह पहलवान और हरियाणा के ओलिंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह दोनों शामिल है।धार्मिक सौहार्द का भी ग़ज़ब नज़ारा किसान आंदोलन में दिख रहा है। सिखों की गुरबाणी के मधुर पाठ और हिंदू किसानों के हवन, दोनों साथ जारी हैं।
आंदोलन में शामिल हरियाणा के किसान खुलकर कहते हैं की पंजाब, हरियाणा का बड़ा भाई है और दोनों भाई इस लड़ाई में साथ है। कह सकते हों कि दोनों राज्यों के किसानों का शोक मिलकर एक बड़ी शक्ति बन गया है और दिल्ली के दुर्ग पर दस्तक दे रहा है।


ताज़ा वीडियो