चीन के साथ तनातनी के बीच रक्षा बजट में बेहद मामूली बढ़ोतरी

by M. Nuruddin 2 years ago Views 4766

Extremely modest increase in defense budget betwee
चीन के साथ तनातनी के बीच पेश हुए आम बजट में रक्षा क्षेत्र में न के बराबर बढ़ोतरी हुई है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेंशन छोड़कर रक्षा मामलों पर ख़र्च के लिए 3.47 लाख लाख करोड़ रुपये आवंटितकिये हैं। रक्षा मामलों पर वित्त मंत्री ने कुल 4.78 लाख करोड़ रूपये ख़र्च करने की योजना बनाई है। ख़ास बात ये है कि रक्षा बजट में पिछले साल के मुक़ाबले महज़ 1.4 फीसदी की बढ़ोतकी की गई है।

अगर आंकड़े देखें तो पिछले साल मोदी सरकार ने रक्षा पर 471,378 करोड़ रूपये ख़र्च किए थे। इसमें 6,817 करोड़ की आंशिक बढ़ोत्तरी की गई है। वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार हथियारों और आधुनिकीकरण पर 135,060 करोड़ रूपये रूपये ख़र्च करेगी जो पिछले साल के मुक़ाबले 18 फीसदी ज़्यादा है। इससे महत्वपूर्ण खरीद जैसे राइफल, मिसाइल के अलावा अन्य रक्षा हथियारों की खरीद शामिल है। पिछले साल सरकार ने इसपर 113,734 करोड़ रूपये ख़र्च किए थे। इनमें 20,776 करोड़ रुपये की राशि अतिरिक्त दी गई थी।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर वित्त मंत्री का धन्यवाद किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी के लिए विशेष रूप से प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का शुक्रिया। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ किया गया है। यह रक्षा कैपिटल एक्सपेंडिचर में करीब 19 फीसदी की बढ़त्तरी है। यह पिछले 15 सालों में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी है।’

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव को देखते हुए सरकार से रक्षा मामलों पर ख़र्च बढ़ाने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन रक्षा बजट से विशेषज्ञों को निराशा मिली है। मोदी सरकार सुरक्षा को लेकर खुद को गंभीर दिखाती रही है लेकिन बजट में सरकार के सभी दावे फ्लॉप नज़र आ रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में ठिठुरती ठंड में भी देश के जवान सुरक्षा में लगे हैं जिनके रखरखाव पर भारी ख़र्च आता है। हाल के दिनों में 50 हज़ार सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं जहां तापमान शून्य से भी नीचे रहता है।

पिछले दिनों जवानों के लिए हथियार, ठंड से बचने के लिए कपड़ों की इमरजेंसी खरीद भी की गई थी। सुरक्षा बलों ने नई चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक हथियारों की मांग की थी। इनमें आधुनिक सर्विलांस इक्वीपमेंट्स‌, आधुनिक छोटे हथियार, मानवरहित एरियल गाड़ियां शामिल है। इन ज़रूरतों पर अतिरिक्त ख़र्च आता है।

पिछले साल सरकार ने इमरजेंसी में अमेरिका से राइफल और सर्दियों के कपड़े, रूस से मिसाइल और गोला बारूद की खरीद की थी। इनके अलावा फ्रांस से राफेल और मिराज 2000 लड़ाकू विमान खरीदे गए थे। वहीं इज़रायल से भी आपात्कालीन तौर पर कई हथियारों की खरीद की गई थी।

भारत एक साथ चीन और पाकिस्तान दोनों से लड़ाई लड़ रहा है। अगर दोनों देशों के रक्षा बजट को देखें तो चीन भारत से चार गुना ज़्यादा अपने रक्षा पर ख़र्च करता है। साल 2019 के आंकड़े बताते हैं कि चीन अपने रक्षा पर 261 अरब डॉलर ख़र्चा कर रहा है। जबकि पाकिस्तान अपने रक्षा पर 10.3 अरब रूपये ख़र्च करता है।

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