रूस-यूक्रेन युद्ध का असर- कच्चे तेल के दाम 138 डॉलर प्रति बैरल; रूपये में ऐतिसाहिक गिरावट !

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बढ़ने के साथ ही वैश्विक बाज़ार में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं। सोमवार सुबह ब्रेंट क्रूड ऑयल बेंचमार्क 139.13 डॉलर पर पहुंच गए, जो अब 128 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है, यह 2012 के बाद से सबसे बड़ा उछाल है। रूसी ‘डिमिलिट्राइज़ेशन’ ऑपरेशन की वजह से ऊर्जा क्षेत्र में तनाव पैदा हुआ है और इससे लंबे समय के लिए सप्लाई बाधित हो सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ सकती है।
WTI बेंचमार्क में भी 7.47 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है जो सोमवार को 124.32 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यह कच्चे तेल के दामों का एक बेंचमार्क है जो वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों को दर्शाता है। पश्चिमी देशों द्वारा रूस को आर्थिक तौर पर आइसोलेट करने की कोशिशों से माना जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर तेल (ब्रेंट) के दाम 145-150 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकते हैं।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के मुताबिक़ रूस अमेरिका और सऊदी अरब के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और सऊदी अरब के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। दिसंबर 2021 में रूस ने प्रति दिन पांच मिलियन बैरल तेल का निर्यात किया और 1.1 मिलियन बैरल प्रति दिन गैसऑयल का निर्यात किया। तेल निर्यात का रूसी अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है और साल 2021 में रूस ने तेल निर्यात से 110 अरब डॉलर की कमाई की। अमेरिका जो रूस पर प्रतिबंध लगाने में सबसे आगे है, ने साल 2021 के दौरान अपने तेल आपूर्ति का 3.5 फीसदी और गैस का 21 फीसदी हिस्सा रूस से ही आयात किया था। इस क्षेत्र में रूस के महत्व ने बाज़ारों में अनिश्चितता पैदा कर दी है और अमेरिका रूस से तेल और गैस के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कोशिश में है। रविवार को, अमेरिकी सदन की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने एक चिट्ठी में कहा कि सदन इस आशय के एक विधेयक पर काम कर रहा है। इस विधेयक के ज़रिये अमेरिका रूस से तेल और गैस के आयात पर पूर्ण प्रितबंध लगा देगा, रूस और बेलारूस के साथ सामान्य व्यापार पर भी रोक लगा दिया जाएगा और इसके साथ ही रूस का वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन तक पहुंच पर रोक भी सुनिश्चित करेगा। कच्चे तेल के दाम बढ़ने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ार गिरावट के साथ खुले। जापान का निक्केई 225 आज 2.94 फीसदी नीचे रहा क्योंकि देश में ऊर्जा ज़रूरतों के लिए उच्च आयात निर्भरता है। भारत में, जो अपनी कच्चे तेल की ज़रूरतों का 80 फीसदी से ज़्यादा आयात करता है, बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी क्रमशः 2.64 फीसदी और 2.28 फीसदी नीचे रहा। इनके अलावा जर्मनी का DAX 4.24 फीसदी, फ्रांस का CAC 40 4.01 फीसदी, लंदन का FTSE 1.57 फीसदी और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 3.87 फीसदी गिरावट देखी गई।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के मुताबिक़ रूस अमेरिका और सऊदी अरब के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और सऊदी अरब के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। दिसंबर 2021 में रूस ने प्रति दिन पांच मिलियन बैरल तेल का निर्यात किया और 1.1 मिलियन बैरल प्रति दिन गैसऑयल का निर्यात किया। तेल निर्यात का रूसी अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है और साल 2021 में रूस ने तेल निर्यात से 110 अरब डॉलर की कमाई की। अमेरिका जो रूस पर प्रतिबंध लगाने में सबसे आगे है, ने साल 2021 के दौरान अपने तेल आपूर्ति का 3.5 फीसदी और गैस का 21 फीसदी हिस्सा रूस से ही आयात किया था। इस क्षेत्र में रूस के महत्व ने बाज़ारों में अनिश्चितता पैदा कर दी है और अमेरिका रूस से तेल और गैस के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कोशिश में है। रविवार को, अमेरिकी सदन की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने एक चिट्ठी में कहा कि सदन इस आशय के एक विधेयक पर काम कर रहा है। इस विधेयक के ज़रिये अमेरिका रूस से तेल और गैस के आयात पर पूर्ण प्रितबंध लगा देगा, रूस और बेलारूस के साथ सामान्य व्यापार पर भी रोक लगा दिया जाएगा और इसके साथ ही रूस का वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन तक पहुंच पर रोक भी सुनिश्चित करेगा। कच्चे तेल के दाम बढ़ने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ार गिरावट के साथ खुले। जापान का निक्केई 225 आज 2.94 फीसदी नीचे रहा क्योंकि देश में ऊर्जा ज़रूरतों के लिए उच्च आयात निर्भरता है। भारत में, जो अपनी कच्चे तेल की ज़रूरतों का 80 फीसदी से ज़्यादा आयात करता है, बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी क्रमशः 2.64 फीसदी और 2.28 फीसदी नीचे रहा। इनके अलावा जर्मनी का DAX 4.24 फीसदी, फ्रांस का CAC 40 4.01 फीसदी, लंदन का FTSE 1.57 फीसदी और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 3.87 फीसदी गिरावट देखी गई।
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