चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था के 12 फीसदी तक सिकुड़ने की संभावना

by GoNews Desk 2 years ago Views 2363

Economy likely contracted 12% in Q1: UBS Securitie
कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर को क़ाबू करने के लिए अप्रैल और मई महीने में लगाए गए लॉकडाउन से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश अर्थव्यवस्था के 12 फीसदी तक सिकुड़ सकती है। पिछले साल इसी अवधि में बिना प्लानिंग के किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था करीब 24 फीसदी तक सिकुड़ गई थी। यह जानकारी एक ब्रोकरेज रिपोर्ट में सामने आई है। 

वित्त वर्ष 2021 में सालाना स्तर पर देश की अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी तक सिकुड़ गई। अर्थव्यवस्था का यह हाल पिछले साल बिना प्लानिंग के महज़ चार घंटे में लिए गए लॉकडाउन के फैसले का नतीज़ा है। साल 2020 में संक्रण को क़ाबू करने के लिए ढाई महीने तक के लिए देश पर 'लॉकडाउन थोप दिया गया' था, जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में 23.9 फीसदी तक सिकुड़ गई थी। 


हालांकि दूसरी तिमाही में सुधार के साथ यह -17.5 फीसदी रहा था। इसके बाद अर्थव्यवस्था में वी-शेप्ड रिकवरी देखी गई और 40 बीपीएस की सकारात्मक वृद्धि दर्द की गई। बाद में चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 1.6 फीसदी की गिरावट देखी गई और पूरे साल में यह 7.3 फीसदी तक सिकुड़ गई।

अब जैसा कि पिछले साल देखा गया था, इस बार सिकुड़ने से अर्थव्यवस्था में तेज़ वी-शेप्ड रिकवरी की कोई गुंजाइश नहीं है। स्विस ब्रोकरेज यूबीएस सिक्योरिटीज़ की रिपोर्ट में इसकी वजह यह बताई गई है कि कंज़्युमर की भावनाएं बहुत कमज़ोर हुई है, पिछले साल की तुलना में इस बार संक्रमण ने लोगों को ज़्यादा चिंता में डाल दिया है। 

यूबीएस-इंडिया एक्टिविटी इंडिकेटर के इन-हाउस डेटा का हवाला देते हुए, स्विस ब्रोकरेज की अर्थशास्त्री तनवी गुप्ता जैन का कहना है कि इंडिकेटर्स बताते हैं कि जून 2021 की तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में औसतन 12 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि जून 2020 में यह 23.9 फीसदी थी।

बताया गया है कि मई के आख़िरी हफ्ते में कई राज्यों ने स्थानीय स्तर पर प्रतिबंधों में ढिलाई भी दी जिसके बाद वीक-ऑन-वीक स्तर पर तीन फीसदी की वृद्धि देखी गई, यानि यह इंडिकेटर साप्ताहिक स्तर पर 88.7 पर रिबाउंड के बावजूद है।

बताया गया है कि आर्थिक गतिविधियों में जून महीने से क्रमिक तेज़ी आ सकती है लेकिन अर्थव्यवस्था सिर्फ दूसरी छमाही से ही रिकवरी कर सकती है। कहा गया है कि 2020 में वी-शेप्ड की रिकवरी के उलट, हम उम्मीद करते हैं कि इस बार अर्थव्यवस्था में सिर्फ धीरे-धीरे ही सुधार होगा, क्योंकि महामारी से संबंधित अनिश्चितताओं पर कंज़्युमर भावनाएं कमजोर बनी हुई है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी लहर में लॉकडाउन एक महीने से थोड़ा ज़्यादा समय तक चला, जबकि पहली लहर में 2.5 महीने तक लॉकडाउन रहा था और इस बार सीमित पैमाने पर औद्योगिक / निर्माण गतिविधियों की अनुमति भी दी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून से आर्थिक गतिविधियों में केवल क्रमिक पिक-अप की उम्मीद है, न कि 2020 में वी-आकार की रिकवरी की।

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