'भारत बंद' के दौरान दिल्ली में केवल इमरजेंसी सेवाओं को छूट, दूध-सब्जी की सप्लाई भी रुकेगी
किसान नेताओं ने 8 दिसंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का ऐलान किया है जो सुबह 8 बजे से लेकर शाम तक चलेगा। इस दौरान दुकानें और कारोबार बंद रहेंगे। यहां तक कि दूध, फल और सब्जी पर भी रोक रहेगी।

नये कृषि कानून के ख़िलाफ़ किसानों का विरोध प्रदर्शन 12वें दिन भी जारी है। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। पाँच दौर की बातचीत के बावजूद दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। हालांकि 9 दिसंबर को एक बार फ़िर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत होगी।
लेकिन किसान संगठनों का फिलहाल ज़ोर भारत बंद पर है ताकि सरकार पर और दबाव बन सके। किसान संगठनों ने मज़दूरो, व्यापारियों और आम जनता से बंद में शामिल होने की अपील की है। ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि 8 दिसंबर को क्या खुला रहेगा और क्या बंद।
किसान नेताओं ने 8 दिसंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का ऐलान किया है जो सुबह 8 बजे से लेकर शाम तक चलेगा। इस दौरान दुकानें और कारोबार बंद रहेंगे। यहां तक कि दूध, फल और सब्जी पर भी रोक रहेगी। हालांकि एंबुलेंस एवं आपात सुविधाओं को किसान नेताओं ने बंद से छूट देने का एलान किया है।पहले से तय शादी के कार्यक्रमों को जारी रखने की छूट दी गई है। किसान नेताओं ने ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बंद के समर्थन में आने का आग्रह किया है। 11 राजनीतिक दलों के अलावा 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने भी बंद का समर्थन किया है। किसान नेताओं ने चेताया है कि सरकार अगर उनकी मांग नहीं मानती है तो यह आंदोलन और तेज होगा। दिल्ली में ऑटो-टैक्सी वालों के कई संगठन भारत बंद के समर्थन में आ गये हैं। इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो सकती है। इस बीच किसानों का आंदोलन दस से ज़्यादा राज्यों में शुरू हो गया है। किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा है कि ये आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। आंदोलन को मज़बूत बनाने के लिए ही भारत बंद का आह्वान किया गया है। इस दौरान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सभी मंडियां बंद रहेंगी। बलदेव सिंह ने कहा, ''हम किसी को भी हिंसक होने की इजाज़त नहीं देंगे और ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे। हम सभी से बंद का हिस्सा बनने का आह्वान करते हैं।’’ स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, 'हम अपने रुख पर अडिग हैं। हमने हमेशा मांग की है कि सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को वापस ले। हमने अपना रुख नहीं बदला है। हम उस पर दृढ़ हैं।’ वहीं कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, शिवसेना, सपा, बीएसपी, एनसीपी, और आप सहित अन्य पार्टियों ने केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया है। तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी पहले ही बंद का समर्थन कर दिया था। कई व्यापारिक यूनियनों और संगठनों ने भी भारत बंद का समर्थन किया है। इनमें ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस, ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर, ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज असोसिएशन, ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स असोसिएशन और इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस शामिल हैं। वहीं किसानों के आंदोलन को देखते हुए गौतम बुद्ध नगर में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की भी अपील की है। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधीर ने साफ़ कहा है कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे जबकि किसान नेता इससे कम पर मानने को तैयार नहीं है। सितंबर में लागू तीनों कृषि
किसान नेताओं ने 8 दिसंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का ऐलान किया है जो सुबह 8 बजे से लेकर शाम तक चलेगा। इस दौरान दुकानें और कारोबार बंद रहेंगे। यहां तक कि दूध, फल और सब्जी पर भी रोक रहेगी। हालांकि एंबुलेंस एवं आपात सुविधाओं को किसान नेताओं ने बंद से छूट देने का एलान किया है।पहले से तय शादी के कार्यक्रमों को जारी रखने की छूट दी गई है। किसान नेताओं ने ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बंद के समर्थन में आने का आग्रह किया है। 11 राजनीतिक दलों के अलावा 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने भी बंद का समर्थन किया है। किसान नेताओं ने चेताया है कि सरकार अगर उनकी मांग नहीं मानती है तो यह आंदोलन और तेज होगा। दिल्ली में ऑटो-टैक्सी वालों के कई संगठन भारत बंद के समर्थन में आ गये हैं। इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो सकती है। इस बीच किसानों का आंदोलन दस से ज़्यादा राज्यों में शुरू हो गया है। किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा है कि ये आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। आंदोलन को मज़बूत बनाने के लिए ही भारत बंद का आह्वान किया गया है। इस दौरान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सभी मंडियां बंद रहेंगी। बलदेव सिंह ने कहा, ''हम किसी को भी हिंसक होने की इजाज़त नहीं देंगे और ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे। हम सभी से बंद का हिस्सा बनने का आह्वान करते हैं।’’ स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, 'हम अपने रुख पर अडिग हैं। हमने हमेशा मांग की है कि सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को वापस ले। हमने अपना रुख नहीं बदला है। हम उस पर दृढ़ हैं।’ वहीं कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, शिवसेना, सपा, बीएसपी, एनसीपी, और आप सहित अन्य पार्टियों ने केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया है। तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी पहले ही बंद का समर्थन कर दिया था। कई व्यापारिक यूनियनों और संगठनों ने भी भारत बंद का समर्थन किया है। इनमें ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस, ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर, ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज असोसिएशन, ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स असोसिएशन और इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस शामिल हैं। वहीं किसानों के आंदोलन को देखते हुए गौतम बुद्ध नगर में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की भी अपील की है। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधीर ने साफ़ कहा है कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे जबकि किसान नेता इससे कम पर मानने को तैयार नहीं है। सितंबर में लागू तीनों कृषि
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