मोदी की उज्जवला योजना की वजह से पेट्रोलियम कंपनियों को 4000 करोड़ के नुक़सान की आशंका

by Sarfaroshi 1 year ago Views 2436

Modi's Ujjwala scheme

मोदी सरकार की सर्वश्रेष्ठ योजनाओं में एक उज्जवला योजना से देश की रसोई गैस कंपनियों को भारी नुक़सान होने की आशंका है। इनमें इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम जैसी कंपनियां शामिल हैं। योजना की शुरुआत में 50-50 फॉर्म्यूले पर हुई थी। 

यानि गैस कनेक्शन के लिए 50 फीसदी की मदद केन्द्र सरकार द्वारा मिलनी थी और 50 फीसदी इन कंपनियों द्वारा लाभार्थियों को लोन के तौर पर दिया जाना था। आगे यह तय हुआ कि गैस कनेक्शन लेने वाले लाभार्थियों को सब्सिडी के तौर पर मिलने वाली रक़म से तय समय में कंपनियां अपना लोन रिकवर कर लेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

लाभार्थियों ने गैस कनेक्शन तो ले लिए और इस योजना के तहत भारी संख्या में गैस कनेक्शन बांटे भी गए, लेकिन अब जब लोगों के पास पैसे नहीं हैं तो वे सिलिंडर रिफिल नहीं करा पा रहे हैं और इसका नुक़सान कंपनियों को उठाना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कंपनियों को 4000 करोड़ रूपये तक के नुक़सान हो सकता है।

क्या है उज्जवला योजना?
इस योजना का उद्धाटन पीएम मोदी ने मई 2016 में किया था, जिसका लक्ष्य 8 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं या फिर घरों में खाना पकाने के लिए साफ ईंधन उपलब्ध कराना था। योजना के तहत सरकार ने घरों में एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का वादा किया था। योजना की शुरूआत के समय एक कनेक्शन 4-5 हज़ार में आता था लेकिन सरकार के बल्क में लेने के कारण इसकी कीमत कम हो कर 32,00 रूपये तक आ गई।

केंद्र ने इसमे से आधी राशि, 1,600 रूपये लाभार्थियों को मदद के तौर पर देदी जबकि आधी राशि खुद लाभार्थियों को चुकानी थी। इस राशि को चुकाने के लिए तय हुआ कि लाभार्थी या तो इस राशि को कनेक्शन लेते समय पूरी तरह चुका देंगे या फिर लाभार्थी  गैस कनेक्शन लेने वाली कंपनी से कर्ज लेंगे लेंगे। यह कंपनी जनता को सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी से कर्ज की राशि वसूलती रहेंगी। 

क्या है परेशानी? 
अब कंपनियों को इस योजना के चलते नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि गैस कनेक्शन लेने वाले लाभार्थी रसोई गैस के आसमान छूते दामों के चलते सिलेंडर को रिफिल नहीं करा रहे हैं, ऐसे में उन्हें गैस पर सब्सिडी नहीं मिल रही और इन्हें लोन पर कनेक्शन देने वाली कंपनियां अपना कर्ज नहीं वसूल पा रहीं और तो और अधिकारियों के मुताबिक केंद्र ने भी कंपनियों के इस नुकसान की भरपाई करने से मना कर दिया है।

भारत में इस साल की शुरूआत में एक घरेलु गैस सिलेंडर की कीमत लगभग 700 रूपये थी जबकि 6 अक्टूबर को दाम बढ़ाए जाने के बाद यह बढ़कर 899.50 रूपये हो गई है। औसतन एक साल में भारत में 7.1 बार सिलेंडर रिफिल कराया जाता है जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उज्जवल योजना के लाभार्थी सिर्फ 3.1 बार ही सिलेंडर रिफिल कराता है।

इंडियन ऑयल को हो सकता है ज़्यादा नुकसान 
अगर उज्जवला योजना के लाभार्थियों से कर्ज न वसूला जा सका तो इंडियन ऑयल को काफी अधिक नुकसान होने का खतरा है। देश में कुल 30 करोड़ लोग एलपीजी गैस का इस्तेमाल करते हैं, इसमें से 12.8 करोड़ अकेले इंडियन ऑयल के उपभोक्ता हैं। इसके अलावा 8.5 करोड़ लोग भारत और 8.7 करोड़ लोग हिंदुस्तान पेट्रोलियम का सिलेंडर लेते हैं।

इंडियन ऑयल ने उज्जवला योजना के तहत वित्त वर्ष 2017 और 18 में 1.1 करोड़ कनेक्शन जारी किए इनमें से 36.5 लाख सिलेंडर रिफिल कराने के लिए वापस नहीं लौटे। इस तरह भारत पेट्रोलियम ने इस अवधि में 59 लाख कनेक्शन जारी किए जिनमें से 21.7 लाख सिलेंडर दोबारा फिल नहीं कराए गए। हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने योजना की शुरूआत से 1 जनवरी 2019 तक 1.6 करोड़ कनेक्शन जारी किए। 

उज्जवला योजना 2.0  
केंद्र सरकार ने कंपनियों पर योजना के पहले चरण के बोझ के साय में उज्जवल योजना 2.0 भी शुरू कर दी है जिसके तहत 1 करोड़ लोगों को इन्हीं शर्तों पर एलपीजी कनेक्शन दिया जाना है। इसके लिए पहले ही 1 करोड़ से ज़्यादा आवेदन आ चुके हैं।

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