पहली तिमाही में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 31 फ़ीसदी घटा: आरबीआई

भारत में मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था की कमर कोरोना ने तोड़ दी है. उद्योग-धंधे सिकुड़ रहे हैं और सरकार अपने टैक्स वसूली के लक्ष्य पर लगातार पिछड़ रही है. अब ताज़ा आरबीआई की आंकड़े बताते हैं कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 31 फीसदी घट गयी है.
आयकर विभाग के मुताबिक इस तिमाही में एडवांस टैक्स में ज़बरदस्त गिरावट आयी है, इसकी वजह से डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर सरकार को झटका लगा है.
आयकर विभाग के मुताबिक, ‘वित्त वर्ष 2020- 21 की पहली तिमाही में 15 जून तक कुल एडवांस कलेक्शन में 76.05 प्रतिशत की भारी गिरावट आई और यह 11,714 करोड़ रुपये पर आ गया. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 48,917 करोड़ रुपये का रहा था.’ इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 में टैक्स कलेक्शन 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में टैक्स कलेक्शन 21.63 लाख करोड़ रुपये रहा था. साल 2016 में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स तेज़ी से ऊपर जा रहा था लेकिन साल 2020 आते-आते इसमें नेगेटिव ग्रोथ दर्ज हुई है. पिछले साल अर्थव्यवस्था की पतली होती हालत पर केंद्र सरकार घिरी तो वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में रियायत देने का ऐलान किया था. मकसद निवेश को बढ़ावा देना लेकिन कॉरपोरेट टैक्स में छूट देने से एक तरफ तो सरकार की आमदनी गिरी, वहीं दूसरी तरफ निवेशक भी उत्साहित नहीं हुए और बाज़ार में पैसा नहीं लगाया. साल 2019-20 में वित्तीय घाटा भी बढ़कर 4.6 फीसदी हो गया है. वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत ऐसे समय में हुई जब देश लॉकडाउन में था.
आयकर विभाग के मुताबिक, ‘वित्त वर्ष 2020- 21 की पहली तिमाही में 15 जून तक कुल एडवांस कलेक्शन में 76.05 प्रतिशत की भारी गिरावट आई और यह 11,714 करोड़ रुपये पर आ गया. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 48,917 करोड़ रुपये का रहा था.’ इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 में टैक्स कलेक्शन 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में टैक्स कलेक्शन 21.63 लाख करोड़ रुपये रहा था. साल 2016 में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स तेज़ी से ऊपर जा रहा था लेकिन साल 2020 आते-आते इसमें नेगेटिव ग्रोथ दर्ज हुई है. पिछले साल अर्थव्यवस्था की पतली होती हालत पर केंद्र सरकार घिरी तो वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में रियायत देने का ऐलान किया था. मकसद निवेश को बढ़ावा देना लेकिन कॉरपोरेट टैक्स में छूट देने से एक तरफ तो सरकार की आमदनी गिरी, वहीं दूसरी तरफ निवेशक भी उत्साहित नहीं हुए और बाज़ार में पैसा नहीं लगाया. साल 2019-20 में वित्तीय घाटा भी बढ़कर 4.6 फीसदी हो गया है. वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत ऐसे समय में हुई जब देश लॉकडाउन में था.
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