दिल्ली/एनसीआर बना गैस चैम्बर, हवा सुरक्षित मानकों से 12 गुना ज्यादा ज़हरीली

दिल्ली/एनसीआर में सर्दी की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्तिथि तक पहुंच गया है। बुधवार शाम हालात इतने ज्यादा ख़राब हो गए की स्मोग की वजह से पूरे दिल्ली/एनसीआर में विजिबिलिटी बेहद कम हो गई।
Air Quality के रियल टाइम डेटा के मुताबिक 4 नवंबर शाम को इंदिरापुरम इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स 844 के आंकड़े तक पहुंच गया। बता दें, इंसानों के लिए AQI 60 से ऊपर खतरनाक माना जाता है। यही हाल रहा एनसीआर के और भी इलाक़ो का। नोएडा के सेक्टर 62 में AQI रहा 791, वसुंधरा ग़ाज़ियाबाद में 684, दिल्ली के आनंद विहार में 672, ओखला में 608 और गुड़गाँव में 412।
आसान भाषा में कहें तो पूरी दिल्ली और उसके आसपास के इलाके स्मोक यानि धुआँ और फोग यानि धुंध के मिश्रण स्मोग की चपेट में है जिससे लोगो को तकलीफ़ का सामना कर रहा है, खासतौर पर उन्हें जिन्हे सांस लेने में तकलीफ़ है। इसके अलावा कम विजिबिलिटी के चलते गाड़ी चला रहे लोगों को भी काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सेंट्रल पोलुशन कंट्रोल बोर्ड के AQI बुलेटिन के मुताबिक 4 नवंबर को सबसे ज्यादा बुरे हालात उत्तर प्रदेश के कई शहरों के रहे जैसे रामपुर, अलीगढ़ और हरिद्वार। इन सभी इलाक़ो में AQI 400 से अधिक रहा। सबसे हैरानी की बात है की दिल्ली की केजरीवाल सरकार वैसे तो बढ़ते प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराती रही है लेकिन ताज़ा आंकड़े कुछ और कहानी बयान कर रहे हैं। ताज़ा जानकारी के मुताबिक बीते दिनों पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाई गई लेकिन इसके बावजूद दिल्ली के आसपास के इलाके के मुकाबले पंजाब में प्रदूषण का स्तर काफी कम रहा। मसलन लुधियाना में AQI 280 दर्ज़ हुआ, वही पटियाला में 311, मोगा और पंजाब के अन्य शहरों में भी AQI दिल्ली के मुकाबले काफी कम रहा। आंकड़ों से यह बात साफ़ है कि दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदूषण के पीछे की वजह सिर्फ पराली नहीं है। गाड़ियों और फ़ैक्टरियों से निकलने वाले धुंए की वजह से प्रदूषण कई गुना ज्यादा है.
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आसान भाषा में कहें तो पूरी दिल्ली और उसके आसपास के इलाके स्मोक यानि धुआँ और फोग यानि धुंध के मिश्रण स्मोग की चपेट में है जिससे लोगो को तकलीफ़ का सामना कर रहा है, खासतौर पर उन्हें जिन्हे सांस लेने में तकलीफ़ है। इसके अलावा कम विजिबिलिटी के चलते गाड़ी चला रहे लोगों को भी काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सेंट्रल पोलुशन कंट्रोल बोर्ड के AQI बुलेटिन के मुताबिक 4 नवंबर को सबसे ज्यादा बुरे हालात उत्तर प्रदेश के कई शहरों के रहे जैसे रामपुर, अलीगढ़ और हरिद्वार। इन सभी इलाक़ो में AQI 400 से अधिक रहा। सबसे हैरानी की बात है की दिल्ली की केजरीवाल सरकार वैसे तो बढ़ते प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराती रही है लेकिन ताज़ा आंकड़े कुछ और कहानी बयान कर रहे हैं। ताज़ा जानकारी के मुताबिक बीते दिनों पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाई गई लेकिन इसके बावजूद दिल्ली के आसपास के इलाके के मुकाबले पंजाब में प्रदूषण का स्तर काफी कम रहा। मसलन लुधियाना में AQI 280 दर्ज़ हुआ, वही पटियाला में 311, मोगा और पंजाब के अन्य शहरों में भी AQI दिल्ली के मुकाबले काफी कम रहा। आंकड़ों से यह बात साफ़ है कि दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदूषण के पीछे की वजह सिर्फ पराली नहीं है। गाड़ियों और फ़ैक्टरियों से निकलने वाले धुंए की वजह से प्रदूषण कई गुना ज्यादा है.
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