'मेक इन इंडिया' पर हो-हल्ले के बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा दे रहे हैं। सरकार की ओर से इसे लेकर तमाम योजनाएँ घोषित की गयी हैं। जनता के बीच चीनी कंपनियों और उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम भी चलायी जा रही है।'मेक इन इंडिया' जैसे अभियानों का बड़ा ज़ोर है जिसके तहत मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना था लेकिन आँकड़े बताते हैं कि सारे दावे हवा-हवाई साबित हुए हैं।
एशियन डेवलपमेंट बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी इंटरनेशनल मोनेटरी फंड के मुताबिक साल 2019 में भारत की जीडीपी में औद्योगिक उत्पादन क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले 20 सालों के न्यूनतम स्तर पर है। आसान भाषा में कहे तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश में बढ़ने की बजाय सिकुड़ रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 में भारत के औद्योगिक क्षेत्र की जीडीपी में हिस्सेदारी 29.9 फीसदी थी जो 2008 आते-आते अपने उच्चतम स्तर 32.3 फीसदी तक पहुंची। लेकिन साल 2019 में यह घटकर 27.5 फीसदी रह गयी है। ग़ौरतलब है कि ठीक इसी समयावधि में बांग्लादेश ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गज़ब तरक्की की है। साल 2000 में बांग्लादेश की जीडीपी में औद्योगिक क्षेत्र की हिस्सेदारी केवल 25.3 फीसदी थी, जो साल 2019 आते-आते बढ़कर हो गई 31.2 फीसदी। वैसे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की यह दुर्दशा एक दिन में नहीं हुई है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2013 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 4.8 फीसदी थी जो साल 2019 में लुढ़ककर 3.9 फीसदी रह गयी है. साथ ही, साल 2016 से 2019 के बीच औद्योगिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 190 बेसिस पॉइंट्स कम हो चुकी है। ग़ौरतलब है कि यह वही तीन साल हैं जिस दौरान मोदी सरकार ने देश में नोटबंदी और जीएसटी लागू किया था। कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है इन दोनों फैसले ने भारत के असंगठित क्षेत्र की कमर तोड़कर रख दी है। वित्त वर्ष 2019-20 में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में 5.24 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था में केवल 4.2 की वृद्धि दर्ज़ हुई थी।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 में भारत के औद्योगिक क्षेत्र की जीडीपी में हिस्सेदारी 29.9 फीसदी थी जो 2008 आते-आते अपने उच्चतम स्तर 32.3 फीसदी तक पहुंची। लेकिन साल 2019 में यह घटकर 27.5 फीसदी रह गयी है। ग़ौरतलब है कि ठीक इसी समयावधि में बांग्लादेश ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गज़ब तरक्की की है। साल 2000 में बांग्लादेश की जीडीपी में औद्योगिक क्षेत्र की हिस्सेदारी केवल 25.3 फीसदी थी, जो साल 2019 आते-आते बढ़कर हो गई 31.2 फीसदी। वैसे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की यह दुर्दशा एक दिन में नहीं हुई है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2013 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 4.8 फीसदी थी जो साल 2019 में लुढ़ककर 3.9 फीसदी रह गयी है. साथ ही, साल 2016 से 2019 के बीच औद्योगिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 190 बेसिस पॉइंट्स कम हो चुकी है। ग़ौरतलब है कि यह वही तीन साल हैं जिस दौरान मोदी सरकार ने देश में नोटबंदी और जीएसटी लागू किया था। कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है इन दोनों फैसले ने भारत के असंगठित क्षेत्र की कमर तोड़कर रख दी है। वित्त वर्ष 2019-20 में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में 5.24 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था में केवल 4.2 की वृद्धि दर्ज़ हुई थी।
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