मैनुअल स्केवेंजिंग में मौतों से फिर इनकार, सीवर की सफाई में हर रोज़ तीन मौतें !

देश में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई एक जोखिम भरा काम है और मज़दूर चंद रुपयों के लिए बिना सुरक्षा उपकरण के जान जोखिम में डालकर सेप्टिक और सीवर टैंक की सफाई करने उतर जाते हैं। सुरक्षा में चूक की वजह से कई कर्मचारियों की मौत भी हो जाती है।
राज्यसभा में सोशल जस्टिस एंड एंपॉवरमेंट मंत्री विरेंद्र कुमार ने बताया है कि सीवर की सफाई के दौरान 941 कर्मचारियों की मौत हो गई है। यानि हर रोज़ कम से कम तीन कर्मचारियों की मौत दर्ज की गई।
मंत्रालय से सांसद बिनॉय विस्वम ने मेनुअल स्केवेंजिंग की वजह से मौतों का आंकड़ा पूछा था लेकिन मंत्री विरेंद्र कुमार ने ऐसी मौतों से इनकार किया है। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ मैनुअल स्केवेंजिंग के दौरान देश में एक भी कर्मचारियों की मौत नहीं हुई है। हालांकि सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे कर्मचारियों की मौतों का राज्यवार आंकड़ा दिया गया है जिसके मुताबिक़ तमिलनाडु पहले नंबर पर है जहां सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे कर्मचारियों की सबसे ज़्यादा मौतें दर्ज की गई है। मसलन तमिलनाडु में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले 213 कर्मचारियों की मौतें हुई है। इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात है जहां ऐसी 153 मौतें दर्ज की गई है। इनके अलावा उत्तर प्रदेश में 104, दिल्ली में 98 और कर्नाटक में 84 कर्माचारियों की मौत हो गई।
मंत्रालय से सांसद बिनॉय विस्वम ने मेनुअल स्केवेंजिंग की वजह से मौतों का आंकड़ा पूछा था लेकिन मंत्री विरेंद्र कुमार ने ऐसी मौतों से इनकार किया है। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ मैनुअल स्केवेंजिंग के दौरान देश में एक भी कर्मचारियों की मौत नहीं हुई है। हालांकि सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे कर्मचारियों की मौतों का राज्यवार आंकड़ा दिया गया है जिसके मुताबिक़ तमिलनाडु पहले नंबर पर है जहां सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे कर्मचारियों की सबसे ज़्यादा मौतें दर्ज की गई है। मसलन तमिलनाडु में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले 213 कर्मचारियों की मौतें हुई है। इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात है जहां ऐसी 153 मौतें दर्ज की गई है। इनके अलावा उत्तर प्रदेश में 104, दिल्ली में 98 और कर्नाटक में 84 कर्माचारियों की मौत हो गई।
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