Covid-19: कम केस लेकिन ज़्यादा कोरोना मौतें; सबसे ज़्यादा मौतों वाला देश बन सकता है भारत!

भारत में बीते एक हफ्ते से लगातार कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। देश में शुक्रवार को कोविड के 14,348 नए मामले सामने आए हैं जबकि इससे एक दिन पहले 16,156 संक्रमित मरीज सामने आए थे। वहीं इन दो दिनों में संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या में खासा ईज़ाफा हुआ है।
केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते एक दिन में संक्रमण से 805 लोगों ने जान गंवाई है जबकि गुरूवार को आए आंकड़ों के मुताबिक 24 घंटों में 733 मरीजों की मौत हुई थी। इसके अलावा अगर 22 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच देखा जाए तो देश में हर दिन लगभग 400 से ज्यादा मरीजों की मौत दर्ज की जा रही है जबकि संक्रमण से होने वाली मौतों का साप्ताहिक औसत 593 है।
इससे पहले संक्रमित मरीजों की मौत का इतना साप्ताहिक औसत जुलाई के अंत में दर्ज किया गया था। 31 जुलाई को कोविड से होने वाली मौतों का वीकली एवरेज 620 था वहीं आखिरी बार 24 जुलाई को ही देश में 800 से ज़्यादा मौतें दर्ज की गई थी। यह वह वक्त था जब भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पीक पर पहुंचने के बाद हालातों में सुधार आ रहा था।
22 अक्टूबर से 26 अक्टूबर के बीच देश में संक्रमण से मौतों का आंकड़ा क्रमशः 666, 561, 443, 356 और 585 था। भारत में लगातार मौतों की संख्या में बढ़ोतरी का कारण केरल से आ रहे बैकलोग डाटा को बताया जा रहा है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से केरल अपने यहां कोविड की ‘मिसिंग डेथ’ को रिपोर्ट कर रहा है। शुक्रवार को आए आंकड़ों के मुताबिक 805 में से 704 मौतें अकेले केरल से दर्ज की गई है। इस तरह 27 अक्टूबर के आंकड़ों के मुताबिक 585 मौतें में से 482 मौतें अकेले केरल से थी।
अब देश में मृत संक्रमित मरीजों की संख्या में तब तक इज़ाफा देखने को मिलते रहने की संभावना है जब तक केरल 7,000 कोविड से मारे गए लोगों की बैकलोग इन आंकड़ों में जोड़ता रहेगा। 8 अक्टूबर को केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा था कि केरल में महामारी की शुरूआत से लेकर मध्य जून 2021 के बीच हुई 7,000 मौतों के आंकड़े को एड किया जाएगा। यह वह मौतें हैं जिनकी पूरे दस्तावेजों के अभाव में और दूसरी तकनीकी खामियों के कारण पुष्टि नहीं की जा सकी।
केरल से आ रही कोविड-19 से हुई मौतों की बैकलोग के कारण बीते महीनों आई अमेरिकी रिपोर्ट पर चर्चा फिर तेज़ हो गई है। जुलाई में अमेरिका के Center for Global Development ने एक स्टडी में दावा किया था कि देश में ‘अतिरिक्त मौतों’ का अनुमानित आंकड़ा 37-47 लाख हो सकता है जो कि तब तक दर्ज की गई कोविड-19 मौतों से 10 गुना से भी ज़्यादा है। इस रिसर्च रिपोर्ट को तैयार करने के लिए जिन राज्यों से आंकड़े लिए गए थे, उनमें केरल भी शामिल था। केरल के अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से भी 1,77,000 घरों से 8,68,000 लोगों का कंस्यूमर सर्वे किया गया था।
रिपोर्ट को तैयार करने के लिए कुछ और पैमाने भी लिए गए थे।रिपोर्ट के सह-लेखक भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना था कि देश में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या लाखों नहीं बल्कि दसियों लाख हो सकती है। अब केरल के बाद बहुत हद तक मुमकिन है कि सर्वे में शामिल किए गए दूसरे राज्यों में भी मृतक मरीजों की अंडरकाउंटिंग हुई हो।
विदेशी रिपोर्ट के बाद द हिंदू ने भी 31 जुलाई को एक रिपोर्ट में आठ राज्यों के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के आधार पर दावा किया था कि देश में कोविड के दौरान दर्ज की गई अतिरिक्त मौतों की संख्या कुल मारे गए लोगों के आधिरकारिक आंकड़े से 8.22 गुना ज़्यादा होने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो भारत सबसे ज़्यादा अतिरिक्त मौतों वाला देश बन जाएगा। अखबार का कहना था कि ज़रूरी नहीं कि सभी अतिरिक्त मौतें संक्रमण से जुड़ी हों लेकिन इतना तय है कि इन महामारी की अवधि में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है।
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