देश की पहली महिला एयर मार्शल पद्मा बंधोपाध्याय को मिला पद्मश्री पुरस्कार

by Sarfaroshi 1 year ago Views 3456

Padma Bandopadhyay

आज देश में पद्म पुरस्कार समारोह का आयोजन हुआ। राजनीति, मेडिकल, बॉलिवुड और खेल जगत से कई हस्तियों को देश के सर्वोच्च सम्मानों से नवाज़ा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रिय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में खेल क्षेत्र से बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को पद्म भूषण और बॉक्सिंग खिलाड़ी मैरिकॉम को पद्म भूषण सौंपा। वहीं बॉलिवुड से अभिनेत्री कंगना रनौत, फिल्ममेकर एकता कपूर और करण जौहर का नाम का चर्चा रहा।

आज राष्ट्रपति भवन में चकाचौंध के बीच एयर मार्शल डॉ पद्मा बंदोपाध्याय को भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह देश की पहली एयर मार्शल हैं। उन्हें आज मेडिसिन फील्ड में योगदान के लिए यह अवॉर्ड दिया गया है। इस मौके पर  पेश हैं पद्मा बंधोपाध्याय के जीवन का संक्षिप्त वर्णनः

कौन हैं पद्मा बंधोपाध्याय 
पद्मा बंधोपाध्याय भारतीय वायु सेना की पूर्व फ्लाइट सर्जन हैं। वह भारतीय वायुसेना में मार्शल के पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं जबकि भारतीय सशस्त्र बलों में थ्री-स्टार रैंक पाने वाली पद्मा दूसरी महिला जवान हैं। 

दिल्ली की गोल मार्केट में साधारण जीवन 
पद्मा का जन्म 4 नवंबर 1944 आंध्रप्रदेश में हुआ था। फिर वह दिल्ली के गोल मार्केट में आ कर रहने लगी। यहां, पद्मा बंदोपाध्याय की मां बिमारी के कारण ज़्यादातर बिस्तर पर ही रहती थी और ऐसे में पद्मा ने काफी छोटी उम्र से उनकी दखेभाल की। यहीं, गोल मार्केट में लेडी हार्डिन मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन प्रोफेसर SI Padmavati उनकी पड़ोसी थी। पद्मा का कहना है कि उनकी मां की बिमारी और पद्मावती ने ही उन्हें शुरूआत में डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया। 

IAS बनने का था सपना 
पद्मा के मुताबिक वह IAS बनना चाहती थीं लेकिन एक घटना ने उनका जीवन बदल दिया। पद्मा गोल मार्केट में अपने दोस्तों के साथ खेला करती लेकिन 6 महीने बाद उनके कई दोस्त लापता हो गए। बाद में पता चला कि पड़ोस के 50 के घरों में 20 लोग 1962 के युद्ध में मारे गए हैं। यह जानकर पद्मा ने आईएएस बनने का ख्याल मन से निकालकर भारतीय फौज में भर्ती होने का मन बना लिया। पद्मा ने ठाना कि उन्हें देश के लिए कुछ करना है।

सेना में शामिल होने में मुश्किल
पद्मा बताती हैं कि शुरूआत में जब वह लोगों को बताती कि उन्हें फौज में भर्ती होना है तो लोग यह बोल कर उनका मज़ाक बनाते कि वह लड़की हो कर सेना में कैसे शामिल होंगी। इस दौरान 1962 में ही आर्मड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई हालांकि पद्मा के अंडरएज होने के कारण कोई कॉलेज उन्हें दाखिला देने को तैयार नहीं था। बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार दिल्ली के करोड़ी मल कॉलेज ने उन्हें अपना प्रीमेडिकल करने की अनुमति दी और यहां से उन्होंने वायु सेना में जाने का फैसला किया।

देश की पहली महिला एयर मार्शल बनी पद्मा बंदोपाध्याय 
पद्मा बंदोपाध्याय 1968 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुई। तब से लेकर रिटायर्ड होने तक उन्होंने कई बड़े मुकाम हासिल किए और कई पुरूस्कारों से उन्हें नवाज़ा गया। पद्मा भारतीय एयरोस्पेस मेडिकल सोसाएटी में शामिल होने वाली और उत्तरी ध्रुव में साइंटिफिक रिसर्च करने वाली पहली महिला हैं। वह रक्षा सेवा स्टाफ कोर्सेज को पूरी करने वाली भी पहली महिला है। उन्हें दशकों लंबी अपनी सेवा के दौरान 1973 में विशिष्ट सेवा पदक जैसे सम्मान प्राप्त हुए

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