कांग्रेस की आगे की राह पहले से कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे को 'चौंकाने वाला और दर्दनाक' बताते हुए मंगलवार को कहा कि पार्टी के लिए आगे की राह 'पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण' है, जो पार्टी के समर्पण, दृढ़ संकल्प और भावना की परीक्षा लेगी।
सोनिया गांधी ने जी 23 नेताओं की टिप्पणियों या कई राज्य इकाइयों में हड़बड़ी का ज़िक्र किए बिना कहा कि वो पार्टी में एकता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि, “मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं। वे चौंकाने वाले और दर्दनाक दोनों रहे हैं। हमारे प्रदर्शन की समीक्षा के लिए सीडब्ल्यूसी की एक बार बैठक हो चुकी है। मैं अन्य साथियों से भी मिली हूं। मुझे अपने संगठन को मज़बूत करने के बारे में कई सुझाव मिले हैं। कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं।' सोनिया गांधी ने कहा कि चिंतन शिविर का आयोजन भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि "यही वो जगह है जहां बड़ी संख्या में सहयोगियों और पार्टी के प्रतिनिधियों के विचार सुने जाएंगे।" उन्होंने कहा, "वे हमारी पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल कदमों पर एक स्पष्ट रोडमैप को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे कि हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान कैसे करें।" सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि, “आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। हमारे समर्पण और दृढ़ संकल्प, हमारे लचीलेपन की भावना की कड़ी परीक्षा है। हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है और मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, करने के लिए तैयार हूं।" ग़ौरतलब है कि हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बुरी तरह हार हुई थी। पार्टी को पंजाब, एकमात्र चुनावी राज्य जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार थी - हार का सामना करना पड़ा। वहीं उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, और त्रिपुरा में भी पार्टी को हार मिली। इसके बाद पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। चुनाव ख़त्म होने के बाद जी-23 के नेताओं ने एक बैठक भी की थी जिसमें कई नए चेहरे भी नज़र आए थे। हालांकि जी-23 के कुछ नेताओं ने कहा था कि वो नेतृत्व पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। कुछ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष से मुलाक़ात भी की थी, जिनमें वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद शामिल हैं। सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, "शासन के मामलों में, यह अनिवार्य है कि कुछ असली काम करते हैं और नींव रखते हैं जबकि अन्य श्रेय का दावा करते हैं।" उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की कम से कम दो ऐतिहासिक पहल, जिसकी आलोचना प्रधानमंत्री से कम किसी व्यक्ति ने नहीं की है, पिछले दो वर्षों में हमारे करोड़ों लोगों के लिए जीवरेथा साबित हुई हैं।" जिनमें दो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि, “मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं। वे चौंकाने वाले और दर्दनाक दोनों रहे हैं। हमारे प्रदर्शन की समीक्षा के लिए सीडब्ल्यूसी की एक बार बैठक हो चुकी है। मैं अन्य साथियों से भी मिली हूं। मुझे अपने संगठन को मज़बूत करने के बारे में कई सुझाव मिले हैं। कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं।' सोनिया गांधी ने कहा कि चिंतन शिविर का आयोजन भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि "यही वो जगह है जहां बड़ी संख्या में सहयोगियों और पार्टी के प्रतिनिधियों के विचार सुने जाएंगे।" उन्होंने कहा, "वे हमारी पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल कदमों पर एक स्पष्ट रोडमैप को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे कि हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान कैसे करें।" सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि, “आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। हमारे समर्पण और दृढ़ संकल्प, हमारे लचीलेपन की भावना की कड़ी परीक्षा है। हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है और मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, करने के लिए तैयार हूं।" ग़ौरतलब है कि हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बुरी तरह हार हुई थी। पार्टी को पंजाब, एकमात्र चुनावी राज्य जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार थी - हार का सामना करना पड़ा। वहीं उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, और त्रिपुरा में भी पार्टी को हार मिली। इसके बाद पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। चुनाव ख़त्म होने के बाद जी-23 के नेताओं ने एक बैठक भी की थी जिसमें कई नए चेहरे भी नज़र आए थे। हालांकि जी-23 के कुछ नेताओं ने कहा था कि वो नेतृत्व पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। कुछ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष से मुलाक़ात भी की थी, जिनमें वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद शामिल हैं। सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, "शासन के मामलों में, यह अनिवार्य है कि कुछ असली काम करते हैं और नींव रखते हैं जबकि अन्य श्रेय का दावा करते हैं।" उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की कम से कम दो ऐतिहासिक पहल, जिसकी आलोचना प्रधानमंत्री से कम किसी व्यक्ति ने नहीं की है, पिछले दो वर्षों में हमारे करोड़ों लोगों के लिए जीवरेथा साबित हुई हैं।" जिनमें दो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम शामिल हैं।
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