लॉकडाउन में ख़त्म हुई बुज़ुर्गों को मिलने वाली रियायत; ट्रेन में पूरे किराए पर सफर करने को मज़बूर

कोरोना संक्रमण के नाम पर भारतीय रेलवे ने बुजुर्गों को टिकट बुकिंग पर मिलने वाली रियायत पर रोक लगा रखी है। एक RTI के जवाब में रेलवे ने बताया कि मार्च 2020 से करीब 4 करोड़ बुजुर्गों ने रेलवे में पूरा किराया देकर सफर किया। मार्च के अंत से ही भारत में कोविड के कारण लगे लॉकडाउन के कारण आम ट्रेन सेवा को स्थगित कर दिया गया था। इसके बदले कुछ स्पेशल ट्रेन जैसे ‘श्रमिक ट्रेन’ चलाई जा रही थी।
मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौर की दायर एक आरटीआई में पता चला कि 22 मार्च से सितंबर 2021 तक 37,850,668 बुजुर्गों ने ट्रेन में सफर किया। भारतीय रेलवे 53 वर्गों के तहत छात्र, मेडिकल प्रोफेशनल और वरिष्ठ नागरिक आदि को किराए में छूट देता है।
वरिष्ठ नागरिकों में भी महिलाओं को किराए पर 50% और पुरूषों को 40 फीसदी छूट का प्रावधान है हालांकि मौजूदा समय में रेलवे ने सिर्फ छात्रों और मेडिकल फील्ड से आने वाले लोगों के लिए यह सुविधा जारी रखी है जिसका मतलब है कि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा यानि वरिष्ठ नागिरक पूरे किराए पर यात्रा करने को मजबूर हैं।
रेलवे अधिकारियों की मानें तो नागरिकों को मिलने वाली छूट पर रोक लगाई गई ताकि लोग गैरज़रूरी यात्रा से बचें हालांकि आलोचकों का कहना है रेलवे ने कोविड की आढ़ में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली एक अहम सुविधा को खत्म कर दिया है।
ऐसा इसलिए क्योंकि उम्रदराज लोगों को किराए पर छूट हमेशा से बहस का मुद्दा रही हैं। कई कमेटियों ने रेलवे को सुझाव दिया था कि उसे वरिष्ठ नागरिकों की इस सेवा को रद्द कर देना चाहिए।
रेलवे ने थक कर जुलाई 2017 में ‘Give it up’ नाम की योजना शुरू की थी। इसमें ऐसे नागरिकों के लिए किराए पर छूट प्राप्त करने का विकल्प दिया गया था यानि कि वरिष्ठ नागरिकों के पास छूट का 50 फीसदी या फिर 100 फीसदी छोड़ने का ऑप्शन था हालांकि इस योजना पर आई कैग की रिपोर्ट रेलवे के लिए हताश करने वाली थी क्योंकि करोड़ों की संख्या में सफर करने वाले बुजुर्गों में से सिर्फ कुछ लाख ने ही स्कीम के तहत किराए पर छूट की सेवा आंशिक या पूरे तौर पर छोड़ी।
कैग की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक 4.41 करोड़ बुजुर्ग यात्रियों में से सिर्फ 1.7 फीसदी यानि 7.53 लाख ने किराए पर मिलने वाली छूट को आंशिक तौर पर और 2.47 फीसदी यानि 10.9 लाख ने ट्रेन किराए पर मिलने वाली छूट सेवा नहीं ली।
रेलवे खुद वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली छूट को खत्म करना चाहता था। ऐसा करने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं। इनमें से एक यह कि लोगों को टिकट पर छूट देने के कारण रेलवे को नुकसान उठाना पड़ता है हालांकि चंद्र शेखर की ही दायर एक RTI से पता चला है कि रेलवे को 2021-22 की पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में 113% की ज़्यादा कमाई हुई है।
इस बीच रेलवे ने लॉकडाउन के दौरान बंद की गई अपनी सेवा को 96 फीसदी तक बहाल कर दिया है। इसके अलावा ट्रेनों से अब ‘स्पेशल ट्रेन’ का टैग भी हटाया जा रहा है जिससे अब यात्री आम किराए पर ही यात्रा करेंगे और लोगों को यात्रा के दौरान पके हुए और ‘रेडी-टू-ईट मील’ की सेवा मिलेगी। कहा यह भी जा रहा है कि जल्द ही लोगों को ट्रेन में बिस्तर की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
निजी क्षेत्र के एक रिटायर्ड कर्मचारी तापस भट्टाचार्य का कहना था किनियमित ट्रेन सेवाओं के चलने के साथ, कम-से-कम वरिष्ठ नागरिकों को पहले दी जाने वाली रियायतें बहाल की जानी चाहिए. अधिकांश बुजुर्ग पूरे किराए का भुगतान नहीं कर सकते हैं हालांकि भारी आलोचनाओं के बीच भी रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सेवा को लेकर अब भी चुप्पी साधी हुई है।
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