चीनी बैंक AIIB ने रूस में अपनी गतिविधियां रोकी; चीन खुलकर रूस का समर्थन क्यों नहीं कर रहा ?
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दुनिया के कई देश, कंपनी, बैंक हैं जिन्होंने रूस के साथ अपना व्यापार और व्यवसाय बंद/आंशिक तौर पर बंद कर दिया है...

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दुनिया के कई देश, कंपनी, बैंक हैं जिन्होंने रूस के साथ अपना व्यापार और व्यवसाय बंद/आंशिक तौर पर बंद कर दिया है। इसी कड़ी में चीनी स्वामित्व वाले AIIB - Asian Infrastructure Investment Bank भी शामिल है जिसने हाल ही में रूस और उसके सहयोगी बेलारूस में चल रही अपनी सभी गतिविधियों पर रोक लगाने का फैसला किया है।
AIIB की तरफ से कहा गया है कि आर्थिक हालात को देखते हुए उसने यह क़दम उठाए हैं। यह कदम मास्को के लिए बीजिंग के समर्थन की सीमाओं का एक संकेत भी है।
पिछले दिनों भी चीनी अधिकारियों की तरफ से कहा गया था कि रूस के यूक्रेन के साथ बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए और "ऑपरेशन" रोकना चाहिए, लेकिन चीन ने रूस के लिए यूक्रेन पर “आक्रमण” शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। चीन यूएनएसी में भी रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग करने से बच रहा है। पश्चिमी और यूरोपीय देशों द्वारा रूस के ख़िलाफ़ "सभी अवैध एकतरफा प्रतिबंधों" की चीन ने आलोचना भी की है। बीजिंग स्थित संस्था ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "मौजूदा परिस्थितियों में, और बैंक के सर्वोत्तम हित में, प्रबंधन ने रूस और बेलारूस से संबंधित सभी गतिविधियों को रोकने का फैसला किया है और समीक्षा की जा रही है।" बहुपक्षीय डेवलपमेंट बैंक, जिसके दुनियाभर में 105 सदस्य हैं ने यह साफ नहीं किया है कि वो अपनी गतिविधियां क्यों रोक रहा है लेकिन इसके अधिकारी ने उन सभी के साथ अपनी संवेदना व्यक्त की है जो संकट से प्रभावित हो रहे हैं। ग़ौरतलब है कि चीनी स्वामित्व वाले इस फाइनेंशियल बैंक का यह फैसला तब आया है जब कुछ दिनों पहले ही बैंक ऑफ चाइना सहित कई चीनी सरकार के स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों ने रूस के तेल फर्मों से जुड़े सौदों के लिए वित्तपोषण बंद करने का फैसला किया था। जानकार बताते हैं कि AIIB का यह फैसला बेशक एक सांकेतिक है। AIIB का कोई ऐसा बड़ा प्रोजेक्ट रूस में नहीं चल रहा है जिससे उन्हें "गतिविधियों" बंद करने का निर्णय लेना पड़े। AIIB के 800 मिलियन डॉलर की लागत के दो ही प्रोजेक्ट रूस में चल रहे हैं। वहीं बेलारूस में चीनी स्वामित्व वाले बैंक का कोई निवेश नहीं है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि चीन और रूस के बीच संबंध तेज़ी से बेहतर हुए हैं। दोनों ही को अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा कथित हस्तक्षेप का एक साथ विरोध करते देखा गया है। पिछले महीने, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया था कि उनके देशों के बीच दोस्ती की "कोई सीमा नहीं" और सहयोग के "निषिद्ध" क्षेत्र नहीं हैं। चीनी कस्टम ऑथोरिटी ने पिछले ही महीने सालाना 7.9 अरब डॉलर की लागत वाले उद्योग - रूस के गेहूं इंपोर्ट पर प्रतिबंध हटा दिए हैं। यह बेशक रूसी अर्थव्यनस्था को पश्चिमी और यूरोपीय प्रतिबंधों के बीच एक आकार देने में मदद कर सकता है। चीन और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार के लिए एक समझौते भी हुए हैं जिनमें अगले 30 साल तक एक नई पाइपलाइन के ज़रिए चीन को रूसी गैस का इंपोर्ट शामिल है। आपको यह भी बता दें कि 2021 में रूस और चीन के बीच व्यापार 146.9 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं, जो अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के साथ संयुक्त व्यापार का दसवां हिस्सा है। चीन का रूस को खुला समर्थन नहीं देने की यही एक बड़ी वजह है। मसलन चीन को पहले से ही यूरोपीय और पश्चिमी प्रतिबंधों के विरोधी के तौर पर देखा गया है, और ऐसे समय में जब रूस पर प्रतिबंधों की बौछार हो रही है और रूस को आइसोलेट करने की कोशिश हो रही है, चीन नहीं चाहता कि उसकी तरफ से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कोई ऐसा संदेश जाए, जिससे उसका व्यापार प्रभावित हो।
पिछले दिनों भी चीनी अधिकारियों की तरफ से कहा गया था कि रूस के यूक्रेन के साथ बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए और "ऑपरेशन" रोकना चाहिए, लेकिन चीन ने रूस के लिए यूक्रेन पर “आक्रमण” शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। चीन यूएनएसी में भी रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग करने से बच रहा है। पश्चिमी और यूरोपीय देशों द्वारा रूस के ख़िलाफ़ "सभी अवैध एकतरफा प्रतिबंधों" की चीन ने आलोचना भी की है। बीजिंग स्थित संस्था ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "मौजूदा परिस्थितियों में, और बैंक के सर्वोत्तम हित में, प्रबंधन ने रूस और बेलारूस से संबंधित सभी गतिविधियों को रोकने का फैसला किया है और समीक्षा की जा रही है।" बहुपक्षीय डेवलपमेंट बैंक, जिसके दुनियाभर में 105 सदस्य हैं ने यह साफ नहीं किया है कि वो अपनी गतिविधियां क्यों रोक रहा है लेकिन इसके अधिकारी ने उन सभी के साथ अपनी संवेदना व्यक्त की है जो संकट से प्रभावित हो रहे हैं। ग़ौरतलब है कि चीनी स्वामित्व वाले इस फाइनेंशियल बैंक का यह फैसला तब आया है जब कुछ दिनों पहले ही बैंक ऑफ चाइना सहित कई चीनी सरकार के स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों ने रूस के तेल फर्मों से जुड़े सौदों के लिए वित्तपोषण बंद करने का फैसला किया था। जानकार बताते हैं कि AIIB का यह फैसला बेशक एक सांकेतिक है। AIIB का कोई ऐसा बड़ा प्रोजेक्ट रूस में नहीं चल रहा है जिससे उन्हें "गतिविधियों" बंद करने का निर्णय लेना पड़े। AIIB के 800 मिलियन डॉलर की लागत के दो ही प्रोजेक्ट रूस में चल रहे हैं। वहीं बेलारूस में चीनी स्वामित्व वाले बैंक का कोई निवेश नहीं है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि चीन और रूस के बीच संबंध तेज़ी से बेहतर हुए हैं। दोनों ही को अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा कथित हस्तक्षेप का एक साथ विरोध करते देखा गया है। पिछले महीने, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया था कि उनके देशों के बीच दोस्ती की "कोई सीमा नहीं" और सहयोग के "निषिद्ध" क्षेत्र नहीं हैं। चीनी कस्टम ऑथोरिटी ने पिछले ही महीने सालाना 7.9 अरब डॉलर की लागत वाले उद्योग - रूस के गेहूं इंपोर्ट पर प्रतिबंध हटा दिए हैं। यह बेशक रूसी अर्थव्यनस्था को पश्चिमी और यूरोपीय प्रतिबंधों के बीच एक आकार देने में मदद कर सकता है। चीन और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार के लिए एक समझौते भी हुए हैं जिनमें अगले 30 साल तक एक नई पाइपलाइन के ज़रिए चीन को रूसी गैस का इंपोर्ट शामिल है। आपको यह भी बता दें कि 2021 में रूस और चीन के बीच व्यापार 146.9 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं, जो अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के साथ संयुक्त व्यापार का दसवां हिस्सा है। चीन का रूस को खुला समर्थन नहीं देने की यही एक बड़ी वजह है। मसलन चीन को पहले से ही यूरोपीय और पश्चिमी प्रतिबंधों के विरोधी के तौर पर देखा गया है, और ऐसे समय में जब रूस पर प्रतिबंधों की बौछार हो रही है और रूस को आइसोलेट करने की कोशिश हो रही है, चीन नहीं चाहता कि उसकी तरफ से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कोई ऐसा संदेश जाए, जिससे उसका व्यापार प्रभावित हो।
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