लेकिन करगिल में तो ‘गुपकार गैंग’ के साथ सत्ता भोग रही है बीजेपी!

by Pankaj Srivastava 2 years ago Views 3012

But in Kargil, BJP is enjoying power with 'Gupkar
गृहमंत्री अमित शाह ने गुपकार घोषणापत्र में शामिल दलों को देश तोड़ने वाला ‘गुपकार गैंग’ बताकर हाल में तगड़ा हमला बोला था। काँग्रेस पर आरोप लगाया था कि वह ‘गुपकार गैंग’ का समर्थन करती है। लेकिन अब यह ख़बर सामने आयी है कि ख़ुद बीजेपी करगिल में इस ‘गैंग’ का हिस्सा है।

बीजेपी लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डिवलेपमेंट काउंसिल (LAHDCK) में नेशनल कान्फ्रेंस के साथ सत्ता की हिस्सेदार है जबकि नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष वही फारुक़ अब्दुल्ला हैं जो अमित शाह की नज़र में विदेशी ताक़तों के हाथ खेल रहे हैं। हिल काउंसिल के चैयरमैन नेशनल कान्फ्रेंस के फ़ीरोज़ ख़ान हैं और चार अन्य एग्ज़िक्विटिव काउंसलर में बीजेपी के मोहम्मद अली चंदन शामिल हैं।


इनके पास स्वास्थ्य, राजस्व, कृषि, वन, वन्यजीव, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और मृदा संरक्षण के विभाग हैं। करगिल में चुने गये 26 सदस्यों में 10 नेशनल कानफ्रेंस के, 8 कांग्रेस के और तीन बीजेपी के सदस्य हैं। लद्धाख यूनियन टेरेटरी की ओर से 30 में से चार सदस्य मनोनीत किये जाते हैं।

गुपकार रोड दरअसल वह सड़क है जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारुक़ अब्दुल्ला का घर है। इसी घर पर इकट्ठा होकर तमाम दलों ने अनुच्छेद 370 की बहाली समेत जम्मू-कश्मीर की पूर्व स्थिति को बहाल करने का संकल्प लिया था।

इसके लिए पीपल्स अलायंस फ़ार गुपकार डेक्लेरेशन (PAGD) बनया गया था। PAGD ने ऐलान किया हैकि 28 दिसंबर को 19 जिलों में होने वाले डिस्ट्रिक्ट डिवलेपमेंट काउंसिल का चुनाव मिलकर लड़ा जायएगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि ‘गुपकार गैंग’ चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में बाहरी ताक़तों का दख़ल हो। काँग्रेस और गुपकार गैंग मिलकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का युग वापस लाना चाहते हैं।

वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि फारुक़ अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 बहाल करवाने के लिए चीन की मदद चाहते हैं। महबूबा मुफ़्ती तिरंगा झंडा नहीं फहराना चाहतीं। कांग्रेस को साफ़ करना चाहिए कि वह गुपकार फ़ारुक अब्दुल्ला औऱ महबूबा मुफ़्ती के बयानों का समर्थन करती है या नही?

काँग्रेस ने इन बयानों को भ्रामक बताते बीजेपी की निंदा की थी, लेकिन अब नेशनल कान्फ्रेंस के साथ सत्ता में साझीदारी की ख़बर से बीजेपी ख़ुद सवालों के घेरे मे आ गयी है। वैसे, बीजेपी का नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी के साथ पुराना रिश्ता है।

केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रहते नेशनल कान्फ्रेंस एनडीए का हिस्सा थी और उमर अब्दुल्ला केंद्र में मंत्री भी थे। वहीं पीडीपी के साथ तीन साल तक बीजेपी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में सरकार चलायी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर कि बीजेपी से रिश्ता तोड़ते ही कोई देशद्रोही कैसे हो जाता है? और इस बात का क्या जवाब है कि बीजेपी ख़ुद नेशनल कान्फ्रेंस के साथ सत्ता में भागीदार है, तो उसे देशद्रोही बताकर वह साबित क्या करना चाहती है?

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