बजट NOT फटाफट: सरकार के पास आमदनी कम ख़र्च ज़्यादा, कैसे होगी पूर्ति ?

वित्त वर्ष 2021 का आम बजट संसद में पेश हो चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार कहती रही हैं कि कि सरकार ख़र्च करना चाहती है लेकिन क्या इस बजट का जो असली फर्क वो लोगों तक पहुंच पाएगा ? क्या वित्त मंत्री ने जो भी ऐलान किए हैं वो आम आदमी तक पहुंच भी पाएगा या नहीं, देखिए इसपर गोन्यूज़ के एडिटर इन चीफ पंकज पचौरी ने इसका विश्लेषण किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि सरकार बहुत ख़र्च करने के मूड में है। अब सवाल है कि सरकार ख़र्च कहां से करेगी ? इसका पैसा कहां से आएगा ? अगर सरकारी की कमाई देखें तो वो हर साल ऊपर जाती थी लेकिन इसबार कोरोना महामारी की वजह सेर सरकार की भी कमाई थम गई। आंकड़े बताते हैं कि ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू 19 हज़ार करोड़ तक पहुंच गया है लेकिन सरकार का अनुमान है कि यह वित्त वर्ष 2022 में 22 हज़ार करोड़ से ऊपर पहुंच जाएगा।
इनके अलावा कॉर्पोरेट टैक्स, इनकम टैक्स और जीएसटी कलेक्शन भी कम हुआ है। सरकार की आधी से ज़्यादा कमाई जीएसटी से होती है। इस बारे में सरकार का आकलन है कि इस वित्त वर्ष में यह 3350 अरब रूपये रहने वाला है। आंकड़े बताते हैं कि यह वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर से भी नीचे चला जाएगा। आसान भाषा में कहें तो सरकार के पास ख़र्च ज़्यादा और कमाई कम है। इसके लिए इस वित्त वर्ष में सरकार ने 9.5 फीसदी तक बजट घाटे का अनुमान लगाया है। अगर आंकड़े देखें तो सरकार के ख़र्च में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी लेकिन अब इस वित्त वर्ष में यह कम होने वाला है। मसलन वित्त वर्ष 2019 में सरकार का ख़र्च 8 फीसदी की दर से बढ़ा। जबकि 2020 में 16 फीसदी लेकिन महामारी में अतिरिक्त ख़र्च करने से यह 28 फीसदी पर पहुंच गया। हालांकि अब यही बढ़ोत्तरी इस वित्त वर्ष 2021-22 में गिरकर 1 फीसदी रहने वाला है।
इनके अलावा कॉर्पोरेट टैक्स, इनकम टैक्स और जीएसटी कलेक्शन भी कम हुआ है। सरकार की आधी से ज़्यादा कमाई जीएसटी से होती है। इस बारे में सरकार का आकलन है कि इस वित्त वर्ष में यह 3350 अरब रूपये रहने वाला है। आंकड़े बताते हैं कि यह वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर से भी नीचे चला जाएगा। आसान भाषा में कहें तो सरकार के पास ख़र्च ज़्यादा और कमाई कम है। इसके लिए इस वित्त वर्ष में सरकार ने 9.5 फीसदी तक बजट घाटे का अनुमान लगाया है। अगर आंकड़े देखें तो सरकार के ख़र्च में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी लेकिन अब इस वित्त वर्ष में यह कम होने वाला है। मसलन वित्त वर्ष 2019 में सरकार का ख़र्च 8 फीसदी की दर से बढ़ा। जबकि 2020 में 16 फीसदी लेकिन महामारी में अतिरिक्त ख़र्च करने से यह 28 फीसदी पर पहुंच गया। हालांकि अब यही बढ़ोत्तरी इस वित्त वर्ष 2021-22 में गिरकर 1 फीसदी रहने वाला है।
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